भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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रविवार, 6 अगस्त 2017

भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन

रिमझिम सावनी फुहार-संग
पावन पर्व रक्षाबंधन आया है
घर-संसार खोई बहिना को
मायके वालों ने बुलाया है

मन में सबसे मिलने की उमंग
धमा-चैकड़ी मचाने का मन है
पता है जहाँ सुकूं भरी जिंदगी
वह बचपन का घर-आंगन है

याद है छोटी-छोटी बातों पर मुंह फुलाना
कभी हंसते-गाते, खुशी-खुशी स्कूल जाना
कभी मां के हाथों से खेल-खेल में खाना
कभी झूठ-मूठ कभी थपकी लेकर सोना

खूब याद वो नन्हा घर-संसार अपना
जहाँ खेलते-कूदते लड़-झगड़ बैठते थे
पर ज्यों ही बड़ों की डांट पड़ती तो
फट से फिर एक हो जाया करते थे

जहाँ मन में भला-बुरा न अपना-पराया
वही बचपन जीने का ख्याल आया है
भाई-बहिन का प्यारा बंधन रक्षाबंधन
बचपन के दिन अपने साथ लाया है।                               ...कविता रावत