क्यों परीक्षा पड़ती सब पर भारी! - KAVITA RAWAT
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

गुरुवार, 20 सितंबर 2018

क्यों परीक्षा पड़ती सब पर भारी!

आज आया है शिवा का जन्मदिन
पर नहीं है कोई मनाने की तैयारी
मेज पर केक बदले पसरी किताबें
क्यों परीक्षा पड़ती सब पर भारी!

अनमना बैठा है उसका मिट्ठू
टीवी-मोबाईल से छूटी है यारी
गुमसुम है घर का कोना-कोना
क्यों परीक्षा पड़ती सब पर भारी!

घर में लगा हुआ है अघोषित कर्फ्यू
बस दिन-रात पढ़ना-रटना है जारी
बेस्वाद लगे किचन की खटपट-चटपट
क्यों परीक्षा पड़ती सब पर भारी!

शांत घर में आता परीक्षा का भूत तो
फिर कहाँ आपस की बातें प्यारी-प्यारी?
सुख-चैन तो उड़ा ले जाता प्रश्न-पत्र
क्यों परीक्षा पड़ती है सब पर भारी!
                         ....कविता रावत 

        हर वर्ष 20 सितम्बर को मेरे बेटे शिवा के जन्मदिन के समय ही उसकी छःमाही परीक्षाएं चल रही होती हैं। अभी वह कक्षा ७वीं में है और समझदार भी हो गया है इसलिए तो वह खुद ही परीक्षा समाप्त होने के बाद एक दिन निश्चित कर जन्मदिन मनाता है।