गुरुवार, 10 सितंबर 2015

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल
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मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।
सार्थक विचार ..... हिंदी का मान बना रहे
जवाब देंहटाएंहिंदी हैं हमवतन हैं ..हिन्दोस्तान हमारा हमारा ..
जवाब देंहटाएंहिंदी है देश का अभिमान
जवाब देंहटाएंइससे होगा देश का उत्थान
उत्तम आलेख
सार्थक लेखन
जवाब देंहटाएंसुंदर !
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमवीरों को समर्पित १० सितंबर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंउत्तम विचार
जवाब देंहटाएंमातृभाषा के दृष्टिकोण से आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु की ये पंक्तियाँ महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं. हिंदी को आज भी वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वह हक़दार है. ब्रितानी हुकूमत के समय अंग्रेजी का जो महत्व था उससे कही अधिक आज है. अपने ही देश में हिंदी उपेक्षित है. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की जयंती (९ सितम्बर) पर सुन्दर और सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा विचार...प्रकाशन हेतु बधाई!!
जवाब देंहटाएंहिंदी देश की पहचान और अभिमान है.
जवाब देंहटाएंप्रकाशन के बधाई.
Bahut khoob. Badhai.
जवाब देंहटाएंShubhkamnayen
हिंदी दिवस की बधाइयाँ
जवाब देंहटाएंवाह बधाई ......प्रकाशन के लिए
जवाब देंहटाएंIt is a bitter reality.
जवाब देंहटाएंजी हाँ हिंदी भाषा का मान -सम्मान बना रहना बहुत जरुरी है । प्रकाशन के लिए बधाई ।
जवाब देंहटाएंबिलकुल सहमत हूँ इस बात से की निज भाषा की उन्नति से देश, समाज औरर खुद की प्रगति भी निश्चित है ... सार्थक आलेख ...
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंमातृभाषा का जो न करे सम्मान वह कैसे जुड़ेगा अपनी संस्कृति से.
जवाब देंहटाएंहिंदी भाषा का मान -सम्मान बना रहना बहुत जरुरी है
जवाब देंहटाएंबेहद अच्छा आलेख
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