अधिकांश लोग यही मानते हैं कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से अधिक प्रतिभाशाली होते हैं। लेकिन हमने तो कई मौकों पर यही देखा कि प्राइवेट हो या सरकारी स्कूल के बच्चे प्रतिभा सब बच्चों में समान रूप से होती है। यदि इसमें कुछ अंतर नज़र आता है तो वह है इन बच्चों की प्रतिभा को निखार कर सबके सामने लाने वालों की। प्राइवेट स्कूल के बच्चे इसलिए थोड़े आगे निकल जाते है क्योँकि उनके साथ शिक्षक-शिक्षिकाएं और स्कूल प्रबंधन खड़ा रहता है, जबकि अधिकांश सरकारी स्कूल के बच्चे स्यवं ही अपने बलबूते संघर्ष करते नज़र आते हैं, उनके साथ खड़े कभी कभार ही कोई नज़र आ पाता है।
सरकारी स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों से किसी भी मायने में कम नहीं है। यह आप स्वयं हमारे भोपाल में सरकारी स्कूल के बच्चों द्वारा बालरंग महोत्सव में creative craft exhibition में उनके हाथों बनी कला प्रदर्शन से देख-समझ सकते हैं। यदि इन बच्चों का भविष्य संवारने और उनकी प्रतिभा को तराशने में स्कूल के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं समर्पित व निष्ठा भाव से सहयोग करें तो इन बच्चों की तुलना प्राइवेट से करने की नौबत ही न आये।
..कविता रावत
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