दो घरों की चिराग होती हैं बेटियाँ - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

दो घरों की चिराग होती हैं बेटियाँ

चिरकाल से लड़कों को घर का चिराग माना जाता है, लेकिन मैं समझती हूँ कि यदि उन्हें घर का चिराग माना जाता है तो मेरे समझ से वे केवल एक घर के ही हो सकते हैं, जबकि लड़कियाँ एक अपने माँ-बाप का तो दूसरा ससुराल वाला घर रोशन करती हैं। इस हिसाब से उन्हें एक नहीं दो घरों की चिराग कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। लड़के-लड़की का भेद आज भी अनपढ़ ही नहीं, बल्कि सभ्‍य कहे जाने वाले समाज में भी सहज रूप से देखने को मिल जाता है, जो कि बहुत कष्टप्रद, दुःखद और सोचनीय स्थिति की परिचायक है। एक ही माँ के पेट से दोनों जन्में हाड़-मांस के बने होने के बावजूद एक को श्रेष्ठ और दूसरे का कम आंकने वालों को मानसिक रोगी समझा जाय तो कोई अनुचित नहीं होगा।
        आप सोच रहे होंगे कि आज अचानक ये लड़के-लड़की वाली बात मैंने क्यों छेड़ दी। तो बताती चलूँ कि आज मेरी बिटिया का जन्मदिन है। विवाह के 9 वर्ष बाद मातृ सुख का सौभाग्य उसी की बदौलत प्राप्त हुआ। इन 9 वर्ष में जाने कितनी घरेलू और सामाजिक परिस्थितियों से जूझना पड़ा, यह वे हर माँ समझ सकती हैं, जिन्हें माँ बनने का इतना लम्बा अंतराल तय करना पड़ा हो। पहले जो घर सूना-सूना काट खाने को आता था, वह बिटिया के घर आते ही रौनक से भर गया। बिटिया घर में खुशियाँ लेकर आई तो समस्त घर-परिवार के साथ ही नाते-रिश्तेदारों को अपार ख़ुशी हुई तो सबने मिलजुल कर एक स्वर में उसका ख़ुशी नामकरण कर दिया। यद्यपि स्कूल में उसका नाम अदिति है, लेकिन स्कूल छोड़ सभी की वह लाड़ली खुशी ही है। 
          बच्चे ईश्वर की सबसे अनमोल और खूबसूरत रचना हैं। उनके बिना घर अधूरा और सूना-सूना रहता है। जिस घर में बच्चे होते हैं, वहाँ की रौनक देखते ही बनती है। घर में बच्चे न हो तो इसका दुःख राजा हो या रंक सबको समान रूप से सताता है। इस बारे में रामलीला का एक प्रसंग अपने करीब पाती हूँ, जिसमें राजा दशरथ की दुःखभरी मनोदशा देख गुरु वरिष्ठ गेय शैली में जब उनसे पूछते हैं कि-
“बता तो मुझको भी तो ऐ राजन तुम्हारे दिल में मलाल क्या है
हुआ है चेहरा उदास क्यों है, कहो तबीयत का हाल क्या है
तुम्हारी यह देखकर के हालत हुए हैं छोटे-बड़े निराश
तुम्हारे दिल पे एकाएक ऐसा, बताओ आया ख्याल क्या है?“
              तब गुरु वशिष्ठ के अपनत्व भरे शब्दों को सुन राजा दशरथ अपना दुःख अलापते हुए यूँ सुनाते हैं कि-
“क्या कहूँ ऐ गुरुजी मैं अपनी व्यथा, 
मुझको औलाद का गम सताता रहा
हर तरह से हुई ना उम्मीदी मुझे, 
अब जमाना जवानी का जाता रहा
जो जवानी भी ढल-ढल के जाने लगी, 
अब अवस्था बुढ़ापे की आने लगी
यदि हो जाता घर में मेरा एक पुतर 
तो उजड़ता नहीं मेरा आबाद घर“
         और फिर अपने सूने महल की ओर संकेत कर यह शेर कहते हैं कि- 
“चांद  चढ़े  सूरज  भए,  दीपक  जले  हजार
जिस घर में बच्चे नहीं वह घर निपट अंधियार“

राजा दशरथ को भले ही राज-काज चलाने के लिए पुत्र की तीव्र चाह रही हो, लेकिन मैं समझती हूँ कि यदि पुत्र प्राप्ति भाग्य की बात है तो पुत्री परम सौभाग्य की बात। परम सौभाग्य इसलिए कहूँगी कि वे एक घर में जन्म लेने के बाद भी दूसरे घर जाकर अपने माँ-बाप को नहीं भूलती। वह अपने सास-ससुर और बच्चों की तरह ही अपने बूढ़े-बाप का भी ख्याल ऐसा रखती है, जैसा प्रायः विवाह के बाद पुत्र नहीं रख पाते हैं। 

