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नर्मदा घाटी के आदिवासी मछुआरों, किसानों की आवाज बुलन्द कर नर्मदा बचाओ आन्दोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले बाबा आमटे का जन्म 26 दिसम्बर 1914 को हिंगणापुर में हुआ। बाबा जीवन भर दुःखी और रोगी लोगों की सेवा में लगे रहे। वे कहते हैं, "
जिन्हें वेदना का वरदान नहीं, वे शरीर से उन्मत हैं और जो यातनाहीन हैं, वे सपने नहीं देख सकते।" युवाओं के लिए वे हमेशा प्ररेणास्रोत बने रहे, जिनके लिए उनका मूल मंत्र था- "
हाथ लगे निर्माण में, नहीं मांगने, मारने में।" वे एक संवेदनशील कवि और साहित्यकार भी हैं। सरकार द्वारा उपेक्षित आदिवासियों के दुःख-दर्द को उन्होंने करीब से जिया और उनके लिए जिन्दगी भर आखिरी सांस तक जूझते-लड़ते रहे, लेकिन हारे नहीं, यह बात उनकी कई कविताओं में साफ देखने को मिलती हैं। ऐसी ही एक कविता "
एक कुम्हलाते फूल का उच्छ्वास" में वे कहते हैं-
मैं सतासी का हूँ
एक रीढ़हीन व्यक्ति जो बैठ नहीं पाता
मुरझा रहा हूँ मैं पंखुरी-ब-पंखुरी
लेकिन, क्या तुम नहीं देखते
मेरा रक्तास्रावी पराग?
मैं निश्चयी हूँ,
मगर ईश्वर मदद करे मेरी
कि रत रहूँ मैं गहरी हमदर्दी में
जो आदिवासियों की बेहाली से है।
वंचित विपन्न आदिवासियों की व्यथा का
किसी भी सत्ता द्वारा अपमान
अश्लील है और अमानवीय
सतासी पर
उम्र मुझे बांधे है दासता में
मैं पा चुका हूँ असह्य आमंत्रण अपने
आखिरी सफर का,
फिर भी मैं डटा हूँ
पाठको, मत लगाओ अवरोधक अपने
आवेग पर
कोई नहीं विजेता
सब के सब आहत हैं, आहत!
एक फूल की इस आह को कान दो!!
बाबा आमटे जी को सादर श्रद्धा सुमन!
25 टिप्पणियां:
बाबा आमटें पर सुन्दर कविता ! साभार आदरणीया कविता जी!
धरती की गोद
आदिवासियों के मसीहा है बाबा जी ......उनके जन्मदिन पर सुन्दर रचना शेयर करने के लिए आभार ...बाबा जी को नमन!!!!!!!!!!!
बहुत प्रेरक रचना...विनम्र नमन बाबा आमटे जी को...
वाह बहुत प्रेरक रचना..बाबा आमटें पर सुन्दर कविता...विनम्र नमन बाबा आमटे जी को...
बाबा आमटे के जन्मदिन सार्थक कविता प्रस्तुति के लिए धन्यवाद .....बाबा जी को विनम्र श्रद्धांजलि ..
सही अर्थों में निस्स्वार्थ समाजसेवी हैं बाबा आमटे ।
उन्हें नमन !
बाबा आम्टे जैसे जुझारू समाज सेवी आज मिल पाना मुमकिन नहीं .......नमन संत बाबा को ..........
बाबा हमारे आदर्श हैं..एक प्रेरणाश्रोत जो ठान लिया उसे हर हाल में पूरा करेगा...सुन्दर भावाभिव्यक्ति।
बाबा आमटे को नमन.उनके जैसा आदर्श समाजसेवी मिलना मुश्किल है.
नई पोस्ट : पीता हूं धो के खुसरबे – शीरीं सखुन के पांव
एक संघर्ष ,एक आत्म विश्वास, एक आदर्श और प्रेरणा के प्रतीक
कल 28/दिसंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
एक सच्चे निस्स्वार्थ भाव से समाज के सेवा में जीवन जिया है हमारे बाबा जी ने ......शत शत नमन !
नमन ।
अच्छी रचना.
आभार.
बाबा आमटे ने अपना पूरा जीवन निश्चित ध्येय पे न्योछावर कर दिया ... निस्वार्थ सेवा भाव के धनी बाबा को शत शत नमन है मेरा ...
प्रेरणादायक, सत्य को अपने आँचल में समेंटे हुए सुन्दर रचना।
...आनन्द विश्वास
बाबा को सादर शत शत नमन।
सार्थक रचना
बचपन से सबसे ज़्यादा किसी व्यक्ति ने अपनी सेवा भावना से मेरे और मेरे परिवार के सभी सदस्यों के हृदय पर एक अमिट छाप छोड़ी है वो हैं बाबा आमटे!! आपकी यह रचना दिल के करीब है मेरे!
बाबा आमटे की इस कविता को हम तक पहुँचाने का धन्यवाद...
संयोग से बाबा आमटे के बारे में दो दिन पहले पढ़ा था परन्तु मुझे इतनी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी जितना यहाँ मुझे पढने को मिला ...................बहुत आभार!
सुंदर और सार्थक रचना...बाबा को उनके जन्मदिन पर शत शत नमन
आदिवासियों के मसीहा बाबा आमटें पर सुन्दर कविता....बाबा आमटे जी को विनम्र नमन
शुक्रिया इस जानकारी भरी प्रस्तुति के लिये। कविता की पंक्तियां भी सुंदर हैं। नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ, सादर।
बहुत ही प्रेरणादायक । आभार।
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