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मातृभाषा के दृष्टिकोण से आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु की ये पंक्तियाँ महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं. हिंदी को आज भी वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वह हक़दार है. ब्रितानी हुकूमत के समय अंग्रेजी का जो महत्व था उससे कही अधिक आज है. अपने ही देश में हिंदी उपेक्षित है. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की जयंती (९ सितम्बर) पर सुन्दर और सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.
20 टिप्पणियां:
सार्थक विचार ..... हिंदी का मान बना रहे
हिंदी हैं हमवतन हैं ..हिन्दोस्तान हमारा हमारा ..
हिंदी है देश का अभिमान
इससे होगा देश का उत्थान
उत्तम आलेख
सार्थक लेखन
सुंदर !
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमवीरों को समर्पित १० सितंबर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
उत्तम विचार
मातृभाषा के दृष्टिकोण से आधुनिक हिंदी के जनक भारतेंदु की ये पंक्तियाँ महत्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं. हिंदी को आज भी वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी वह हक़दार है. ब्रितानी हुकूमत के समय अंग्रेजी का जो महत्व था उससे कही अधिक आज है. अपने ही देश में हिंदी उपेक्षित है. भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की जयंती (९ सितम्बर) पर सुन्दर और सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.
बहुत उम्दा विचार...प्रकाशन हेतु बधाई!!
हिंदी देश की पहचान और अभिमान है.
प्रकाशन के बधाई.
Bahut khoob. Badhai.
Shubhkamnayen
हिंदी दिवस की बधाइयाँ
वाह बधाई ......प्रकाशन के लिए
It is a bitter reality.
जी हाँ हिंदी भाषा का मान -सम्मान बना रहना बहुत जरुरी है । प्रकाशन के लिए बधाई ।
बिलकुल सहमत हूँ इस बात से की निज भाषा की उन्नति से देश, समाज औरर खुद की प्रगति भी निश्चित है ... सार्थक आलेख ...
सार्थक आलेख के लिए धन्यवाद.
मातृभाषा का जो न करे सम्मान वह कैसे जुड़ेगा अपनी संस्कृति से.
हिंदी भाषा का मान -सम्मान बना रहना बहुत जरुरी है
बेहद अच्छा आलेख
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