दो घरों का मेहमान भूखा मरता है - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

बुधवार, 7 अक्तूबर 2015

दो घरों का मेहमान भूखा मरता है

दो नावों पर पैर रखने वाला मझधार में डूबता है।
दो घरों का मेहमान भूखा मरता है।।

दुविधा में प्रायः अवसर हाथ से निकल जाता है।
बहुत सोच-विचारने वाला कुछ नहीं कर पाता है।।

शुभ मुहूर्त की उधेड़बुन में सही वक्त निकल जाता है।
दो खरगोशों के पीछे दौड़ने पर कोई भी हाथ नहीं आता है।।

मेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।

22 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

दो नावों पर पैर रखने वाला मझधार मैं डूबता है

vijay ने कहा…

मेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।
........................
खूब! बहुत खूब!

RAJ ने कहा…

दुविधा में प्रायः अवसर हाथ से निकल जाता है।
बहुत सोच-विचारने वाला कुछ नहीं कर पाता है।।

shashi purwar ने कहा…

sundar

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बाढ़िया । पेज मे बहुत जगह छूट गई है ठीक कर लीजिये ।

Unknown ने कहा…

अति सुन्दर

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर.

Malti Mishra ने कहा…

शुभ मुहूर्त की उधेड़ बुन में सही वक्त निकल जाता है
सटीट रचना

Malti Mishra ने कहा…

शुभ मुहूर्त की उधेड़ बुन में सही वक्त निकल जाता है
सटीट रचना

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, उधर मंगल पर पानी, इधर हैरान हिंदुस्तानी - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Harash Mahajan ने कहा…

"
मेढ़कों के टर्र-टर्राने से गाय पानी पीना नहीं छोड़ती है।।
कुत्ते भौंकते रहते हैं पर हवा जो चाहे उड़ा ले जाती है।।"

अति सुंदर कविता जी......

रचना दीक्षित ने कहा…

ये तो सच है. सुंदर कविता.

कविता रावत ने कहा…

मैंने बहुत कोशिश की लेकिन ठीक नहीं हो पा रहा है...

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

पेज मे बहुत जगह छूट गई है जिसके कारण मैं यही समझता रहा कि पेज ठीक से लोड़ नही हो रहा है। किन्तु आज पुनः प्रयास करने पर पढ़ सका।

कविता रावत ने कहा…

मैं समझ नहीं पा रही हूँ पेज में जगह क्यों छूटी है . कई बार कोशिश करके देख लिया..

Kitana Seekha ने कहा…

आपके पोस्ट में खाली जगह बहुत छुट गयी है उसे सही कर ले कोई भी ब्लॉग या कंप्यूटर समस्या के लिए देखे www.kitanaseekha.com

Dr. pratibha sowaty ने कहा…

शुभ मुहूर्त की उधेड़बुन में सही वक्त निकल जाता है, शानदार कविता

जमशेद आज़मी ने कहा…

बिल्‍कुल सही कहा आपने कि दो घरों का मेहमान भूखा मरता है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-10-2015) को "पतंजलि तो खुश हो रहे होंगे" (चर्चा अंक-2126) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Onkar ने कहा…

उत्कृष्ट प्रस्तुति

विरम सिंह ने कहा…

उम्दा प्रस्तुति ।
कैसे जोड़े फेसबुक पर विरासत सम्पर्क http://raajputanaculture.blogspot.com/2015/10/howtolegacycontactFacebook.html

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

द्विधा से बड़ी मन की कोई और बाधा नहीं है ,यह मनोबल बनने ही नहीं देती ,