'गरीबी में डॉक्टरी' का प्रकाशन - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

शनिवार, 23 अप्रैल 2022

'गरीबी में डॉक्टरी' का प्रकाशन

आज मैं गरीबी में डॉक्टरी  कहानी संग्रह जो कि शब्द.इन मंच के 'पेड पुस्तक लेखन प्रतियोगिता (फरवरी-मार्च 2022) के विजेता घोषित होने के उपरांत उनके द्वारा पुरस्कार स्वरुप प्रकाशित किया गया है, उसे विश्‍व पुस्तक दिवस को समर्पित करती हूँ। इसके लिए मैं शब्द.इन मंच और उन सभी पाठकों और ऑनलाइन पुस्तक क्रय करने वाले सहयोगियों की हृदय से आभारी हूँ, जिनके सहयोग से मेरी यह पुस्तक प्रकाशित होकर मुझ तक पहुँच पायी है।  

इस बारे में बताती चलूँ कि यह पुस्तक मेरी 10 कहानियों का प्रथम संग्रह है। जहाँ मेरे द्वारा कुछ कहानियों में शहरी और ग्रामीण अंचलों में व्याप्त व्यथा-कथा का चित्रण तो कुछ में ऐतिहासिक और आधुनिक सामाजिक पृष्ठभूमि का ताना-बाना बुनते हुए चमत्कारिक भाषा-शैली के स्थान पर सीधे-सरल शब्दों के माध्यम से उन्हें जनसाधारण तक पहुँचाने का प्रयास किया गया है। इस कहानी संग्रह में गरीबी में डॉक्टरी  मेरी मुख्य कहानी है। लेकिन इसे यदि कहानी के स्थान पर 'संघर्ष गाथा' कहेंगे तो अधिक उचित होगा। क्योंकि इसमें एक ऐसे कंगाली में जीते बच्चे की संघर्ष गाथा है, जिसने अपने बचपन से देखते आये 'डॉक्टर बनने के सपने' को अपनी घोर विपन्नता, अधकचरी शिक्षा, रूढ़िवादी सोच, सामाजिक विडंबनाओं और तमाम सांसारिक बुराइयों को ताक में रखकर शासन-प्रशासन तंत्र के व्यूह रचना को भेद कर अपने कठोर परिश्रम, निरंतर अभ्यास, सहनशील प्रवृत्ति और सर्वथा विकट परिस्थितियों में अदम्य साहस व दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर साकार कर दिखाया। मेरी नज़र में वह 'दशरथ मांझी के बाद एक और मांझी है-धर्मेंद्र मांझी। 

कथा-लेखन के सम्बन्ध में मेरा मानना है कि किसी भी कहानी की पृष्ठभूमि जितनी धरातल से जुड़ी होकर सरल शब्दों में अभिव्यक्त होंगी, वह उतनी ही गहराई तक पाठकों के दिलों में उतरकर अपना एक अलग स्थान बनाने में सफल रहेगी। इसी सोच पर रचाई-बसाई मेरी इस कहानी संग्रह की कहानियाँ पाठकों का ध्यान अपनी ओर कितना आकृष्ट कर पाती हैं, यह देखने के लिए मैं उत्साहित हूँ।

मेरा यह  गरीबी में डॉक्टरी  कहानी संग्रह हिंदी पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले पाठकों, लेखकों और हमारे ब्लॉगर्स साथियों के लिए शब्‍द.इन के प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन और पेपरबैग दोनों रूप में उपलब्ध है, जिसे कोई भी  शब्‍द.इन  प्लेटफॉर्म के निम्न लिंक पर जाकर दोनों रूप में खरीद सकते हैं। प्राप्त धनराशि का उपयोग मैं अपने स्वयं के लिए नहीं बल्कि धर्मेंद्र मांझी की आगे की पीजी की पढ़ाई करने एवं अन्य उसके जैसे किसी भी जरूरतमन्द के लिए उपयोग करूँगी, ऐसा मेरा संकल्प है। तो क्या आप मेरी इस किताब को खरीदकर और धर्मेंद्र मांझी की व्यथा-कथा पढ़कर उस पर गहन विचार-मंथन कर मेरे इस संकल्प को पूरा करने में अपना योगदान देना चाहेंगे? 

