भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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रविवार, 6 अगस्त 2017

भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन

रिमझिम सावनी फुहार-संग
पावन पर्व रक्षाबंधन आया है
घर-संसार खोई बहिना को
मायके वालों ने बुलाया है

मन में सबसे मिलने की उमंग
धमा-चैकड़ी मचाने का मन है
पता है जहाँ सुकूं भरी जिंदगी
वह बचपन का घर-आंगन है

याद है छोटी-छोटी बातों पर मुंह फुलाना
कभी हंसते-गाते, खुशी-खुशी स्कूल जाना
कभी मां के हाथों से खेल-खेल में खाना
कभी झूठ-मूठ कभी थपकी लेकर सोना

खूब याद वो नन्हा घर-संसार अपना
जहाँ खेलते-कूदते लड़-झगड़ बैठते थे
पर ज्यों ही बड़ों की डांट पड़ती तो
फट से फिर एक हो जाया करते थे

जहाँ मन में भला-बुरा न अपना-पराया
वही बचपन जीने का ख्याल आया है
भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन
बचपन के दिन अपने साथ लाया है।                               ...कविता रावत



9 टिप्‍पणियां:

  1. भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन
    सुन्दर रचना

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  2. जीवन पथ पर परिस्थितिवश बिछुड़ गए भाई-बहनों को मिलाने के लिए ही शायद राखी और दूज के त्यौहार बनाए गए थे

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  3. बहुत सुन्दर कविता , रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाओं सहित .
    हिन्दीकुंज,हिंदी वेबसाइट/लिटरेरी वेब पत्रिका

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  4. बहुत ही बेहतरीन article लिखा है आपने। Share करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। :) :)

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  5. आपसी सम्बन्धों का बस बन्धन होता है मन का मन से !

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  6. एक ऐसा त्यौहार जो जो अपने बचपन, अपने घर परिवार से पुनः मिलाता है ... उन यादों से मिलवाता है जो दिल को सुकून देती हैं ... इस प्रेम की कोई मिसाल नहीं है ...

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  7. रक्षाबंधन तो एक बहाना होता हैं हर लड़की को अपने मायके जाने का मायका क्या होता हैं यह सिर्फ़ ससुराल गयी हुईं लड़की ही बता सकती हैं, मायका बचपन की यादोँ में खो जाने की जगह, जहा प्यार से हमारे सारी जीद पूरी की जाती हैं,बहुत ही सुंदर प्रस्तुति.

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