कभी कभी
मेरे कंप्यूटर की
सांसें भी हो जाती हैं मद्धम
और फिर
सांसें भी हो जाती हैं मद्धम
और वह भी बोझिल कदमों को
आगे बढ़ाने में असमर्थ हो जाता है
मेरी तरहआगे बढ़ाने में असमर्थ हो जाता है
और फिर
चिढ़ाता है मुझे
जैसे कोई छोटा बच्चा
उलझन में देख किसी बड़े को
पुचकारो
टस से मस नहीं होता!
कभी जब काफी मशक्कत के बाद
चलने लगता है
तो दिल सोचता है
शायद वह भी समझ गया है
कभी सोच में डूबती हूँ कि
इसकी किस्मत मेरे साथ जुड़ी है
अब दोनों को एक आदत सी हो चली है
निरंतर साथ-साथ रहने की
सरपट दौड़ लगाकर नहीं तो
जैसे कोई छोटा बच्चा
उलझन में देख किसी बड़े को
मासूमियत से मुस्कुराता है
चुपचाप !
चुपचाप !
कभी यह मुझे
डील डौल से चुस्त -दुरुस्त
उस बैल के तरह
दिखने लगता है जो बार-बार
जोतते ही बैठ जाता है अकड़कर
फिर चाहे कितना ही कोंचोजोतते ही बैठ जाता है अकड़कर
पुचकारो
टस से मस नहीं होता!
कभी जब काफी मशक्कत के बाद
तो दिल सोचता है
शायद वह भी समझ गया है
हम दोनों की नियति
चलते रहने की हैकभी सोच में डूबती हूँ कि
या कि मेरी इसके साथ
तय नहीं कर पाती
फिर सोचती हूँ
चलो जैसा भी है
है तो मेरा अपनाचलो जैसा भी है
जिस पर मैं अपना पूरा हक़ जताती हूँ
निर्विरोध, निसंकोच, निर्विकार होकर
जो संसार में अन्यत्र कहाँ संभव?
निर्विरोध, निसंकोच, निर्विकार होकर
जो संसार में अन्यत्र कहाँ संभव?
अब दोनों को एक आदत सी हो चली है
निरंतर साथ-साथ रहने की
सरपट दौड़ लगाकर नहीं तो
कम से कम एक दूजे का
यूँ ही साथ निभाते चलने की
... कविता रावत