वैष्णों देवी यात्रा - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

वैष्णों देवी यात्रा

बच्चों के परीक्षा परिणाम आने के बाद एक सप्ताह की छुट्टी मिली तो मन में माँ वैष्णों देवी दर्शन की लालसा जाग उठी। भोपाल से दिल्ली और फिर वहाँ से देवर-देवरानी, जेठ-जेठानी के परिवार और बड़ी ननद के साथ हम 12 पारिवारिक सदस्य रात्रि को बस से सोते-जागते माँ के दर्शन के लिए निकल पड़े। दिल्ली से 10-11 घंटे के सफर के बाद हम सुबह 6 बजे जम्मू पहुँचे। यहाँ से पहाड़ी मार्ग से कटरा की यात्रा शुरु हुई तो मन खुशी से झूमने लगा। पहाड़ देखते ही मेरा मन उसमें डूब जाता है। आखिर यह परमात्मा की सबसे अनुपम रचना जो ठहरी! एक ओर घुमावदार ऊँची-नीची सड़क पर सरपट भागती बस की खिड़की से पहाडि़यों की तलहटी में बहती नदी और सुदूर हिमपूरित तराइयों में हिमावृत्त चोटियों पर सूर्य किरणों के पड़ने से बनते अद्भुत रंग के नीले, पीले, कुमकुम जैसी चित्ताकर्षक दृश्यों के इन्द्रधनुषी रंगों में डूबना बड़ा सुखकारी बन पड़ा। वहीं दूसरी ओर ऊँचे-ऊँचे अपार अनगिनत वृक्ष समूहों से आती शीतल मंद पवन के झोंखों से मन झूम उठा। प्रकृति के पल-पल परिवर्तित रूप बडे उल्लासमय और हृदयाकर्षक होते हैं। वह मुस्कराती रहती है; सर्वस्व लुटाकर भी हँसती है। सूर्याेदय हो या सूर्यास्त का समय प्राकृतिक छटा अनुपम और मनोमुग्धकारी होती है। ऐसी ही कश्मीर की प्राकृतिक छटा से मुग्ध होकर श्रीधर पाठक गा उठे-
प्रकृति यहाँ एकान्त बैठि, निज रूप संवारति,
पल-पल पलटति भेष, छनिक छवि छिनछिन धारति।
विहरित विविध विलासमयी, जीवन के मद सनी,
ललकती, किलकति पुलकति, निरखति थिरकति बनि ठनी।“  
जम्मू की पहाड़ी वादियों में डेढ़-दो घंटे डूबते-उतरते हुए हम कब कटरा पहुँच गए, इसका भान न हुआ। कटरा पहुँच कर वहाँ दो कमरे किराये पर लेने के बाद सभी नहा-धो और खाने-पीने के बाद शाम 5 बजे वैष्णों देवी दर्शन के लिए चल पड़े।
आते-जाते भक्तों के साथ हमने बड़े उत्साहपूर्वक ‘जय माता दी’ के स्वर में स्वर मिलाया और बाण गंगा होते हुए धीरे-धीरे चरण पादुका और आदिकुमारी की चढ़ाई चढ़नी आरम्भ की। कभी घुमावदार तो कभी सीढ़ीनुमा रास्ते से हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते चले। हम शहर में रच-बस चुके बड़े सदस्य तो थोड़ी चढ़ाई चढ़ते ही थककर बार-बार जहाँ-कहीं आराम करने बैठ जाते, लेकिन बच्चों का उत्साह देखकर मन को बड़ी राहत मिली। वे ‘जय माता दी’ का उद्घोष करते हुए हरदम हमसे चार कदम आगे बढ़ते रहे। उनका जोश बरकरार रखने के लिए उनकी मनपंसद चीजें जैसे- चाकलेट, चिप्स, बिस्कुट आदि खिलाना-पिलाना थोड़ा महंगा जरूर लग रहा था लेकिन कुल जमा यह पिट्ठू, घोड़े-खच्चर, पालकी, हेलिकाॅप्टर के खर्च के आगे नगण्य रहा। हमारे शरीर में एक तरफ चाय-काॅफी पीने से फुर्ती आ रही थी तो दूसरी तरफ अपने परिवार के भरण-पोषण के वास्ते अपने कंधों पर पालकी उठाये बिना विश्राम किए तेजी से कदमताल करते हुए चुपचाप श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाले मजदूरों, घोड़े-खच्चरों में लदे लोगों को तेजी से हाँककर ले जाने वालों, तेल मालिश करने वालों और एक आध किलोमीटर की दूरी पर ढोल बजाने वालों को सोच-विचारने पर थके-हारे पैरों में जान आ रही थी।  