मुझे नहीं करनी थी - मिलन सिंह रावत - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 12 मार्च 2020

मुझे नहीं करनी थी - मिलन सिंह रावत

मुझे नहीं करनी थी
जो मैंने बात ही नहीं की।

मना लो, हँसा लो, कर लो गुस्सा, हो जाओ नाराज।
मुझे नहीं करनी थी
जो मैंने बात ही नही की।

उसने कर, चर, खप, चटर
सारे सुर लगाए
कंकड़ सा चुभ-चुभ कर
सारे जोर लगाए
हुआ महीन-मुलायम भी, पर .....
मुझे नहीं करनी थी
जो मैंने बात ही नही की।

फिर अब साजिश कर, वह भी रूठने लग गया
चट्टान सा सख्त बनकर, मुझसे रूठने लग गया
मुझे नहीं करनी थी
जो मैंने बात ही नही की।

अरे .... बचपन में मिलता था तुमसे
घंटों वक्त बिताया था
मासूम, नादान था,
कुछ समझ थोड़े ही आता था
बहुत ठोकर दी है तुमने
तुमसे बहुत चोटें खाईं हैं
अब हो गया हूँ बड़ा मैं
तजुर्बेदार, अक्लमंद, अब ही तो
मुझमें थोड़ी समझ आयी है
अब तुम यूँ ही रहो अकेले
ढूँढ़ो नए संगी-साथी
मैंने तो अकेले रहना सीख लिया है
समझ गया हूँ मैं, गिरते रहना और
चलना टेढ़े रस्तों पर मैंने अब छोड़ दिया है
कहना था यह सब कुछ पर ...
मुझे नहीं करनी थी
जो मैंने बात ही नही की।