        बिटिया खुशी आई तो दो वर्ष बाद उसे भी एक भैया के साथ खेलने का अवसर मिल गया। अब वह 12वीं में तो भैया 9वीं में पढ़ रहा है। अब वे दोनों बड़े हो गए है, इसलिए आपस में खूब प्यार भी जताते हैं और कभी-कभार लड़-झगड़ भी लेते हैं। बिटिया अपने को बड़ी समझ कभी उसको समझाती भी है तो कभी-कभार लताड़ लगाना भी नहीं भूलती है, जिसे वह कभी तो चुपचाप सुन लेता है और कभी-कभार गुस्सा होकर एक कोने में जाकर तब तक मौन व्रत धारण कर लेता है, जब तक मैं ऑफिस से घर पहुंचकर उसे समझा-बुझा नहीं लेती। इस दौरान बिटिया पानी का गिलास और फिर जल्दी से सभी के लिए चाय बना लाती है और फिर आराम से मेरे सामने बैठकर दिन भर के लेखे-जोखे का हिसाब मेरे सामने रख देती है। उसे सुनते-सुनते ऐसा लगता है जैसे मैं फिर से ऑफिस पहुँच गई हूँ। मैं चाहती हूँ कि वह घर की चिकचिक, पिकपिक और कामकाज से दूर खूब पढते हुए अच्छे से अच्छे अंक अर्जित करें, लेकिन मेरे न चाहते हुए भी वह मेरी ऑफिस और घर-परिवार की दौड़-भाग को समझते हुए स्वभाव वश मेरा बराबर हाथ बंटाने से पीछे नहीं हटती। सोचती हूँ संतान के रूप में निश्चित ही सौभाग्यशाली लोगों को ही बेटियाँ प्राप्त होती है।

....कविता रावत 

33 टिप्‍पणियां:

Sweta sinha ने कहा…

जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना आज शनिवार 20 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बिटिया के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई । आपके द्वारा एक सारगर्भित लेख पढ़ने का अवसर मिला ।

जितेन्द्र माथुर ने कहा…

आपकी सुपुत्री को ढेरों आशीष । मैं आपके विचारों से पूर्ण सहमति व्यक्त करता हूं ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बिटिया को शुभाशीष और आपको बधाई।
सार्थक पोस्ट।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं। बेटी होना सचमच में परम् सौभाग्य की बात है।

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२१-०२-२०२१) को 'दो घरों की चिराग होती हैं बेटियाँ' (चर्चा अंक- ३९८४) पर भी होगी।

आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी

रेणु ने कहा…

बहुत सुंदर उदाहरणों के साथ भावपूर्ण आलेख कविता जी। सच में बेटियां परिवार के लिए वरदान तो माँ की परछाई होती हैं। बिटिया यशस्वी और चिरंजीवी रहे यही कामना करती हूँ। आपको भी बधाई और शुभकामनाएं 🎂🎂🎂🎂❤❤❤🎂🎂🎂🌹🌹💕💕💕💕

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

सारगर्भित लेख ..मन को छू गया..बेटीरानी के जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ..

Vocal Baba ने कहा…

खुशी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें। आपको भी बधाई। आप की बातों से सहमत हूँ। बहुत सुंदर और सार्थक बात आपने कही है।

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

शुभकामनाएं जन्मदिन पर।

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

बहुत अच्छी बात कही, बेटा बेटी में कोई फर्क नहीं होता|
बिटिया को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

Kamini Sinha ने कहा…

"एक ही माँ के पेट से दोनों जन्में हाड़-मांस के बने होने के बावजूद एक को श्रेष्ठ और दूसरे का कम आंकने वालों को मानसिक रोगी समझा जाय तो कोई अनुचित नहीं होगा।"
बिलकुल सही कहा आपने कविता जी,
सच,सौभाग्यशालियों को ही बेटी का सुख मिलता है। उनमे से मैं भी हूँ मुझे भी परमात्मा ने सिर्फ एक बेटी का सुख दिया है और मैं तृप्त हूँ। आपको तो बड़ी तपस्या के बाद मिली है आपका सुख तो अतुलनीय है।
बेटी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारा प्यार,परमात्मा "ख़ुशी"को जीवन की हर वो ख़ुशी दे जिसे वो चाहती हो।

दीपक कुमार भानरे ने कहा…

आदरणीय , बिटिया के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई और उनके उज्जवल भविष्य की ढेरों शुभकामनाएं । सारगर्भित लेख ।

Manisha Goswami ने कहा…

I wish everyone would think like you.
Very nice

Manisha Goswami ने कहा…

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Manisha Goswami ने कहा…

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Manisha Goswami ने कहा…

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Anita ने कहा…

बिटिया के जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई, बेटियों के महत्व को बताता हुआ बहुत सुंदर लेख !

Manisha Goswami ने कहा…

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Manisha Goswami ने कहा…

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Manisha Goswami ने कहा…

आप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी

Manisha Goswami ने कहा…

आप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

बहुत ही मर्मस्पर्शी पोस्ट |सादर अभिवादन

Manisha Goswami ने कहा…

आप से निवेदन है,कि हमारी कविता भी एक बार देख लीजिए और अपनी राय व्यक्त करने का कष्ट कीजिए आप की अति महान कृपया होगी
Reply

अरविंद ने कहा…

बहुत सुंदर लेख ! साथ ही रावत जी को बिटिया के जन्मदिन की बधाईयां!

MANOJ KAYAL ने कहा…

बहुत सुंदर कविता

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

प्रिय खुशी सदा खुश रहे -जहाँ रहे चतुर्दिक् वातावरण खुशी से महमहाता रहे!
बेटी हमेशा मन के पास रहती है ,कविता जी,चाहे कहीं भी रहे.

Preeti Mishra ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना

आलोक सिन्हा ने कहा…

बहुत बहुत सुन्दर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

मेरी बहुत बहुत शुभकामनायें बिटिया को ...

Preeti ने कहा…

बहुत ही सुन्दर लिखा गया है

imágenes de buenos días y buenas noches con frases de amor ने कहा…

Bahut hi badhiya likha hai