इसके साथ मैं समझती हूँ कि पारिवारिक सदस्यों के साथ पैदल मिलजुल कर, एक दूसरे को सहारा देते हुए माँ वैष्णों देवी की यात्रा करने में जो आनंद है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।
रात्रि लगभग 9 बजे आदिकुमारी पहुंचकर गुफा मंदिर दर्शन कर होटल में खाने-पीने और थोड़ा सुस्ताने के बाद हमने लगभग 11 बजे 'भवन' की यात्रा आरम्भ की। दुर्गम पहाड़ी रास्ते में अभूतपूर्व जन सुविधाओं जैसे- जगह-जगह यात्रियों की सुविधा के लिए शेड, पीने के लिए स्वच्छ पानी, टायलेट, बिजली की चौबीस घंटे निर्बाध आपूर्ति देखकर 12-13 वर्ष पहले और आज के समय में बहुत बड़ा सुनहरा परिवर्तन देखने को मिला तो यह मन खुशी से खिल उठा। चलते-चलते एक बारगी भी नहीं लगा कि हम जिस समतल राह पर आसानी से चल रहे हैं, वह कोई दुर्गम पहाड़ी है। हम धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए बीच-बीच में जितनी बार विश्राम करतेे, उतनी बार पहाड़ों के झुरमुट से तलहटी स्थित लाखों सितारों जैसे जगमगाते कटरा की खूबसूरती को देखना नहीं भूलते। यह सिलसिला तब तक चलता रहा जब तक वह हमारी आँखों से ओझल न हुआ।
माँ के दरबार के करीब पहुंचते ही ‘जय माता दीकी सुमधुर गूंज कानों में पड़ी तो माँ के दर्शनों की तीव्र उत्कण्ठा के चलते हमारे कदम तेजी से उस ओर बढ़ चले। यहाँ यात्रियों का परस्पर प्रेम देखकर लगा जैसे यही स्वर्ग है। सुगमतापूर्वक माँ के दर्शन हुए तो मन को असीम शांति मिली।  धर्मशाला में 3-4 घंटे आराम करने के उपरांत हमने सुबह-सवेरे एक बार फिर भैरवनाथ के दर्शनों के लिए चढ़ाई चढ़कर उस पर फतह पायी। माँ के सुनहरे भवन और प्राकृतिक सौंदर्य में गोते लगाते हुए जब हमने भैरोनाथ के दर्शन किए तो यात्रा पूरी होने पर मन को बड़ा सुकून मिला। थोड़ी देर चहलकदमी करने के बाद हम आदिकुमारी होते हुए कटरा के लिए निकल पड़े। आदिकुमारी पहुंचकर थोड़ा खा-पीकर और सुस्ताने के बाद हमने कटरा की राह पकड़ी।
सीढि़याँ उतरते समय हमारी आपस में घर पहुंचकर सबसे पहले कन्या भोज करवाने की बातें चल रही थी। लेकिन मुझे घर आकर कन्या भोज करवाने से अच्छा पेट की खातिर सीढि़यों पर माँ की चुनरी ओढ़े, दो पैसे की आस लगाई बैठी कन्याओं को दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लेना ज्यादा उचित और फलदायी लगा।  मोबाइल बैटरी खत्म होने से मन में माँ के दरबार, भैरवनाथ और आस-पास की फोटो न उतार पाने का बड़ा मलाल था, लेकिन जब कटरा पहुंचकर सबने नहा-धोकर फोटो स्टूडियों में माता रानी के सजे दरबार में सामूहिक फोटो खिंचवा ली, तो मन का मलाल जाता रहा। रात्रि 8 बजे हमने दिल्ली के लिए बस पकड़ी और माँ वैष्णो देवी का स्मरण करते हुए हम सुबह लगभग 8 बजे वापस अपनी दुनिया में लौटकर उसमें खो गए।

