अंधेरे घर में चांद का उजाला जितने दिन उतना भला - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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गुरुवार, 16 मई 2024

अंधेरे घर में चांद का उजाला जितने दिन उतना भला


गलत ढंग से कमाया धन गलत ढंग से खर्च हो जाता है
बड़ी आसानी से मिलने वाला आसानी से खो भी जाता है

दूध की कमाई दूध और पानी की पानी में जाती है
चोरी की ऊन ज्यादा दिन गर्माइश नहीं देती है

एक नुकसान होने पर नुकसान होते चले जाते हैं
लाभ की चाहत में बुद्धिमान भी मूर्ख बन जाते हैं

हर लाभ के साथ कोई न कोई हानि जुड़ी रहती है
बिना परिश्रम की कमाई लड़ाई में गंवाई जाती है

बाल्टी डूब जाने के बाद रस्सी को नहीं फेंका जाता है
आग जलाने वाले को धुआं भी सहन करना पड़ता है

अंधेरे घर में चांद का उजाला जितने दिन उतना भला
ठंड में ठिठुरने से आंखो में धुआं बर्दाश्त करना भला

कस्तूरी की व्यापार हानि से मिट्टी के व्यापार से लाभ कमाना भला
अपमान के साथ मिले लाभ से सम्मान के साथ हानि उठाना भला

....कविता रावत

16 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत ख़ूब ...
तीखी प्रखर बात रखने का आपका अपना अन्दाज़ है जो सीधे प्रहार करता है अंदर तक ... हर छन्द लाजवाब है ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (08-04-2017) को "करो सतत् अभ्यास" (चर्चा अंक-2934) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

बहुत सुंदर

रेणु ने कहा…

सरल -सरल सी बात और सीख सुहानी !!!!!!!!!! सादर -

Unknown ने कहा…

धारदार रचना ..........................

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बढ़िया सीख देती बहुत धारदार रचना।

Onkar ने कहा…

सुंदर रचना

Udan Tashtari ने कहा…

वाह लाजबाब

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत सुंदर.

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर सीख देती लाजवाब अभिव्यक्ति....
वाह!!!!

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

गागर में सागर चरितार्थ है।

'एकलव्य' ने कहा…

आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

निमंत्रण

विशेष : 'सोमवार' ०९ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में आदरणीय 'रवींद्र' सिंह यादव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।

अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

सच्चाई और ईमानदारी से की गई कमाई ही आदर्श समाज के निर्माण में सहायक है। सुन्दर कविता।

संजय भास्‍कर ने कहा…

छन्द लाजवाब है ...

Satish Saxena ने कहा…


स्वाभिमान का आनंद अवर्णनीय है !