मौत तारीख देखकर नहीं आती है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 20 अप्रैल 2020

मौत तारीख देखकर नहीं आती है

सबकुछ मिट्टी से पैदा होकर फिर उसी में मिल जाता है
राजा हो या रंक सबका अंत एक-सा होता है।
उसी का जीवन सार्थक है जो गलतियों से फायदा उठाता है
हमेशा जीते रहेंगे सोचने वालों का जीवन बेकार हो जाता है
समय किसी अस्तबल में खूंटे से बंधे घोड़े जैसा नहीं रहता है
प्रतिकूल समय में अपने आपको उसके अनुकूल ढ़ालना पड़ता है
ऐसा कोई घाव नहीं जिस पर वक्त मरहम नहीं लगा पाता है
रण कौशल दिखलाने वालों का ही इतिहास लिखा जाता है
जहाँ फरिश्ते भी कदम रखने से डरें वहाँ मूर्ख दौड़े चले जाते हैं
बुद्धिमान सत्य तो मूर्ख झूठ का पता लगाकर खुश होते हैं
सब गधे चार पाँव वाले नहीं होते हैं
मूर्खों के सिर पर सींग नहीं होते हैं
बड़े दुःख आने पर हम छोटे-छोटे दुःखों को भूल जाते हैं
दुःख और सुख चक्र की तरह बारी-बारी से आते हैं
कभी शहद कभी प्याज से काम चलाना पड़ता है
उसी का तन-मन सुखी जो समय देख चलता है
कभी के दिन तो कभी रात बड़ी होती है
विपत्ति मनुष्य के साहस को परखती है
काम बिगड़ते देर नहीं बनते देर लगती है
मृत्यु सब गलतियों पर नकाब डाल देती है
बहुत बड़ी दावत भी थोड़ी देर की होती है
मौत तारीख देखकर नहीं आती है
...कविता रावत 

12 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

यही सत्य है।

Kamini Sinha ने कहा…

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (21 -4 -2020 ) को " भारत की पहचान " (चर्चा अंक-3678) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार २१ अप्रैल २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

सही कहा कविता दी कि मौत तारीख देखकर नहीं आती हैं। सुंदर रचना।

सदा ने कहा…

बेहद सशक्त लेखन ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सही कहा है आपने ... बस इसकी कल्पना ही डर पैदा कर जाती है ...
आज के माहोल ने वैसे ही सब को हिला दिया है ... हर कोई स्वयं का प्राकृति का सामान करना सीख रहा है ... समय का महत्त्व सीख रहा है ... अच्छी रचना है ...

Sudha Devrani ने कहा…

सत्य कथन सार्थक संदेश देती रचना
वाह!!!

शुभा ने कहा…

अंतिम सत्य ....।

अजय कुमार झा ने कहा…

आपने तो रुला दिया। सच को जस का तस पिरो दिया आपने

~Sudha Singh vyaghr~ ने कहा…

सार्थक सृजन👌👌👌

Kavi ने कहा…

बहुत ही सुंदर लिखा है आप मेरी रचना भी पढना

Harash Mahajan ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन रचना कविता जी। सच का यही आईना है ।
सादर ।