मनभावन वर्षा - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

रविवार, 8 अगस्त 2010

मनभावन वर्षा

मुरझाये पौधे भी खिल उठते
जब उमड़- घुमड़ बरसे पानी,
आह! इन काली घटाओं की दिखती
हरदम अजब- गजब की मनमानी।
देख बरसते बादलों को ऊपर
मलिन पौधे प्रफुल्लित हो जाते हैं,
ज्यों बरसाये बादल बूंद- बूंद
त्यों नित ये अद्भुत छटा बिखेरते हैं।
अजब- गजब के रंग बिखरे
इस बर्षा से चहुंदिशि फैले हरियाली,
जब उमड़- घुमड़ बरसे बदरा
तब मनमोहक दिखती हरदम डाली!
आह! काले बादलों वाली बर्षा
तू भी क्या- क्या गुल खिलाती है,
हरदम बूंद-बूंद बरस-बरसकर
मलिन पौधों को दर्पण सा चमकाती है।
ये घनघोर काली घटाएं तो
बार- बार बरसाये बरसा की बौछारे
बरसकर भर देते मन उमंग तब
जब घर ऊपर घिर- घिर आते सारे।
धन्य - धन्य! वे घर सारे
जिनके ऊपर बरसे ऊपर का पानी,
धन्य- धन्य हैं वे जीव धरा पर
जिनको फल मिलता नित मनमानी।
कैसे कहें, कहां-कहां, कब-कब
बरस पड़ता यह काले बादलों का पानी!
धन्य हे ‘मनभावन वर्षा’ तू!
तेरी अपार अभेद अरू अमिट कहानी।

                                                      ........कविता रावत

34 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

कैसे कहें, कहां-कहां, कब-कब
बरस पड़ता यह काले बादलों का पानी!
धन्य हे ‘मनभावन वर्षा’ तू!
तेरी अपार अभेद अरू अमिट कहानी।
Jab,jab ye jeevan dayini der lagati hai,rooth jatee hai,duniya mano mrityuke kagar pe khadi ho jati hai!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत सुन्दर ....बर्षा आगमन का सभी को इंतज़ार रहता है ...

sanu shukla ने कहा…

umda rachna ..!!

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

वाह बहुत सुंदर और चित्रों का भी खूबसूरत प्रयोग.

RAJ ने कहा…

कैसे कहें, कहां-कहां, कब-कब
बरस पड़ता यह काले बादलों का पानी!
धन्य हे ‘मनभावन वर्षा’ तू!
तेरी अपार अभेद अरू अमिट कहानी।
..... आपने जिस तरह से बरसात के बहाने बहुत ही उम्दा ढंग से देश की वर्तमान स्थिति का चित्रण किया है वह अनुपम और काबिलेतारीफ है ... इसके लिए आभार .

आजकल राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में ऐसे ही बरसात की सम्पूर्ण देश में बौछारे जोर-शोर से हो रही है. सारा देश त्रस्त है ऐसी बरसात से ... न जाने हमारे देश पर ये मंडराते काले बादलों के कारनामे कब छटेंगे और विश्वपटल पर हम साफ़ सुथरी छबि बनाकर अपनी गरिमा बनेने रखने में सक्षम हो सकेंगें..

विजयप्रकाश ने कहा…

सुंदर रचना...सावन का मजा दुगुना हो गया.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

सुन्दर रचना इस गीले मौसम पर ...

Deshi Vicharak ने कहा…

हरदम बूंद-बूंद बरस-बरसकर
मलिन पौधों को दर्पण सा चमकाती है।
----
Ati Sundar

mukti ने कहा…

अच्छी कविता है और चित्र भी बड़े अच्छे हैं. पर हम तो यहाँ तरस रहे हैं बारिश के लिए. बीच-बीच में थोड़ी बारिश होती भी है, तो दूसरे दिन फिर गर्मी और उमस.

कडुवासच ने कहा…

...बहुत सुन्दर !!!

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति!

सम्वेदना के स्वर ने कहा…

कविता जी आपकी कविता अगर चित्रोंके बिना पढी जाए तो अधूरी प्रतीत होगी... आज पहली बार किसी पोस्ट पर चित्रों को रचना का पूरक बनते देखा है.. गहरे भावों के साथ वर्त्तमान परिस्थिति पर कटाक्ष करती एक बेहतरीन रचना!!

