कहता दूर नहीं हरदम तेरे करीब रहूँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
देख तेरी प्यार भरी निगाहें
दिल तुझमें डूबने लगता
इतना प्यार भरा है दिल में
बरबस ही खिंचा चला आता
चाहती हैं निगाहें तुझमें डूबी रहे
बेबस निगाहें कैसे रोक पाऊँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
एकपल की दूरी भी अखरती

जितनी भी दूरी बनानी चाही
उतना ही प्यार भरा दर्द बढ़ता
ये मीठा दर्द और ये ख्याल दूरी का
नासमझ दिल कैसे इसे समझाऊँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
तारे गिन-गिन कटती रातें
तुझे देख मन का सूरज उगता
दिनभर नाचे मन-मयूर इधर-उधर
शाम ढले जाने कहाँं छिपता
न दिल न मन रहता पास
अब तुम्हीं बताओ कैसे खबरदार रहूँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
सुखद अहसास तेरे मिलन का
अच्छा लगता प्यार में खो जाना
कैसा प्यार जो बना देता पागल
पागलपन में दिल का खुश होना
मिला प्यार बन गया तराना
फिर दुनिया से मैं क्यों डरूँ
समझ न आता राज प्यार का
कैसे तुझको प्यार करूँ
...........कविता रावत
कभी प्यार में ऐसे ही जाने कितने ही मन में ख्याल उमड़-घुमड़कर बरसते रहते। अब तो घर-परिवार के बीच बमुश्किल कुछ विशेष अवसरों पर ही कभी-कभार उन दिनों की यादें ताज़ी कर खुश होने के दिन हाथ लगते हैं। आज ऐसा ही एक अवसर है मेरे हमसफ़र के जन्मदिन का आया है तो, उन बीतें प्यार भरे लम्हों की यादें ताज़ी करने का मन हुआ है।
वाह! अनुराग की अद्भुत रागिनी!! बधाई और आभार!!!
जवाब देंहटाएंविशेष अवसरों पर प्रेम पातियाँ अपने रंग में रंग ही देती हैं
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर, बहुत बधाई!
super
जवाब देंहटाएंsundar rachna. mere blog par bhi aaiye
जवाब देंहटाएंhttp://iwillrocknow.blogspot.in/
प्यार से ओतप्रोत बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०५ फरवरी २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
बैहद खूबसूरत.. रचना कविता दी👌💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "मित्र मंडली" में लिंक की गई है https://rakeshkirachanay.blogspot.in/2018/02/55.html पर आप सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता। सादर बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यार से भरी प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यार से भरी प्यारी रचना
जवाब देंहटाएंअनुरागी मन का सरस गान !!!!!! अनुपम भावों से भरी सुंदर रचना | सादर -----
जवाब देंहटाएंवाकई प्रेम में मन पागल हो जाता है
जवाब देंहटाएंशाश्वत प्रेम की शाश्वत अनुभूति
बहुत सुंदर रचना
सादर
बहुत सुन्दर कविता, कविता जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअत्यंत ही मन भावना प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंअत्यंत ही प्यारी कविता!
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण उर प्रेममय रचना ...
जवाब देंहटाएंअनेक बार मन के भाव रचना को स्वाभाविक बना देते हैं ...
nice
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