
उठिए - जल्दी घर के सारे, घर में होंगे पौबारे
लगाइए - सवेरे मंजन, रात को अंजन
नहाइए - पहले सिर, हाथ-पैर फिर
पीजिए - दूध खड़े होकर, दवा-पानी बैठकर
खिलाइए - आए को रोटी, चाहे पतली हो या मोटी
पिलाइए - प्यासे को पानी, चाहे कुछ होवे हानि
छोडि़ए - अमूचर की खटाई, रोज की मिठाई
कीजिए - आये का मान, जाते का सम्मान
जाइए - दुःख में पहले, सुख में पीछे
बोलिए - कम से कम, दिखाओ ज्यादा दम
देखिए - माँ का ममत्व, पत्नी का धर्म
भगाइए - मन के डर को, बूढे़ वर को
खाइए - दाल-रोटी-चटनी, कितनी भी कमाई हो अपनी
धोइए - दिल की कालिख को, कुटुम्ब के दाग को
सोचिए - एकांत में, करो सबके सामने
चलिए - अगाड़ी, ध्यान रहे पिछाड़ी
बोलिए - जुबान संभालकर, थोड़ा बहुत पहचानकर
सुनिए - पहले पराये की, फिर अपनों की
रखिए - याद कर्ज चुकाने की, मर्ज को मिटाने की
भूलिए - अपनी बड़ाई को, दूसरे की भलाई को
छिपाइए - उम्र और कमाई, चाहे पूछे सगा भाई
लीजिए - जिम्मेदारी उतनी, संभाल सको जितनी
रखिए - चीज़ जगह पर, जो मिले समय पर