अपना अपना दीपावली उपहार - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 7 नवंबर 2015

अपना अपना दीपावली उपहार

ये जो तंग गली
सड़क किनारे बिखरा
शहर की बहुमंजिला इमारतों
घरों से
सालभर का जमा कबाड़
बाहर निकल आया
उत्सवी रंगत में
उसकी आहट से
कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं
उसे समेटने
यूँ ही खेलते-कूदते
आपस में लड़ते-झगड़ते
वे जानते हैं
त्यौहार में मिलता है
हर वर्ष सबको
अपना अपना दीपावली उपहार!
                             ...कविता रावत