हम कहलाते हैं भोपाली
मिनीबस की है कुछ बात निराली
हम कुछ भी बकें इधर-उधर
हर बात हमारी है निराली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
हम ड्रायवर सबको ढ़ोते-फिरते
चाहे चपरासी हो या अफसर
पर जब आते टेंशन में भैया
तब दिखता न घर न दफ्तर
पान-गुटका-बीड़ी साथ हमारे
जुबां पर रहती हरदम गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
खाऊ किस्म के जीव नहीं हम
चाय कट पूरे गुटके से काम चलाते
रीढ़ की हड्डी हम सरकार की भैया
हम तो सबके प्यारे बाबू कहलाते
कुछ आये न आये हमको
पर आती है प्यार भरी गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
सरकार का बोझ उठाते हम
सरक-सरक कर चलते रहते
हम सरकारी अफसर कहलाते
अगर कोई काम बिगाड़ दे भैया
तो करते ठीक देकर दो-चार गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
..कविता रावत
बहुत से एंगल से यथार्थ का खाका खींच दिया आपने अपने आप को सूरमा भोपाली समझने वालों का ...........क्या कहिये इन नाम ख़राब करते भोपालियों का?
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शनिवार 17 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
ReplyDeletehttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
हा हा हा ... बहुत अच्छा चित्रण कविता के माध्यम से. मैं एक बार भोपाल गया था.. मुझे तो नया भोपाल बड़ा ही अच्छा लगा था ..
ReplyDeleteबहुत से भोपाली गाली देते नहीं दिल से फेंकते हैं ....
ReplyDeleteभोपाल की शान पर बट्टा लगाने वाले ना समझे है ना समझेगें .............
सुरमा भोपाली .हा हा हा ...... बहुत ही सुन्दर रचना....अच्छा लगा पढ़कर
ReplyDeleteसफ़र है सुहाना..
http://ritesh.onetourist.in/2014/05/mehtab-bagh-7.html
बढ़िया लेखन की बढ़िया अनुभूति , आ. कविता जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
हमारे ब्लॉग का लोगो अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए , आ. बहुत-बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteकविता से भोपाल की झांकी मिल गयी. एक बार आकर देखना होगा.
ReplyDeleteबढ़िया है .... सुन्दर चित्रण किया है .
ReplyDeleteहम कहलाते हैं भोपाली
ReplyDeleteमिनीबस की है कुछ बात निराली
हम कुछ भी बकें इधर-उधर
हर बात हमारी है निराली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
.......................
बस में हर रोज दो चार होना पड़ता है
मेरा भोपाल महान
सूरमा भोपाली आये हाये ,...आये हाये.........
ReplyDeleteभालो ......भालो
हास्य, व्यंग्य का पुट लिए सुन्दर रचना...बधाई
ReplyDeleteआदरणीया कविता जी व्यंग्य का पुट और यथार्थ हमारे चालक महोदय का दिखती अच्छी रचना ..विचारणीय
ReplyDeleteभ्रमर ५
चूंकि मैं भी भोपाली हूँ तो आपकी इन पंक्तियों को बहुत अच्छे से महसूस कर सकता हूँ..दूसरा आपकी इस पोस्ट से खुद को इसलिये भी जुड़ा महसूस कर पा रहा हूँ क्योंकि पीपुल्स समाचार और पीपुल्स ग्रुप से मैं तीन वर्षों तक जुड़ा रहा हूं..इसलिये ये प्रस्तुति मुझे काफी अपनी सी लगी।।
ReplyDeleteइसको कविता कहूँ कि शब्दचित्र... एकदम तस्वीर सामने लाकर रख दी आपने!! बहुत मज़ेदार!!
ReplyDeleteकई बार भोपाल गई हूँ ...... संयोग कहूँ या दुर्भाग्य ऐसों मुलाक़ात नहीं हुई .....
ReplyDeleteआपने अच्छा लिखा है ......
भोपाल की मज़ेदार झांकी.......
ReplyDeleteकविता का मज़ा इस बात में है कि इसमें भोपाली की जगह इंदौरी, मेरठी, देहलवी, पटियालवी, रोहतकी आदि करने से कविता के भाव पर कुछ फर्क नहीं पड़ेगा!
ReplyDeleteहम भोपाली हैं कमाल के
ReplyDeleteगाली भी दे तो शान से
हर बात हमारी है निराली
हम कहलाते हैं भोपाली।
सूरमा भोपाली का इलाका वाकई निराला है...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-05-2014) को "पंक में खिला कमल" (चर्चा मंच-1615) (चर्चा मंच-1614) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
वाह भोपाली सूरमा हो गये आप तो।
ReplyDeleteहास्य व्यंग के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने ... शब्दों के माध्यम से खाका खींच दिया भोपाली का ... वाह गज़ब ...
ReplyDeleteachchha wyagy hai, तबीयत खुश हो गयी
ReplyDeleteयह हम भोपालियों की पहचान है
ReplyDeleteकुछ आये न आये हमको
पर आती है प्यार भरी गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
waah!
Amazing!!!
ReplyDeleteहम कहलाते हैं भोपाली
ReplyDeleteहर बात हमारी है निराली
सूरमा भोपाली
बधाई शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य चित्र।
एक और भी हैं भैया बाज़ीगर भोपाली ,
राजनीति के दुर्मुख कहते -
दिग पराजय सिंह ई भाईसाहब !सशक्त लेखनी को प्रणाम।
हर बात हमारी है निराली
ReplyDeleteहमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
........... व्यंग के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने !
Aw, this was an extremely good post. Taking the time and actual effort to make a top notch
ReplyDeletearticle… but what can I say… I put things off a whole lot and never manage to
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