एक उम्मीद
जिसकी नाउम्मीदी पर
उठती है मन में खीज, झुंझलाहट
निराश मन कोसता बार-बार
उम्मीद उनसे जो खुद
उम्मीद में जीते-पलते हैं
उम्मीद उनसे लगा बैठते हैं
परिणाम वही पश्चाताप
दफ़न होती उम्मीदें
जहाँ से जुड़ने की उम्मीद
वहीं से टूटता मन
सुनता कौन है बात उनकी
जो दबा वक्त के क्रूर पंजों में
सुनाने को बहुतेरे मिलते हैं
मगर अपने कितने होते हैं?
इस स्वार्थभरी दुनिया में
अक्सर जहाँ आदमी हो जाता है
अपनों की ही भीड़ में
सबसे अलग-थलग
सोचो, फिर आसान कहाँ
उसके लिए जीना?
बावजूद इसके
एक उम्मीद की किरण
सदा जीवित रहती है
मन के किसी कोने में
जो जरूरी है जीने के लिए
......कविता रावत
जिसकी नाउम्मीदी पर
उठती है मन में खीज, झुंझलाहट
निराश मन कोसता बार-बार
उम्मीद उनसे जो खुद
उम्मीद में जीते-पलते हैं
उम्मीद उनसे लगा बैठते हैं
परिणाम वही पश्चाताप
दफ़न होती उम्मीदें
जहाँ से जुड़ने की उम्मीद
वहीं से टूटता मन
सुनता कौन है बात उनकी
जो दबा वक्त के क्रूर पंजों में
सुनाने को बहुतेरे मिलते हैं
मगर अपने कितने होते हैं?
इस स्वार्थभरी दुनिया में
अक्सर जहाँ आदमी हो जाता है
अपनों की ही भीड़ में
सबसे अलग-थलग
सोचो, फिर आसान कहाँ
उसके लिए जीना?
बावजूद इसके
एक उम्मीद की किरण
सदा जीवित रहती है
मन के किसी कोने में
जो जरूरी है जीने के लिए
......कविता रावत
जी, सही कहा उम्मीद पे ही दुनिया कायम है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सकारात्मक भाव व्यक्त करती आपकी कविता।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंजी आदरनीय कविता जी -- सच है जो उम्मीद ना हो तो कैसे इस दुनिया में कोई जी सकता है | दिन को रात की तो रात को सुबह की उम्मीद होती है | एक- एक दिन की प्रत्याशा में जीवन कट जाता है | सादर शुभकामना -----
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, डॉ॰ वर्गीज़ कुरियन - 'फादर ऑफ़ द वाइट रेवोलुशन' “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (10-09-2017) को "चमन का सिंगार करना चाहिए" (चर्चा अंक 2723) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही कहा
जवाब देंहटाएंसा है,अगर न बची रहे उम्मीद हमारे भीतर तो हम अपनी आत्मा के संग साथ कैसे जी पायेन्गे. इस भौतिकता वादी समय में हमे हमारे साथ ही जीना सीखना होगा.बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. सादर
जवाब देंहटाएंजीने के लिए उम्मीद जरूरी...
जवाब देंहटाएंवाह !!!
लाजवाब प्रस्तुति...
उम्मीद जरूरी है, यह तो सभी मानते हैं किंतु उम्मीद किससे लगाई जाए यह तय कर लेना चाहिए वरना बाद में उम्मीद टूटने पर उबरना कठिन हो जाता है ! बखूबी उभारा है आपने इस बात को रचना में । सादर।
जवाब देंहटाएंये उम्मीद ही तो है जो जीवने की इच्छा बनाये रखती है | अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंउम्मीद पर ही जीवन टिका हैं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंउम्मीद ही जीवन जीने का भरोसा बॉधती है।
जवाब देंहटाएंउम्मीद उनसे जो खुद
जवाब देंहटाएंउम्मीद में जीते-पलते हैं
उम्मीद उनसे लगा बैठते हैं..
नैराश्य के बावज़ूद भी आस कायम रहनी चाहिये। बहुत अर्थपरक रचना। बहुत प्रभावी
Nice post ... keep sharing this kind of article with us......visit www.dialusedu.blogspot.in for amazing posts ......jo sayad hi aapne kbhi padhe ho.....ek bar jarur visit kren
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