गाँधी जयंती पर एक कविता - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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मंगलवार, 2 अक्तूबर 2018

गाँधी जयंती पर एक कविता

                                          युगावतार गाँधी
चल पड़े जिधर दो डग, मग में, चल पड़े कोटि पग उसी ओर
पड़ गई जिधर भी एक दृष्टि, पड़ गये कोटि दृग उसी ओर;
जिसके सिर पर निज धरा हाथ, उसके शिर-रक्षक कोटि हाथ
जिस पर निज मस्तक झुका दिया, झुक गये उसी पर कोटि माथ।

हे कोटिचरण, हे कोटिबाहु! हे कोटिरूप, हे कोटिनाम!

तुम एक मूर्ति, प्रतिमूर्ति कोटि! हे कोटि मूर्ति, तुमको प्रणाम!
युग बढ़ा तुम्हारी हँसी देख, युग हटा तुम्हारी भृकुटि देख;
तुम अचल मेखला बन भू की, खींचते काल पर अमिट रेख।

तुम बोल उठे, युग बोल उठा, तुम मौन बने, युग मौन बना
कुछ कर्म तुम्हारे संचित कर, युग कर्म जगा, युगधर्म तना।
युग-परिवर्त्तक, युग-संस्थापक, युग संचालक, हे युगाधार!
युग-निर्माता, युग-मूर्ति! तुम्हें, युग-युग तक युग का नमस्कार!

तुम युग-युग की रूढ़ियाँ तोड़, रचते रहते नित नई सृष्टि
उठती नवजीवन की नीवें, ले नवचेतन की दिव्य दृष्टि।
धर्माडंबर के खंडहर पर, कर पद-प्रहार, कर धराध्वस्त
मानवता का पावन मंदिर, निर्माण कर रहे सृजनव्यस्त!

बढ़ते ही जाते दिग्विजयी, गढ़ते तुम अपना रामराज
आत्माहुति के मणिमाणिक से, मढ़ते जननी का स्वर्ण ताज!
तुम कालचक्र के रक्त सने, दशनों को कर से पकड़ सुदृढ़
मानव को दानव के मुँह से, ला रहे खींच बाहर बढ़-बढ़।

पिसती कराहती जगती के, प्राणों में भरते अभय दान
अधमरे देखते हैं तुमको, किसने आकर यह किया त्राण?
दृढ़ चरण, सुदृढ़ करसंपुट से, तुम कालचक्र की चाल रोक
नित महाकाल की छाती पर लिखते करुणा के पुण्य श्लोक!

कँपता असत्य, कँपती मिथ्या, बर्बरता कँपती है थर-थर!
कँपते सिंहासन, राजमुकुट, कँपते खिसके आते भू पर!
हैं अस्त्र-शस्त्र कुंठित लुंठित सेनायें करती गृह-प्रयाण!
रणभेरी तेरी बजती है, उड़ता है तेरा ध्वज निशान!

हे युग-दृष्टा, हे युग-स्रष्टा,
पढ़ते कैसा यह मोक्ष-मंत्र?
इस राजतंत्र के खंडहर में
उगता अभिनव भारत स्वतंत्र
                  - सोहनलाल द्विवेदी                        



24 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

कोटि-कोटि वन्दन अर्चन

Unknown ने कहा…

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ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

दोनों कविताओं से आशना कराने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही सुन्दर | शब्दों का चयन व् उपयोग कमाल का शिल्प है | आपसे बहुत कुछ सीखना है हमें | दोनों श्रद्धेय महापुरुषों को नमन | जारी रहिए

vijay ने कहा…

पता असत्य, कँपती मिथ्या, बर्बरता कँपती है थर-थर!
कँपते सिंहासन, राजमुकुट, कँपते खिसके आते भू पर!
हैं अस्त्र-शस्त्र कुंठित लुंठित सेनायें करती गृह-प्रयाण!
रणभेरी तेरी बजती है, उड़ता है तेरा ध्वज निशान!
............
संघर्षों से रहा जूझता जीवन प्यारे लाल का।
छोटा सा तन हिया हिमालय,लाल बहादुर लाल का।
............................

दो युगपुरुषों को शत शत नमन!

RAJ ने कहा…


गाँधी-शास्त्री जयंती पर सार्थक ब्लॉग पोस्ट ....
युगावतार महामानवों को शत-शत नमन

Unknown ने कहा…

भारत माता के दोनों अमर वीर सपूतों को मेरा शत शत नमन !

kuldeep thakur ने कहा…

भारत माता के दोनों अमर वीर सपूतों को मेरा भी शत शत नमन !

दोनों कविताएं पढ़कर मन आनंदित हुआ।

Dhanesh Kothari ने कहा…

आजादी के महानायकों को शत शत नमन
Dhanesh Kothari

http://bolpahadi.blogspot.in/

Madhulika Patel ने कहा…

दोनों रचनाएबहुत ही अच्छी है । दोनों महापुरषों को कोटि -कोटि प्रानाम ।

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति.

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

पढ़ कर मन उद्वेलित हो उठा।

Unknown ने कहा…

युगपुरुषों को शत शत नमन!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर और एक और खबर सरकार ने गाँधी आश्रम के नाम से गाँधी मिटा दिया अब खादी भारत कहा जायेगा ।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर प्रस्तुति...

रचना दीक्षित ने कहा…

दोनों कवितायेँ बहुत सुंदर हैं. नमन दोनों महापुरुषों को.

Anurag Choudhary ने कहा…

आदरणीया कविता दीदी जन्म दिन की बधाई के लिए कोटि कोटि आभार।

Anuradha chauhan ने कहा…

बहुत सुंदर रचनाएं भारत के दोनों सच्चे सपूतों को शत् शत् नमन

radha tiwari( radhegopal) ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (03-10-2018) को "नहीं राम का राज" (चर्चा अंक-3113) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी

व्याकुल पथिक ने कहा…


धर्माडंबर के खंडहर पर, कर पद-प्रहार, कर धराध्वस्त
मानवता का पावन मंदिर, निर्माण कर रहे सृजनव्यस्त!

काश! इन दोनों कर्मयोगियों के आचरण को हम आत्मसात कर लेतें
आभार आपका इतनी सुंदर रचनाओं के लिये

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दोनों कवितायें दोनों महान आत्माओं के चरित्र को सार्थक रूप से प्रगट कर रही हैं ...
समाज को दिशा देने वाले लोग कम ही होते हैं समाज में पर गांधी जी और शास्त्री जी आकाश समूह के चाँद तारे हैं ...
नमन है मेरा ...

Hindikunj ने कहा…

आजादी के महानायकों को शत शत नमन.
हिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका

संजय भास्‍कर ने कहा…

सच्चे सपूतों को शत् शत् नमन