गुलाबों के दरबार में कुछ स्मृतियां - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

गुलाबों के दरबार में कुछ स्मृतियां


गुलाब को फूलों के राजा के रूप में यूँ ही नहीं नवाजा गया है। मौसम कोई भी हो कड़ाके के गर्मी हो या ठण्ड हर मौसम में राजसी शान-ओ-शौकत और ठाट-बाट के साथ अपनी चिर-परिचित गुलाबी मखमली मुस्कान बिखेरने वाला, हर मिजाज के शख्स के चेहरे पर रंगत लाने वाला यदि कोई है तो वह गुलाब ही तो है!  प्रकृति की इस खूबसूरत कृति को कड़ाके की ठण्ड में करीब से देखना-समझना कितना सुखद हो सकता है इसका आभास  मुझे तब हुआ जब मैं बच्चों के साथ हर वर्ष शासकीय गुलाब उद्यान में लगने वाली मध्य्रपदेश रोज सोसायटी और संचालनालय उद्यानिकी की ओर से आयोजित दो दिवसीय अखिल भारतीय गुलाब प्रदर्शनी देखने पहुँची।
दो दिवसीय इस प्रदर्शनी में फूलों के राजा के दरबार में 300 प्रतिभागियों के 3500 कटफ्लावर और 650 गमलों में गुलाब ऐसे सज-धज कर रखे थे कि जिधर भी निगाहे घूमती उधर ही खूबसूरती की समां बंध जाती और गुलाबी रंगत बिखरी नजर आती।
यहां आकर मुझे गुलाब की वर्तमान प्रचलित किस्मों जिसमें हाइब्रिड गुलाब, देशी गुलाब एवं कटिंग-बडिंग से निर्मित गुलाबों के साथ वर्गीकृत पांच किस्म एच.टी.गुलाब, फ्लोरीबन्डा, मिनीएचर (बटन गुलाब), पोलीयेन्था और लता गुलाब समूह के अंतर्गत आने वाले लगभग 500 किस्मों को एक साथ देखने-समझने का सुनहरा मौका मिला।
गुलाबों की इतनी खूबसूरत वैरायटी देखकर दोनों बच्चे तो इधर से उधर ‘ये देखो! वो देखो!' कहते हुए ऐसे दौड़ लगा रहे थे जैसे उन्हें कोई ‘कारूं का खजाना' मिल गया हो। बच्चे आगे-आगे हम उनके पीछे-पीछे धीरे-धीरे खिसक रहे थे। प्रदर्शनी में ज्ञात हुआ कि आज से 32 वर्ष पूर्व 10-15 सदस्यों से शुरू हुई यह प्रदर्शनी वर्तमान में 290 सदस्यों के सामूहिक प्रयास का सुखद परिणाम है जिससे गुलाब प्रेमियों को गुलाब की हर किस्म की जानकारी के साथ अपनी घर की बागवानी के लिए मनपंसद गुलाब आसानी से उपलब्ध हो पा रहे हैं।
कड़ाके की ठण्ड में खिले-खिले, हँसते-मुस्कुराते गुलाब इतने बेखबर जान पड़ते जैसे ठण्ड में इन्होंने कभी सिकुड़ना-ठिठुरना सीखा ही न हो! कहीं कोई बड़ा सा गुलाब तनकर अकेला तो कहीं एक साथ छोटे-बड़े गुलाब गुच्छे में जैसे अपने भरे-पूरे परिवार के साथ सुखद मुस्कान लिए मंद-मंद मुस्करा रहे थे। वहीं छोटी-छोटी झाडि़यों के बीच जैसे छुप-छुप कर नन्हें-नन्हें मासूम गुलाब अपनी मासूमियत भरी मुस्कान लिए हमारी ही राह ताकते नजर आ रहे थे।
एक ओर जहां लाल, पीले, सफेद, गुलाबी, केसरिया गुलाबों के बीच छोटे ताल पर खिलखिलाता सफेद कमल अपनी स्वर्णिम आभा बिखेर रहा था वहीं दूसरी ओर विभिन्न प्रकार के दूसरे फूल भी अपनी चिर-परिचित अंदाज में अपनी-अपनी अनोखी छटा बिखेरते हुए राजा के दरबार की शोभा बढ़ा रहे थे। 
फूलों के राजा गुलाब के दरबार की रंगत में डूबे -उतराते कब शाम ढ़ल गई और ठण्डी-ठण्डी हवा हमें अपनी चपेट में लेने को आतुर दिखने लगी इसका आभास तब हुआ जब हमने गुलाब उद्यान में बने छोटे से ताल किनारे बत्तखों के झुण्ड को ताल से बाहर निकलकर दुबकते देखा, तो लगा जैसे अब पानी की ठण्डक इन्हें भी चुभने लगी है। मन में गुलाबी रंगत लिए हमने भी अपने घर की राह पकड़ ली। 
यूँ ही जब कभी महानगरों के तनावपूर्ण जीवन शैली से निकलकर कुछ क्षण मौज-मस्ती, सैर-सपाटा, घूमने-फिरने के निकल आते हैं तो मेरा मन इन छोटी-छोटी स्मृतियों को संजोने की कोशिश में जुट जाता है, क्योंकि वह भलीभांति जानता है कि बीता समय कभी लौटकर नहीं आता उसकी केवल स्मृतियाँ ही शेष रह जाती हैं।
        ....कविता रावत



आइए मेरे साथ गुलाबों की दुनिया सैर










46 टिप्‍पणियां:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

शानदार प्रस्तुति !

