निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 10 सितंबर 2015

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल




20 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

सार्थक विचार ..... हिंदी का मान बना रहे

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

हिंदी हैं हमवतन हैं ..हिन्दोस्तान हमारा हमारा ..

RAJ ने कहा…

हिंदी है देश का अभिमान
इससे होगा देश का उत्थान

उत्तम आलेख

Arogya Bharti ने कहा…

सार्थक लेखन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर !

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमवीरों को समर्पित १० सितंबर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

रश्मि शर्मा ने कहा…

उत्‍तम वि‍चार

Himkar Shyam ने कहा…

मातृभाषा के दृष्टिकोण से आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु की ये पंक्तियाँ महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं. हिंदी को आज भी वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वह हक़दार है. ब्रितानी हुकूमत के समय अंग्रेजी का जो महत्व था उससे कही अधिक आज है. अपने ही देश में हिंदी उपेक्षित है. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की जयंती (९ सितम्बर) पर सुन्दर और सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा विचार...प्रकाशन हेतु बधाई!!

रचना दीक्षित ने कहा…

हिंदी देश की पहचान और अभिमान है.

प्रकाशन के बधाई.

prritiy----sneh ने कहा…

Bahut khoob. Badhai.

Shubhkamnayen

Harshita Joshi ने कहा…

हिंदी दिवस की बधाइयाँ

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

वाह बधाई ......प्रकाशन के लिए

Sampat kumari ने कहा…

It is a bitter reality.

Madhulika Patel ने कहा…

जी हाँ हिंदी भाषा का मान -सम्मान बना रहना बहुत जरुरी है । प्रकाशन के लिए बधाई ।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बिलकुल सहमत हूँ इस बात से की निज भाषा की उन्नति से देश, समाज औरर खुद की प्रगति भी निश्चित है ... सार्थक आलेख ...

राज चौहान ने कहा…

सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.

सुनील अनुरागी ने कहा…

मातृभाषा का जो न करे सम्मान वह कैसे जुड़ेगा अपनी संस्कृति से.

राज चौहान ने कहा…

हिंदी भाषा का मान -सम्मान बना रहना बहुत जरुरी है

विकास कुमार ने कहा…

बेहद अच्छा आलेख