संसार में हरेक प्राणी बंधा होता है
किसी न किसी खूंटे से
परोक्ष या अपरोक्ष रूप से
स्वच्छंद जीने की कामना करना
मेरी नजर में एक भ्रम मात्र है
बहुत से खूंटे से बंधे प्राणियों को
खूंटे से दूर होना बिल्कुल पंसद नहीं
क्योंकि वे आदी हो चुके होते हैं
बिना परिश्रम हर मौसम में
अलग-अलग खाने-पीने के
कभी रूखा-सूखा, कभी हरा-भरा
जब कभी कोई प्राणी मोलभाव वश
बांध दिया जाता है दूसरे खूंटे से
बिना उसकी पंसद-नापसंद के
तो वह बगावती तेवर दिखता है
और उस खूंटे को उखाड़ फेंकने की
दिन-रात हर मुमकिन कोशिश करता है
और फिर जैसे ही वह खूंटा उखाड़ता है
तो कई अन्य खूंटे बंधे प्राणियों की
जान सांसत में डाल देता है
जिन्हें वह सींग गड़ा डराता-धमकाता है
वह कभी जमीन तो कभी दीवार खोदता है
और कुछ न मिले तो अपने सींगों से
कूड़ा-करकट ही उलटने-पुलटने लगता है
उसे किसी के भी खेत खलिहान जाकर
तहस-नहस करने में बड़ा आनंद मिलता है
डंडे की मार से वह कभी नहीं डरता है
क्योंकि वह आदत से मजबूर होता है
जिसे हरदम खूंटे से बंधना भाता है
कुछ प्राणी गले में खूंटा डाले फिरते हैं
तो कुछ अदृश्य खूंटे वाले भी मिलते हैं
जो कई प्राणियों को भ्रमित करते हैं
लेकिन इनकी पहचान रखने वाले प्राणी
इन्हें दूर से ही पहचान लेते हैं
ऐसे प्राणी बहुत खतरनाक होते हैं
जो मौका देख खिसिया, मिमिया, गरियाकर
एक दिन अपनी धाक जमा लेते हैं
ऐसे प्राणियों का कोई भरोसा नहीं होता
वे कभी इस तो कभी उस खूंटे बंधे मिलते हैं
लेकिन कुकुर की दुम जैसे
कभी सीधे नहीं हो पाते हैं
...कविता रावत
किसी न किसी खूंटे से
परोक्ष या अपरोक्ष रूप से
स्वच्छंद जीने की कामना करना
मेरी नजर में एक भ्रम मात्र है
बहुत से खूंटे से बंधे प्राणियों को
खूंटे से दूर होना बिल्कुल पंसद नहीं
क्योंकि वे आदी हो चुके होते हैं
बिना परिश्रम हर मौसम में
अलग-अलग खाने-पीने के
कभी रूखा-सूखा, कभी हरा-भरा
जब कभी कोई प्राणी मोलभाव वश
बांध दिया जाता है दूसरे खूंटे से
बिना उसकी पंसद-नापसंद के
तो वह बगावती तेवर दिखता है
और उस खूंटे को उखाड़ फेंकने की
दिन-रात हर मुमकिन कोशिश करता है
और फिर जैसे ही वह खूंटा उखाड़ता है
तो कई अन्य खूंटे बंधे प्राणियों की
जान सांसत में डाल देता है
जिन्हें वह सींग गड़ा डराता-धमकाता है
वह कभी जमीन तो कभी दीवार खोदता है
और कुछ न मिले तो अपने सींगों से
कूड़ा-करकट ही उलटने-पुलटने लगता है
उसे किसी के भी खेत खलिहान जाकर
तहस-नहस करने में बड़ा आनंद मिलता है
डंडे की मार से वह कभी नहीं डरता है
क्योंकि वह आदत से मजबूर होता है
जिसे हरदम खूंटे से बंधना भाता है
कुछ प्राणी गले में खूंटा डाले फिरते हैं
तो कुछ अदृश्य खूंटे वाले भी मिलते हैं
जो कई प्राणियों को भ्रमित करते हैं
लेकिन इनकी पहचान रखने वाले प्राणी
इन्हें दूर से ही पहचान लेते हैं
ऐसे प्राणी बहुत खतरनाक होते हैं
जो मौका देख खिसिया, मिमिया, गरियाकर
एक दिन अपनी धाक जमा लेते हैं
ऐसे प्राणियों का कोई भरोसा नहीं होता
वे कभी इस तो कभी उस खूंटे बंधे मिलते हैं
लेकिन कुकुर की दुम जैसे
कभी सीधे नहीं हो पाते हैं
...कविता रावत