प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को मनाये जाने वाला हिन्दी दिवस हिन्दी के राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित होने का गौरव, उसके प्रति निष्ठा व्यक्त करने और विश्व भर में हिन्दी चेतना जागृत कर हिन्दी की वर्तमान स्थिति का सिंहावलोकन कर उसकी प्रगति पर विचार करने का दिन है। हिन्दी दिवस एक पर्व है, जिसमें प्रदर्शनी, मेले, गोष्ठी, सम्मेलन तथा समारोह आयोजन किए जाकर हिन्दी सेवियों को पुरस्कृत तथा सम्मानित किया जाता है। इसके साथ ही सरकारी, अर्द्ध सरकारी कार्यालयों तथा बड़े उद्योगों में हिन्दी सप्ताह और हिन्दी पखवाड़ा आयोजित कर हिन्दी का प्रचार-प्रसार किया जाता है। हिन्दी दिवस हिन्दी का पर्व है।
हमारे देश में अन्य समस्याओं के साथ ही भाषा भी एक समस्या है। देश के हर कोने में अलग-अलग भाषा-भाषी लोग रहते हैं। देश में प्रशासन की भाषा, राजभाषा, न्याय की भाषा आदि बिन्दुओं पर मतभेद रहता है और विभिन्न समस्याएं भी भाषा को लेकर उत्पन्न होती हैं। शिक्षा के माध्यम पर उत्पन्न गहरा मतभेद आज एक बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है। शिक्षा शास्त्रियों का मत है कि शिक्षा का माध्यम प्राथमिक स्तर से लेकर शोध स्तर पर मातृभाषा में होना चाहिए, इस प्रक्रिया से मातृभाषा का उत्थान तो होगा ही साथ ही राष्ट्रभाषा हिन्दी को भी बल मिलेगा। विदित हो कि भारत सहित कई देशों में विदेशी भाषाएं शिक्षा का माध्यम रही हैं, जो आदर्श स्थिति नहीं कही जा सकती है, क्योंकि विदेशी भाषा में मौलिक शोध सम्भव नहीं हो सकता, विदेशी चिन्तन से स्वयं के मौलिक चिन्तन की हत्या प्रायः हो जाती है, चिन्तन दब जाता है।
महावीरप्रसाद द्विवेदी लिखते हैं,’ अपने देश, अपनी जाति का उपकार और कल्याण अपनी ही भाषा के साहित्य की उन्ननति से हो सकता है।’ महात्मा गांधी का कहना है, ’अपनी भाषा के ज्ञान के बिना कोई सच्चा देशभक्त नहीं बन सकता। समाज का सुधार अपनी भाषा से ही हो सकता है। हमारे व्यवहार में सफलता और उत्कृष्टता भी हमारी अपनी भाषा से ही आएगी।’ कविवर बल्लतोल कहते हैं, ’आपका मस्तक यदि अपनी भाषा के सामने भक्ति से झुक न जाए तो फिर वह कैसे उठ सकता है।’ डाॅ. जाॅनसन की धारणा है, ’भाषा विचार की पोशाक है।’ भाषा सभ्यता और संस्कृति की वाहन है और उसका अंग भी। माँ के दूध के साथ जो संस्कार मिलते हैं और जो मीठे शब्द सुनाई देते हैं, उनके और विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय के बीच जो मेल होना चाहिए वह अपनी भाषा द्वारा ही सम्भव है, विदेशी भाषा द्वारा संस्कार-रोपण ससम्भव है। हमारे सामने राष्ट्र की वैज्ञानिक तथा औद्योगिक उन्नति और प्रगति के प्रत्यक्ष साक्ष्य हैं- अमेरिका और जापान। अमेरिका वैज्ञानिक दृष्टि से और जापान औद्योगिक प्रगति से विश्व में सर्वोच्च शिखर पर आसीन हैं। इन दोनों को अपनी-अपनी भाषा पर गर्व है। वे अपनी-अपनी भाषा द्वारा राष्ट्र को यश प्रदान कराने में गौरव अनुभव करते हैं।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
20 टिप्पणियां:
सार्थक लेख !!
सार्थक लेख !!
हिन्दी के लिये राजभाषा और राष्ट्रभाषा का सिंहासन दूरातिदूर है।
हिंदी दिवस एक दिवस के रूप में ही न रह जाये इसके लिए सतत प्रयास की जरूरत है ... ऐसे आयोजन पूरे साल कहीं न कहीं हो सकते हैं इतना बड़ा अपना देश है ... और न सिर्फ आयोजन बल्कि अगर जीवन में इसे उतारा जाये तो ये जन जन की भाषा बन जायेगी ...
दिगम्बर जी की बात से पूर्ण सहमत हूँ. इसके लिए सतत प्रयास आवश्यक है. सार्थक लेख और हिंदी दिवस पर अनेकानेक शुभकामनायें.
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सार्थक लेखन ...
हम सबका अभिमान है हिन्दी
भारत देश की शान है हिन्दी
...............
सार्थक सामयिक लेख
हिंदी दिवस की बधाई
हिंदी दिवस पर सार्थक लेख के लिए अनेकानेक शुभकामनायें......
हिंदी दिवस पर सार्थक लेख
सुन्दर और सार्थक लेख। हिंदी अपनी शान है, हिंदी ही पहचान। हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ।
सुन्दर और सार्थक लेख। हिंदी अपनी शान है, हिंदी ही पहचान। हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ।
हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व हिन्दी सम्मलेन और हमारी हिन्दी में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...
सार्थक लेखन ...
.सुन्दर और सार्थक पोस्ट...
हिंदी दिवस के सार्थक लेखन पर बहुत बधाई .........
हिंदी हमारा अभिमान है
ये हिन्दुस्तान की शान है
सुन्दर लेख
बहुत अच्छा लेख...... हिंदी जन - जन की भाषा बने इसके लिए हमें प्रयास करने चाहिए
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भाषा भी एक समस्या बन गएी है ये बिल्कुल सही कहा आपने ये समस्या राज्य से केन्द्र के प्रशासन में बढने पर तथा जिला न्ययायलय से उच्च न्यायालय की ओर बढने पर अंग्रेजी के रूप में सबसे ज्यादा विचित्र स्थिति पैदा करती है राज्य सरकार से प्रमाणित जानकारी केन्द्र सरकार दृारा मान्य नहीं होती है ये मुझे तब पता चला जब केन्द्र सरकार की एक नौकरी पर मेरा चयन हुआ और मुझे प्रमाण पत्रों की पुष्टि के दौरान अयोग्य घोषित कर दिया गया क्यूँ कि मेरा जाति प्रमाण पत्र राज्य सरकार के प्रोफार्मा पर था केन्द्र सरकार का अलग होता है ये जानकारी मुझे थी नहीं और परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रतिफल शून्य हो गया
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