ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।
ठण्ड अथवा बरसात के मौसम की अपेक्षा गर्मियों में सबसे ज्यादा शादी-ब्याह होते हैं। शादी-ब्याह अगर घर के आस-पास हो तो रात को घूमते-घामते एक के बाद एक शामिल होने में ज्यादा कष्ट की अनुभूति नहीं होती। लेकिन अगर शादी दूर किसी रिश्तेदार के घर हो, तो सौ बार सोचना पड़ता है। बावजूद इसके जब हमें जबलपुर रहने वाले एक निकट संबंधी का विवाह निमंत्रण पत्र मिला तो हमने फौरन गर्मी से हाल-बेहाल होते मन की सुनते हुए शादी में सम्मिलित होने एवं भेड़ाघाट में नौका-विहार का आनन्द उठाने का कार्यक्रम निश्चित कर लिया।
गर्मियों में नौका-विहार करना अत्यन्त आनन्दप्रद होता है। नर्मदा का शान्त और शीतल वातावरण मन में अपूर्व आल्हाद उत्पन्न करता है। ऊंची-नीची विभिन्न रंग वाली संगमरमरी चट्टानों के अनोखे सौंदर्य में जब नौका मंथर गति से आगे बढ़ती है और उसमें सवार सभी ‘नर्मदा मैया की जै‘ का उद्घोष करते रहते हैं तो थका-हरा मन तरंगित होकर तरोताजगी से भर उठता है।
भेड़ाघाट में धुआंधार जल प्रपात के बाद जब नौका-विहार को निकले तो नौका-विहार को मोबाईल में कैद कर लिया, जिसे यू-ट्यूब में पोस्ट किया तो सोचा ब्लाॅग में भी पोस्ट करती चलूँ।
मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।