अपना अपना दीपावली उपहार - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 7 नवंबर 2015

अपना अपना दीपावली उपहार

ये जो तंग गली
सड़क किनारे बिखरा
शहर की बहुमंजिला इमारतों
घरों से
सालभर का जमा कबाड़
बाहर निकल आया
उत्सवी रंगत में
उसकी आहट से
कुछ मासूम बच्चे
खुश हो निकल पड़े हैं
उसे समेटने
यूँ ही खेलते-कूदते
आपस में लड़ते-झगड़ते
वे जानते हैं
त्यौहार में मिलता है
हर वर्ष सबको
अपना अपना दीपावली उपहार!
                             ...कविता रावत

18 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

वो उसी में ख़ुशी ढूँढ लेते हैं

kuldeep thakur ने कहा…

सत्य कहा है आपने...

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

बस संतुष्टि की बात है ..ख़ुशी एक पल में मिल जाती है

vijay ने कहा…

हमारे सालभर के जमा कबाड़ से उपहार ढूंढ़ लेना ही जिनका नसीब है उनके लिए हम अपने और से थोड़ा बहुत भी कुछ कर लेंगे तो उनकी भी दीपावली हो जाएगी ख़ुशी से ......

Jay dev ने कहा…

सुखद अहसास |

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-11-2015) को "एक समय का कीजिए, दिन में अब उपवास" (चर्चा अंक 2153) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Unknown ने कहा…

क्योंकि वे जान गए हैं
हर वर्ष उनके भाग्य का
सुनिश्चित है
अपना अपना दीपावली उपहार!
......
त्यौहार में खुश होने का कोई तो बहाना मिल ही जाता है सबको .....

Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आज बातें कम, लिंक्स ज्यादा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

जमशेद आज़मी ने कहा…

बहुत खूब। बहुत ही शानदार।

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

उत्सव के नये नये रंग।

मन के - मनके ने कहा…

उत्सव तो उत्सव है.

Unknown ने कहा…

kya khoob...jo jis parivesh me rahta hai usi me khushi dundh leta hai..

रश्मि शर्मा ने कहा…

कड़वा सच....सुंदर लि‍खा

राजीव कुमार झा ने कहा…

हकीकत को बयां किया है,आपने.

रचना दीक्षित ने कहा…

एक ऐसा सच जिसे मानने का दिल न करे. काश सभी को सम्मानजनक जीने का मौका मिले.

RITA GUPTA ने कहा…

बहुत खूब ,ख़ुशी स्थान और परिवेश की शायद मोहताज़ नहीं होती .वाह .