मिला तेरा प्यारा भरा साथ
हुआ है मेरा दिल निहाल रे
आकर पास तू भी बता जरा
क्या है तेरे दिल का हाल रे
मिला प्यारा हमसफ़र जिंदगी का
दिल ने दिल से नाता जोड़ा रे
जब से प्यार में डूबना सीखा दिल ने
तब से मन ने उदास रहना छोड़ा रे
अब हुआ है दिल पागल प्यार में
तुझसे दूर नहीं कोई दिल का राज रे
अच्छा लगता तेरे प्यार में डूबना
अब तो सूझे नहीं दूजा कोई काज रे
डूबकर लिखूं प्यार भरी पाती
हुआ प्यार से दिल निहाल रे
उठा कलम तू भी लिख जरा
क्या है तेरे दिल का हाल रे।
वैवाहिक जीवन की 20वीं वर्षगांठ पर सोच रही थी कि क्या लिखूं, तो संदूकची में पड़ी डायरी याद आयी तो उसमें बहुत सी प्रेम पातियाँ निकलती गई। यादें ताजी हुई तो सोचा एक छोटी सी अबोध रचना प्रस्तुत कर दूँ।