https://shabd.in/books/10078983

कविता रावत शब्द.इन 


13 टिप्‍पणियां:

जिज्ञासा सिंह ने कहा…

जानकारी देने के लिए धन्यवाद कविता जी। पुस्तक के लिए आपको बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐

Himkar Shyam ने कहा…

बहुत बधाई, शुभकामनाएँ

Sudha Devrani ने कहा…

गरीबी में डॉक्टरी" पुस्तक प्रकाशन एवं इस नेक कार्य हेतु बहुत बहुत बधाई आ.कविता जी !
पुस्तक पढ़ने को प्रेरित करती शानदार समीक्षा ।
हार्दिक शुभकामनाएं।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

गरीबी में डॉक्टरी के प्रकाशन हेतु बहुत बहुत बधाई, कविता दी। आपकी यह किताब पाठकों के बीच बहुत लोकप्रिय हो यहीं शुभकामनाएं।

Unknown ने कहा…

मुझे लगता है आपकी पुस्तक गरीबी मे डॉक्टरी आज कल की युवा पीढ़ी के लिए रामबाण औषधि के रूप मै सिद्ध होगी। आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं

कविता रावत ने कहा…

आप जो भीं हैं, आपने गंभीरता से पढ़ा और समझा है, इसके लिए आपका सबसे पहले तो बहुत धन्यवाद! रही बात मेरी पुस्तक 'गरीबी मे डॉक्टरी ' आजकल की युवा पीढ़ी के लिए रामबाण औषधि के रूप में सिद्ध होने की तो यह बात शत -प्रतिशत सच है लेकिन समस्या यह है कि आज के युवा ऐसी प्रेरणादायक सच्ची व्यथा-कथा न तो पढ़ने में रूचि लेते हैं और नहीं इससे सबक लेना चाहते हैं। मेरा उद्देश्य भी यही है कि इस कहानी जो कि आज के समय में बिना अधिक परिश्रम किया बहुत कुछ पाने को लालायित होते युवाओं जो सोचते हैं कि वे बहुत मेहनत करते हैं लेकिन उन्हें उसका प्रतिफल उतना नहीं मिलता, या जो सोचते हैं कि हम कुशाग्र बुद्धि के धनी नहीं है , बहुत गरीबी है, पढ़ना बहुत कठिन है आदि ऐसे बच्चों को धर्मेंद्र मांझी से सीख लेना चाहिए कि जिसने अकल्पनीय और अकथनीय परिश्रम कर वह मुकाम हासिल किया है जिसे उसके जैसे सपने में भी नहीं सोच सकते हैं

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत ही बढ़िया जानकारी साजा की है आपने दी हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएँ। सच कहा आपने कहानी जितनी धरातल से जुडी हो उतनी ही प्रभावी होती है।
सादर

Anil Sahu ने कहा…

बहुत बहुत बधाई।

Meena Bhardwaj ने कहा…

आपके नेक काम की जितनी प्रशंसा की जाए कम होगी । आपकी पुस्तक खूब लोकप्रिय हो और आपका संकल्प शीघ्रातिशीघ्र पूरा हो ।

Alaknanda Singh ने कहा…

पुस्‍तक के लिए हार्दिक बधाई कविता जी...मंगाने की सोच रही हूं...

कविता रावत ने कहा…

जी जरुरी खरीदिए, मुझे ख़ुशी होगी कि आपने मेरे संकल्प को और दृढ़ किया और मैं विश्वास दिलाती हूँ कि आपको पुस्तक पढ़कर एक ऐसी प्रेरणा मिलेगी जिसे आप अन्य दूसरे लोगों को प्रेरित करने से अपने आप को रूक नहीं सकेंगी। पुस्तक पढ़ने की बाद आप यदि समीक्षा लिखेंगी तो मुझे ख़ुशी होगी कि हमारा परिश्रम व्यर्थ नहीं गया, उसकी क़द्र करने वालों की आज भी कोई कमी नहीं है।
सादर

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही बढ़िया जानकारी

बेनामी ने कहा…

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