Amrita Tanmay ने कहा…

तनावपूर्ण जीवन में गुलाबी सुगंध भरता हुआ..

Surya ने कहा…

फूलों के राजा गुलाब के गुलाबी रंगत में रंगी शानदार जानदार दरबार की झलकियाँ देखने के बाद लगा की हमने भी हिस्सेदार बन गए हैं .....
तीसरे नंबर पर जो राजा की रानी की फोटो है उसे हम चुरा ले जा रहे हैं नाराज नहीं होना जी .....

vijay ने कहा…

यूँ ही जब कभी महानगरों के तनावपूर्ण जीवन शैली से निकलकर कुछ क्षण मौज-मस्ती, सैर-सपाटा, घूमने-फिरने के निकल आते हैं तो मेरा मन इन छोटी-छोटी स्मृतियों को संजोने की कोशिश में जुट जाता है, क्योंकि वह भलीभांति जानता है कि बीता समय कभी लौटकर नहीं आता उसकी केवल स्मृतियाँ ही शेष रह जाती हैं।
..
यादगार पोस्ट ...
राजा गुलाब के दरबार की सजीव झलक मन को भा गयी ....गुलाब हमें भी बेहद पसंद है.....

travel ufo ने कहा…

गंगटोक में फूलो की लगी प्रदर्शनी और रोज गार्डन याद आ गया । वैसे पिछली पोस्ट में आपने जो पहाडो की बर्फ की बात की तो मुझे पूछना था कि आप तो पहाडी हो तो बच्चो को कभी उनके ननिहाल में बर्फ नही दिखायी या फिर गर्मियो की छुटटी में अब नही मिलती बर्फ हो सके तो इस पर जरूर लिखें ।

आशा बिष्ट ने कहा…

BAHUT SUNDAR..MANN KARTA HAI KI SAARE SAMET LOO..DI

RAJ ने कहा…

गुलाबों के महक से भरी यह खूबसूरत कृति भी और पोस्ट की तरह ही लाजवाब है....बच्चों के साथ बिताये ऐसे खूबसूरत पल भविष्य में ताजगी भरने का काम करते हैं .....

virendra sharma ने कहा…

गुलाबों की छटा बिखेरता बढ़िया रिपोर्ताज .

विभूति" ने कहा…

khubsurat post....

शूरवीर रावत ने कहा…

‘‘एंेसु अज्यूं तक बसन्त किलै नि ऐ होलो, द्यूर एंेसु अज्यूं तक...
अजि त मऊ टूटलो फेर फागुण लगलो। बौजी अजि त..............’’
नेगी जी का यह गाना याद होगा कविता जी! अभी तो पूस ही नहीं गया फिर बसन्त की बात कैसे ?
इस विशेष जानकारी के लिये आभार।

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

गुलाब के फूलो की बात ही कुछ और होती है।


सादर

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

गुलाब की तस्वीरे देखकर और पूरी रिपोर्ट पढकर मन आनंदित होगया, बहुत शुभकामनाएं.

रामराम

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

इसे पोस्ट कहूँ या फूलों की सैर कहूँ या गुलदस्ता.. बस नयनाभिराम!!

Unknown ने कहा…

शानदार प्रस्तुति*** गुलाब के फूलो की बात ही कुछ और गुलदस्ता मन आनंदित हो गया

Sunil Kumar ने कहा…

शानदार प्रस्तुति खुशबूदार पोस्ट .......

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सुंदर रिपोर्ट .......मनमोहक चित्र

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

खूबशूरत मनमोहक पोस्ट,,,,

recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जिधर देखो उधर गुलाब, निश्चय ही मन हर लेता है ऐसा दृश्य।

शारदा अरोरा ने कहा…

मेरा मन इन छोटी-छोटी स्मृतियों को संजोने की कोशिश में जुट जाता है, क्योंकि वह भलीभांति जानता है कि बीता समय कभी लौटकर नहीं आता उसकी केवल स्मृतियाँ ही शेष रह जाती हैं। ये बात तो सोलह आने सच कही ...पूरा लेख ही अच्छा लगा

vikram7 ने कहा…

Wah...

Unknown ने कहा…

कभी मेरी और मेरी बिटियाँ की भी फोटो पोस्ट कर दो ...
बहुत ही शानदार

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

फूल हमेशा से प्रेरणा प्रद ऱहे हैं मानव जीवन के लिये।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

फूलों के राजा ... इतनी विभिन्न किस्मों के गुलाब अनोखे रंगों में ... आपने बहुत ही खूबसूरती से कैमरे में कोड किया इन रंगों को ... कई बीती स्मृतियाँ पढते पढते याद हो आई ...

