अबकी बार होली में कोरोना ने है पकड़ा
चुराकर सब रंग मेरे अपने रंग में है जकड़ा
गले में ठूसी जा रही हैं रंग बिरंगी गोलियां
मुंह बांधे उड़ी रंगत में आ जा रही टोलियां
तन पर नर्सें कर रही इंजेक्शनी फुहार
हॉस्पिटल में हर तरफ है कोरोना बहार
जो मिले खाना ठूसे तो पेट होता भारी
फिर मत पूछो कब कहां चले पिचकारी
मन बड़ा उदास होता जब शाम ढलती है
अकेले में अपनों की दूरी बहुत खलती है