जब मैं मायूस होती हूँ तो याद आता है माँ का संघर्ष - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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सोमवार, 9 मई 2016

जब मैं मायूस होती हूँ तो याद आता है माँ का संघर्ष


18 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बधाई

vijay ने कहा…

माँ का साथ कदम-कदम पर मिलता है
प्रेरक लेखन ..हार्दिक बधाई

Manoj Kumar ने कहा…

सुन्दर लेख !
बधाई हो कविता जी

Surya ने कहा…

awesome!

Anil Kumar Sharma ने कहा…

माँ महान होती हैं ।आपने उनकी जिजीविषा का भावपूर्ण चित्रण किया है ।माँ को नमन ।

Anil Kumar Sharma ने कहा…

माँ महान होती हैं ।आपने उनकी जिजीविषा का भावपूर्ण चित्रण किया है ।माँ को नमन ।

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्मदिवस - महाराणा प्रताप, गोपाल कृष्ण गोखले और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-05-2016) को "तेरी डिग्री कहाँ है ?" (चर्चा अंक-2339) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Hindikunj ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Hindikunj ने कहा…

बहुत ही अच्छा लेख !
हिंदीकुंज

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह बहुत ही बेहतरीन निश्चित रूप से प्रिंट के पाठकों तक पहुंचना चाहिए था ...बहुत ही अच्छा ..| जारी रहिये

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

भावनाओ से ओत प्रोत किन्तु मार्गदर्शक व प्रेरणास्रोत भी।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत ही ह्दय स्पशीॅ लेख।माता जी के स्वास्थ्य के लिए मै ईशवर से प्रार्थना करूँगी।

Jyoti Dehliwal ने कहा…

कविता जी, ईश्वर से प्रार्थना करती हु की आपकी मम्मी को स्वास्थ्य लाभ हो।

Unknown ने कहा…

Proud of your mother....
Praying to God for her...

Unknown ने कहा…

Proud of your mother....
Praying to God for her...

अभिव्यक्ति मेरी ने कहा…

बहुत ही संवेदनशील रचना। माँँ.....
सम्मान रूप क्या पानी दूँ ,इस जननी रूपी झरने को।

Unknown ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना....कविता जी आपका यह लेख बहुत ही भावपूर्ण व एक माँ के कर्तव्यों का वर्णन है कि किस तरह से एक माँ अपनी परवाह किये बिना अपने कर्तव्यों का पालन करना नही भूलती.......आप ऐसी रचनाओं को शब्दनगरी में भी प्रकाशित कर शब्दनगरी पाठकों को भी ऐसी रचनाओं का आनंद लेने दें......