श्रीराम का त्रेतायुग में दिया गया भावी शासकों के प्रति सन्देश आज भी कितना सार्थक है-
"भूयो भूयो भाविनो भूमिपाला: नत्वान्नत्वा याच्तेरारामचंद्र
सामान्योग्य्म धर्म सेतुर्नराणा काले-काले पालनियों भवदभि:"
अर्थात हे! भारत के भावी पालो! मैं तुमसे अपने उत्तराधिकार के रूप में यही चाहता हूँ की वेदशास्त्रों के सिंद्धांतों की रक्षा हेतु जिस मर्यादा को मैंने स्थापित किया उसका तुम निरंतर पालन करना. वस्तुत: नीतिभ्रष्टता के समकालीन बवंडर में समाज को स्वामित्व प्रदान करने के लिए सनातन धर्म के चिरंतन आदर्शों के प्रतीक श्रीराम के चरित्र से ही प्रेरणा प्राप्त करना चाहिए क्योंकि श्रीराम के आदर्श शाश्वत हैं उनके जीवन मूल्य कालजयी होने के कारण आज भी प्रासंगिक हैं.
-कविता रावत
9 टिप्पणियां:
JAI SHRI RAM JAI JAI RAM
bahut achha likha hai
saamyik post. bahut pasand aaee .
kavita ki kavita jiske man me hai kalpnayo ki saita . mla ye bhav tumahra jag me ho ujiyara
keshav goyal shivpuri m.p. mob 09907658863
kavita ki kavita jiske man me hai kalpnayo ki sarita . mla ye bhav tumahra jag me ho ujiyara
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राम जी को याद कर अच्छा किया आपने । शुभकामनायें ।
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
बेहतरीन पोस्टों में से एक ,राम नवमी की शुभ कामनाएं.
बेहतरीन अभिव्यक्ति बहुत गहरी बातें
meree 2,3 post andekhee ho gayee aisa kabhee hota nahee hai.....
march kee vajah se vyast ho shayad..........
exams bhee chal rahe hai........... shubhkamnae......
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