दो नावों पर पैर रखने वाला मझधार में डूबता है।
दो घरों का मेहमान भूखा मरता है।।
दुविधा में प्रायः अवसर हाथ से निकल जाता है।
बहुत सोच-विचारने वाला कुछ नहीं कर पाता है।।
शुभ मुहूर्त की उधेड़बुन में सही वक्त निकल जाता है।
दो खरगोशों के पीछे दौड़ने पर कोई भी हाथ नहीं आता है।।
मेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।

दुविधा में प्रायः अवसर हाथ से निकल जाता है।
बहुत सोच-विचारने वाला कुछ नहीं कर पाता है।।
शुभ मुहूर्त की उधेड़बुन में सही वक्त निकल जाता है।
दो खरगोशों के पीछे दौड़ने पर कोई भी हाथ नहीं आता है।।
मेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।
दो नावों पर पैर रखने वाला मझधार मैं डूबता है
जवाब देंहटाएंमेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
जवाब देंहटाएंकुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।
........................
खूब! बहुत खूब!
दुविधा में प्रायः अवसर हाथ से निकल जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सोच-विचारने वाला कुछ नहीं कर पाता है।।
sundar
जवाब देंहटाएंबाढ़िया । पेज मे बहुत जगह छूट गई है ठीक कर लीजिये ।
जवाब देंहटाएंमैंने बहुत कोशिश की लेकिन ठीक नहीं हो पा रहा है...
हटाएं
जवाब देंहटाएंआप की लिखी ये रचना....
07/10/2015 को लिंक की जाएगी...
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर....
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...
अति सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंशुभ मुहूर्त की उधेड़ बुन में सही वक्त निकल जाता है
जवाब देंहटाएंसटीट रचना
शुभ मुहूर्त की उधेड़ बुन में सही वक्त निकल जाता है
जवाब देंहटाएंसटीट रचना
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, उधर मंगल पर पानी, इधर हैरान हिंदुस्तानी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं"
जवाब देंहटाएंमेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।"
अति सुंदर कविता जी......
ये तो सच है. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंपेज मे बहुत जगह छूट गई है जिसके कारण मैं यही समझता रहा कि पेज ठीक से लोड़ नही हो रहा है। किन्तु आज पुनः प्रयास करने पर पढ़ सका।
जवाब देंहटाएंमैं समझ नहीं पा रही हूँ पेज में जगह क्यों छूटी है . कई बार कोशिश करके देख लिया..
हटाएंआपके पोस्ट में खाली जगह बहुत छुट गयी है उसे सही कर ले कोई भी ब्लॉग या कंप्यूटर समस्या के लिए देखे www.kitanaseekha.com
जवाब देंहटाएंशुभ मुहूर्त की उधेड़बुन में सही वक्त निकल जाता है, शानदार कविता
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने कि दो घरों का मेहमान भूखा मरता है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-10-2015) को "पतंजलि तो खुश हो रहे होंगे" (चर्चा अंक-2126) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
उत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकैसे जोड़े फेसबुक पर विरासत सम्पर्क http://raajputanaculture.blogspot.com/2015/10/howtolegacycontactFacebook.html
द्विधा से बड़ी मन की कोई और बाधा नहीं है ,यह मनोबल बनने ही नहीं देती ,
जवाब देंहटाएं