हम कहलाते हैं भोपाली
मिनीबस की है कुछ बात निराली
हम कुछ भी बकें इधर-उधर
हर बात हमारी है निराली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
हम ड्रायवर सबको ढ़ोते-फिरते
चाहे चपरासी हो या अफसर
पर जब आते टेंशन में भैया
तब दिखता न घर न दफ्तर
पान-गुटका-बीड़ी साथ हमारे
जुबां पर रहती हरदम गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
खाऊ किस्म के जीव नहीं हम
चाय कट पूरे गुटके से काम चलाते
रीढ़ की हड्डी हम सरकार की भैया
हम तो सबके प्यारे बाबू कहलाते
कुछ आये न आये हमको
पर आती है प्यार भरी गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
सरकार का बोझ उठाते हम
सरक-सरक कर चलते रहते
हम सरकारी अफसर कहलाते
अगर कोई काम बिगाड़ दे भैया
तो करते ठीक देकर दो-चार गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
..कविता रावत
29 टिप्पणियां:
बहुत से एंगल से यथार्थ का खाका खींच दिया आपने अपने आप को सूरमा भोपाली समझने वालों का ...........क्या कहिये इन नाम ख़राब करते भोपालियों का?
हा हा हा ... बहुत अच्छा चित्रण कविता के माध्यम से. मैं एक बार भोपाल गया था.. मुझे तो नया भोपाल बड़ा ही अच्छा लगा था ..
बहुत से भोपाली गाली देते नहीं दिल से फेंकते हैं ....
भोपाल की शान पर बट्टा लगाने वाले ना समझे है ना समझेगें .............
सुरमा भोपाली .हा हा हा ...... बहुत ही सुन्दर रचना....अच्छा लगा पढ़कर
सफ़र है सुहाना..
http://ritesh.onetourist.in/2014/05/mehtab-bagh-7.html
बढ़िया लेखन की बढ़िया अनुभूति , आ. कविता जी धन्यवाद !
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हमारे ब्लॉग का लोगो अपने ब्लॉग पर स्थान देने के लिए , आ. बहुत-बहुत धन्यवाद !
बहुत ही सुन्दर रचना.....
कविता से भोपाल की झांकी मिल गयी. एक बार आकर देखना होगा.
बढ़िया है .... सुन्दर चित्रण किया है .
हम कहलाते हैं भोपाली
मिनीबस की है कुछ बात निराली
हम कुछ भी बकें इधर-उधर
हर बात हमारी है निराली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
.......................
बस में हर रोज दो चार होना पड़ता है
मेरा भोपाल महान
सूरमा भोपाली आये हाये ,...आये हाये.........
भालो ......भालो
हास्य, व्यंग्य का पुट लिए सुन्दर रचना...बधाई
आदरणीया कविता जी व्यंग्य का पुट और यथार्थ हमारे चालक महोदय का दिखती अच्छी रचना ..विचारणीय
भ्रमर ५
चूंकि मैं भी भोपाली हूँ तो आपकी इन पंक्तियों को बहुत अच्छे से महसूस कर सकता हूँ..दूसरा आपकी इस पोस्ट से खुद को इसलिये भी जुड़ा महसूस कर पा रहा हूँ क्योंकि पीपुल्स समाचार और पीपुल्स ग्रुप से मैं तीन वर्षों तक जुड़ा रहा हूं..इसलिये ये प्रस्तुति मुझे काफी अपनी सी लगी।।
इसको कविता कहूँ कि शब्दचित्र... एकदम तस्वीर सामने लाकर रख दी आपने!! बहुत मज़ेदार!!
कई बार भोपाल गई हूँ ...... संयोग कहूँ या दुर्भाग्य ऐसों मुलाक़ात नहीं हुई .....
आपने अच्छा लिखा है ......
भोपाल की मज़ेदार झांकी.......
कविता का मज़ा इस बात में है कि इसमें भोपाली की जगह इंदौरी, मेरठी, देहलवी, पटियालवी, रोहतकी आदि करने से कविता के भाव पर कुछ फर्क नहीं पड़ेगा!
हम भोपाली हैं कमाल के
गाली भी दे तो शान से
हर बात हमारी है निराली
हम कहलाते हैं भोपाली।
सूरमा भोपाली का इलाका वाकई निराला है...
वाह भोपाली सूरमा हो गये आप तो।
हास्य व्यंग के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने ... शब्दों के माध्यम से खाका खींच दिया भोपाली का ... वाह गज़ब ...
achchha wyagy hai, तबीयत खुश हो गयी
यह हम भोपालियों की पहचान है
कुछ आये न आये हमको
पर आती है प्यार भरी गाली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
waah!
Amazing!!!
हम कहलाते हैं भोपाली
हर बात हमारी है निराली
सूरमा भोपाली
बधाई शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का।
बढ़िया व्यंग्य चित्र।
एक और भी हैं भैया बाज़ीगर भोपाली ,
राजनीति के दुर्मुख कहते -
दिग पराजय सिंह ई भाईसाहब !सशक्त लेखनी को प्रणाम।
हर बात हमारी है निराली
हमसे बढ़ती शान
हम कहलाते हैं भोपाली।
........... व्यंग के माध्यम से बहुत कुछ कह दिया आपने !
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