हम पानी का मोल क्यों नहीं समझ पा रहे हैं? - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 22 मार्च 2017

हम पानी का मोल क्यों नहीं समझ पा रहे हैं?

 22 मार्च पानी बचाने  का संकल्प, उसके महत्व को जानने  और संरक्षण के लिए सचेत होने का दिन है।   अनुसंधानों से पता चला है  कि विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नही मिल रहा है। पानी के बिना मानव जीवन की कल्पना अधूरी है। इस विषय पर आज सबको गहन मंथन की आवश्यकता है कि 'जल की एक-एक बूँद कीमती है, 'जल बचाओ' , जंगल बचाओ' , जल ही जीवन है' बिन पानी सब सून' - ये उक्तियाँ अब मात्र नारे नहीं बल्कि जीवन की आवश्यकता बन गई हैं। जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन से जल-आपूर्ति आज के युग की गंभीर समस्या बन गयी है।   बिना एकजुट होकर जागरूक न होने से इस समस्या से निजात नहीं मिल सकती है।  यदि जल संकट के प्रति हम सचेत और दृढ संकल्पित होकर आगे नहीं आये तो वैज्ञानिक आइन्स्टीन की कही बात सच न हो जाय, जिसमें उन्होंने कहा था की तीसरा महायुद्ध चाहे परमाणु अस्त्रों से लड़ लिया जाय पर चौथा महायुद्ध यदि होगा तो पत्थरों से लड़ा जायेगा और इससे एक कदम आगे बढ़कर नास्त्रेदम ने भविष्यवाणी की थी कि चौथा महायुद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा?  यदि इस भविष्यवाणी को झुठलाना है तो पानी की एक-एक बूँद बचाने के लिए हर व्यक्ति को संकल्पित होकर अपने-अपने स्तर  से पहल करते हुए आगे आना होगा।  

17 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

जल संरक्षण का महत्त्व बताती बहुत सार्थक चिंतनीय पोस्ट है आपकी... पानी बचाना ज़रूरी है.............

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सार्थक पोस्ट।

Sudha Devrani ने कहा…

जल संरक्षण महत्वपूर्ण है हमें पानी का मोल समझना चाहिए
सार्थक प्रस्तुति

Digvijay Agrawal ने कहा…

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 24 मार्च 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Jyoti Dehliwal ने कहा…

यदि हर इंसान जल का महत्व समझकर उसका अपव्यय न करे तो पानी समस्या ही न हो। सुन्दर प्रस्तुति।

kumar gulshan ने कहा…

ये बातें सोचने को मजबूर करती है उम्दा पोस्ट

ANKIT SACHAN ने कहा…

bhut hi sarthk post hai

बेनामी ने कहा…

अर्थपूर्ण

तरूण कुमार ने कहा…

जल,जगल और जमीन अब लगातार कम होते जा रहें हैं। हम आज भी इनको लेकर सचेत नहीं हैं। आने वाला कल कैसा होगा ...... इसकी कल्पना आज की जा सकती हैं....................

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

आपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है http://rakeshkirachanay.blogspot.in/2017/03/12.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

अति महत्वपूर्ण लेख।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपका का कहना सच है ... पानी के महत्त्व को मानव समाज समझ ही नहीं पा रहा है ... जब कमी होनी शुरू होगी तब समझ आएगा की देर हो गयी है ... सार्थाक आलेख बहुत सामयिक ...

'एकलव्य' ने कहा…

आपका लेख "अब्दुल रहीम ख़ानख़ाना" की ये पंक्तियाँ याद दिलातीं हैं।
रहीमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून
पानी गए ना उबरै ,मोती,मानस चून।।

आपका धन्यवाद। "एकलव्य"

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

जल दिवस पर जल का महत्व बताती सराहनीय प्रस्तुति। स्वर्गीय अनुपम मिश्र ( जलपुरुष) के बाद जल को लेकर सार्थक प्रयास और जनजागरूकता का बीड़ा कौन उठाएगा?

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

सचमुच, इतनी चेतावनियों के बावजूद हम पानी के मोल को नहीं समझ पा रहे हैं । आने वाली पीढ़ियाँ हमें कोसेंगी ।
सामयिक और चिंतनीय आलेख ।

Rajesh Kumar Rai ने कहा…

पानी की कमी के संकेत वहाँ से भी मिलने शुरू हो गए है जहां कभी पानी की अधिकता थी ! लेकिन लोग समझने को तैयार नहीं है ! सार्थक लेख।

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपका का कहना सच है ...