'जय माता दी'

 ...कविता रावत


37 टिप्‍पणियां:

vijay ने कहा…

माँ दर्शन कर मजा आ गया...
फोटो के साथ वर्णन बहुत जोरदार है. मैंने १२ साल पहले यात्रा की थी तब बाण गंगा से पैदल चल के पार करना पड़ता था और रास्ता भी कच्चा था. सीढ़ियों तो नाममात्र कि थी ..रास्ते में खाने पीने के नाम से कुछ भी न था.........आज इतनी सुविधाएँ देखकर एक बार फिर मन में माँ से मिलने की प्रबल इच्छा जाग रही है ..

जय माता दी

kshama ने कहा…

Bahut dino baad aapko padha..behad achha laga...baithne me dikkat hoti hai,isliye ruk rukke padha!

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर यात्रा विवरण.
नई पोस्ट : मिथकों में प्रकृति और पृथ्वी

Ritesh Gupta ने कहा…

जय माता दी....
आपकी विष्णोदेवी यात्रा लेख पढ़कर कर मन माँ की श्रद्धा से पुलिकत हो गया.. ... अपने द्वारा भूतकाल की की गयी यात्रा को स्मरण भी किया......

रीतेश...
सफ़र है सुहाना
www.safarhainsuhana.blogpsot.in

PS ने कहा…

पारिवारिक सदस्यों के साथ यात्रा का आनंद दूना हो जाता है ... यात्रा के साथ प्रकृति का सुन्दर चित्रण मन को बहुत रास आया लगा कि हम भी साथ साथ माँ के दर्शन करने निकले हों ...........

पहाड़ों वाली माता रानी की जय ..

Maheshwari kaneri ने कहा…

सुखद संस्मरण.. जय माता दी....

शूरवीर रावत ने कहा…

Nice Journey. And your writing is better. Really I enjoyed it. Once I have been Maa Vaishno Devi but I didn't write about it. Today I recalled my memory....... Thnax Kavita Ji. Maa will bless on you.

Asha Lata Saxena ने कहा…

सचित्र वैष्णो देवी यात्रा वर्णन बहुत शानदार |जय माता दी -----

अन्नपूर्णा ने कहा…

अपनी यात्रा याद आ गई

संजय भास्‍कर ने कहा…

पारिवारिक सदस्यों के साथ यात्रा का आनंद....बहुत शानदार

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

सुंदर यात्रा विवरण.

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर !

RAJ ने कहा…

माँ वैष्णों देवी की सुखद यात्रा संस्मरण पढ़कर मन को बड़ी ख़ुशी मिली .......... .........
माता रानी की जय!

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति , आनंद आ गया , चित्रों के साथ बेहद आनंद ॥ जय माता दी ॥
नवीन प्रकाशन -: साथी हाँथ बढ़ाना !

Arogya Bharti ने कहा…

सुंदर यात्रा विवरण..
जय माता दी!

Mithilesh dubey ने कहा…

बढ़िया यात्रा वृतांत प्रस्तुत किया आपने।

Unknown ने कहा…

सुन्दर लेख. मेरा कभी माता के दरबार जाना नहीं हुआ, पर आपके लेख का वर्णन पढ़ के मेरी भी इच्छा होने लगी. जय माता की

Himkar Shyam ने कहा…

सुन्दर वृतांत एवं तस्वीरें. बहुत खूबसूरत ढंग से आपने यह यात्रा वृतांत लिखा है. घर बैठे तीर्थयात्रा का आनंद दिला दिया. माता रानी के दर्शन हो गए. जय माता दी...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वैष्णो देवी कि यात्रा जितनी बार भी जा हर बार रोमांचित करती है .. भक्ति और भावना भरी यात्रा जीवन से परिचय भी करवाती है ...
जय माता दी ... अच्छा लगा आपका संस्मरण ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जय माता दी।

Vaanbhatt ने कहा…

देवी दर्शन और यात्रा की बधाईयां...

कौशल लाल ने कहा…

जय माता दी .....

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

अपनों का साथ और माँ के दर्शनों का प्रसाद - प्रकृति की रम्यता में आगे बढ़ना और अंतर में पवित्र भावनाओं का संचार- इससे बढ़ कर भी कोई अनुभव हो सकता है !

Unknown ने कहा…

जय माता दी !

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

जय माता दी ...

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

जय माता दी
आपके पोस्ट से मेरे भी दर्शन हो गए

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

जय माँ वैष्णो देवी...पढ़कर लगा हम भी इस यात्रा के गवाह हैं.....
नयी पोस्ट@भूली हुई यादों
नयी पोस्ट@जय जय जय हे दुर्गे देवी

PS ने कहा…

जय माँ वैष्णो देवी!!

Unknown ने कहा…

सुखद संस्मरण!
"जय माता दी"..

Dinesh Kumar Dubey ने कहा…

जय माता दी

Unknown ने कहा…

सुन्दर वृतांत एवं तस्वीरें.
जय माता दी

Unknown ने कहा…

माता रानी की जय! जय!

Unknown ने कहा…

सुन्दर यात्रा वृतांत ...
जय माँ वैष्णों!!!!!!!

Aditya Tikku ने कहा…

utam-- kafi samy pashchat itna bhavpurn vatrna chitran padha-****

Jyoti khare ने कहा…

जय माता की -----
आपने जिस प्रभावी ढंग से यात्रा का वर्णन किया है
की लगता है, मैं वहीँ पर हूँ ---और साथ में बोलते चित्र
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई --

आग्रह है----
और एक दिन

Satish Saxena ने कहा…

हमारी भी यात्रा हो गयी , आभार आपका !

Suresh kumar ने कहा…

'जय माता दी'