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

खुबसूरत गुलाब के खुबसूरत चित्र और आपकी लेखन शैली ने मन मोह लिया.बहूत सुन्दर !
New post : दो शहीद
New post: कुछ पता नहीं !!!

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

गुल-गुलशन-गुल्फ़ाम!

--
थर्टीन रेज़ोल्युशंस

रचना दीक्षित ने कहा…

सर्दी के मौसम का आनन्द ही यही कि प्रकृति एक मनमोहक शक्ल अख्तियार कर लेती है चारों तरफ तरह तरह के फूल ही फूल. फूल किसे पसंद नहीं. शुभानल्लाह.

लोहड़ी, मकर संक्रान्ति और माघ बिहू की शुभकामनायें.

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

तनावभरी जिंदगी में कुछ पल मनमोहक तो चाहिए...
सुन्दर फूलों से सजी सुन्दर पोस्ट...
:-)

G.N.SHAW ने कहा…

चित्रों के साथ , इस दृश्य का वर्णन मन को मोह लिया | फूलो के राजा के क्या कहने ? आप सभी को मकर संक्रांति की बहुत साड़ी शुभकामनाएं|

बेनामी ने कहा…

गुलाब का नाम सुन्दर सबके चेहरे पर प्यार की रंगत आ जाती हैं ......इस फूल की बात ही निराली है इसके काँटों का दर्द इसकी कोमल पंखुड़ियों से दूर हो जाती है।
गुलाबों के दरबार में हम भी कहीं खो गए। चलिए एक फूल तो ले चलता हूँ .....

Meenakshi ने कहा…

दोनों बच्चे तो इधर से उधर ‘ये देखो! वो देखो!' कहते हुए ऐसे दौड़ लगा रहे थे जैसे उन्हें कोई ‘कारूं का खजाना' मिल गया हो। बच्चे आगे-आगे हम उनके पीछे-पीछे धीरे-धीरे खिसक रहे थे। प्र


आपका ब्लॉग भी कारूं के खजाने से बढ़कर है
बहुत सुन्दर पोस्ट

Meenakshi ने कहा…

दोनों बच्चे तो इधर से उधर ‘ये देखो! वो देखो!' कहते हुए ऐसे दौड़ लगा रहे थे जैसे उन्हें कोई ‘कारूं का खजाना' मिल गया हो।
आपका ब्लॉग भी तो कारुं का खजाना है ...

Rajendra kumar ने कहा…

आज ही आपके ब्लॉग पर आया बहुत ही सुंदर लगा।समय मिले तो कभी हमारे ब्लॉग पर भी पधारें।
भूली-बिसरी यादें
वेब मीडिया

बेनामी ने कहा…

गुलाब ही गुलाब
सफ़ेद पीला लाल
गुलाबी अंदाज
छटा लाजबाब

बेनामी ने कहा…

Procession of roses found here!
Very cute vase!!

Pradeep Yadav ने कहा…

prakrti ka vinyaas darshaati krati.... pushp sourabh ke lagbhag sabhi pahluon se pragaadhta badhaati gayi .....
Raktim pushp kee chitra vivarani vastutah gyaan poorn suchnaaon ka bhandaar thi ....

Sadhoo Aa. Kavitaa ji

Satish Saxena ने कहा…

दिल खुश हो गया यहाँ आकर...
शुभकामनायें आपको !

शिवनाथ कुमार ने कहा…

गुलाब ,,, गुलाब और सिर्फ गुलाब
वो भी इतने सुन्दर ,,,
सुन्दर चित्र व वर्णन ...
साभार !

उड़ता पंछी ने कहा…

हर तरफ गुलाब ही गुलाब !!! ये गुलाबी रंग आपकी ज़िन्दगी को युहीं महकाता रहे !!

आपना आशीष दीजियेगा
New Post

Gift- Every Second of My life.

उड़ता पंछी ने कहा…

हर तरफ गुलाब ही गुलाब !!! ये गुलाबी रंग आपकी ज़िन्दगी को युहीं महकाता रहे !!

आपना आशीष दीजियेगा
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Gift- Every Second of My life.

CSC UTTARAKHAND ने कहा…

BAHUT ACHA LAGA AAPKA BLOG HINDI MAIN LIKHNA CHAH RAHA THA KINTU SAMAJ MAIN KUCH NAHEE AYA KI KAISE KARON.

GOOD WORK DONE BY YOU
WISH YOU A HAPPY NEW YEAR 2013

शोभना चौरे ने कहा…

बहुत सुन्दर गुलाबों जैसा ही लेख ।
इन गुलाबो को देखकर एक निमाड़ी लोक गीत की पंक्ति यद् आ गई ।
फूल म फूल गुलाब को ,
ओ म्हारा बन ,माळी
तुन सारो संसार मह्कायो
बिरज का बन माळी ....

Ankur Jain ने कहा…

गुलाबों की तरह इस लेख की महक भी मोहक है....

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...मन प्रसन्न हो गया आपकी प्रस्तुति देखकर...बहुत बहुत बधाई...

abhi ने कहा…

वाह!! सुन्दर :) :)

बेनामी ने कहा…

सुन्दर चित्र व वर्णन ...