Saturday, November 7, 2015

अपना अपना दीपावली उपहार
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About कविता रावत
हाशिये के लोग
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मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।

वो उसी में ख़ुशी ढूँढ लेते हैं
ReplyDeleteसत्य कहा है आपने...
ReplyDeleteबस संतुष्टि की बात है ..ख़ुशी एक पल में मिल जाती है
ReplyDeleteहमारे सालभर के जमा कबाड़ से उपहार ढूंढ़ लेना ही जिनका नसीब है उनके लिए हम अपने और से थोड़ा बहुत भी कुछ कर लेंगे तो उनकी भी दीपावली हो जाएगी ख़ुशी से ......
ReplyDeleteसुखद अहसास |
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-11-2015) को "एक समय का कीजिए, दिन में अब उपवास" (चर्चा अंक 2153) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
क्योंकि वे जान गए हैं
ReplyDeleteहर वर्ष उनके भाग्य का
सुनिश्चित है
अपना अपना दीपावली उपहार!
......
त्यौहार में खुश होने का कोई तो बहाना मिल ही जाता है सबको .....
This comment has been removed by the author.
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ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट की चर्चा कल 7/11/2015 को htttp://hindicharchablog.blogspot.com "हिंदी चर्चा ब्लॉग" पर की जाएगी ।
ReplyDeleteआपका स्वागत है ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज बातें कम, लिंक्स ज्यादा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत खूब। बहुत ही शानदार।
ReplyDeleteउत्सव के नये नये रंग।
ReplyDeleteउत्सव तो उत्सव है.
ReplyDeletekya khoob...jo jis parivesh me rahta hai usi me khushi dundh leta hai..
ReplyDeleteकड़वा सच....सुंदर लिखा
ReplyDeleteहकीकत को बयां किया है,आपने.
ReplyDeleteएक ऐसा सच जिसे मानने का दिल न करे. काश सभी को सम्मानजनक जीने का मौका मिले.
ReplyDeleteबहुत खूब ,ख़ुशी स्थान और परिवेश की शायद मोहताज़ नहीं होती .वाह .
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