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

अति सुन्दर प्रकॄति चित्रण.....सुखद अनुभूति हुई इस ब्लाग पर आ कर। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
................................
"जब जमाने को भानु खूब भून देते हैं।
तभी राहत सभी को मानसून देते हैं॥
लाखों तौफ़ीक़ से हासिल न हो वैसी राहत­-
हिज्र में मीठे-वचन जो सकून देते हैं॥"
-डॉ० डंडा लखनवी

पूनम श्रीवास्तव ने कहा…

kavita ji, aapki adbhut man bhav an kavita ne wawai me man moh liya.bahut hi khoob surati se varshha ka chitran.
poonam

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना है बधाई।

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता....
____________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

arvind ने कहा…

manbhaavan varshaa kaa satik chitran. badhaai.

हास्यफुहार ने कहा…

अच्छी रचना।

Rohit Singh ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Rohit Singh ने कहा…

कविता जी
बरखा रानी का बखान करते करते आपके मन का बच्चा बार बार उछल कूद मचा रहा था न बाहर आने के लिए? पर कही कहीं पंक्तियों में परिपक्व इंसान दिख रहा है....हाय रे काहे नहीं मन बच्चों सा ही निश्छल हो जाता है बार बार....
पर क्या करं इतनी दुनियादारी है की पूछिए मत....चलिए अपने अंदर के बच्चे को देख ही लिया कुछ क्षण के लिए ही सही....इसके लिए धन्यवाद..

شہروز ने कहा…

कैसे कहें, कहां-कहां, कब-कब
बरस पड़ता यह काले बादलों का पानी!
धन्य हे ‘मनभावन वर्षा’ तू!
तेरी अपार अभेद अरू अमिट कहानी।

बहुत अच्छी प्रस्तुति।

neelima garg ने कहा…

seeing this first time...good poems

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बरखा रानी ...जरा जम के बरसो .....

आपको ये सावन की बरसात मुबारक ......
इधर तो गर्मी से बुरा हाल है .......

रचना दीक्षित ने कहा…

कैसे कहें, कहां-कहां, कब-कब
बरस पड़ता यह काले बादलों का पानी!
धन्य हे ‘मनभावन वर्षा’ तू!
तेरी अपार अभेद अरू अमिट कहानी।

बहुत सुन्दर प्रकॄति चित्रण अच्छी प्रस्तुति।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

वाह सुन्दर बारिश. मन भावन दृश्य.

Dimple Maheshwari ने कहा…

आपकी टिपण्णी के लिए आपका आभार ...अच्छी कविता हैं...बहुत अच्छी .

Dimple Maheshwari ने कहा…

baarish to waise hi lubhawni hotih hain..aapki kavita ne aur bhilubhawni bna diya

बेनामी ने कहा…

लोग तो कहते हैं "बेमौसम बरसात" लेकिन आपकी मनभावन वर्षा!! तो मौसमी. दिल्ली में अभी अभी जोरदार बारिस हुई इसलिए कविता पढने का आनंद दुगना हो गया - धन्यवाद्

बेनामी ने कहा…

baarish ka sundar roop....acha laga pad kar....
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

Banned Area News : I'm terrified of sharks: Jessica Simpson

Deepak Shukla ने कहा…

Hi..

"Kavita" ji ki sundar Kavita...
main aayi barkha manbhavan...
hariyaali lekar aati hai...
rituon main jyon ritu Sawan...

Chahun oor barkha ki boonden...
Kaare badra ghir ghir aayee..
sookhe taru bhi aanandit ho..
nav pallav ke sang muskaayen...

Saavan ki barkha main hum...
sada hi bheege poore man se...
shabdon ki baarish main bheege..
bhavon se antarman mahke..

Sundar Kavita...

Deepak

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और शानदार रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई !

बेनामी ने कहा…

Kavita Ji Vastav me aapki kavita bohut sunder hai.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आह! काले बादलों वाली बर्षा
तू भी क्या- क्या गुल खिलाती है,
हरदम बूंद-बूंद बरस-बरसकर
मलिन पौधों को दर्पण सा चमकाती है..

वाह ... क्या खूब वर्षा का बखान किया है ... सुंदर रचना के साथ सावन की फुहार छोड़ी है ....

aamir ने कहा…

awsum that 's the poem i want for project