कल की मुर्गी से आज का अंडा भला होता है। लोकोक्तियों की कविता - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपनी कविता, कहानी, गीत, गजल, लेख, यात्रा संस्मरण और संस्मरण द्वारा अपने विचारों व भावनाओं को अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का हार्दिक स्वागत है।

रविवार, 9 जून 2024

कल की मुर्गी से आज का अंडा भला होता है। लोकोक्तियों की कविता



जब तक चूजे अंडे से बाहर न आ  जाएं
तब तक उनकी गिनती नहीं करनी चाहिए
जब तक ताजा पानी न मिल जाए
तब तक बासा पानी नहीं फेंकना चाहिए

भालू को मारने से पहले उसके खाल की कीमत नहीं लगानी चाहिए
मछली पकड़ने से पहले ही उसके तलने की बात नहीं करनी चाहिए

हाथ आई चिड़िया आसमान उड़ते गिद्द से अच्छी होती है
दूर की बड़ी मछली से पास की छोटी मछली भली होती है

पास का खुरदरा पत्थर दूर चिकने पत्थर से अच्छा होता है
बहुत बार प्याला होठों तक आते-आते हाथ से छूट जाता है

एक छोटा उपहार किसी वचन से बड़ा होता है
कल की मुर्गी से आज का अंडा भला होता है


16 टिप्‍पणियां:

Rohitas Ghorela ने कहा…

बहोत खूब ..सच्ची बात

हाथ पकडती है और कहती है ये बाब ना रख (गजल 4)

Meena sharma ने कहा…

हर पंक्ति सुनने, समझने और गुनने लायक। बहुत सार्थक रचना आदरणीया कविता जी

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (20-05-2018) को "वो ही अधिक अमीर" (चर्चा अंक-2976) (चर्चा अंक-2969) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Sweta sinha ने कहा…

बहुत सुंदर सार्थक रचना कविता जी।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर

HARSHVARDHAN ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन रस्किन बांड और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

सुंदर प्रस्तुति .

Jyoti Dehliwal ने कहा…

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, कविता जी।

Pammi singh'tripti' ने कहा…

सुंदर और शिक्षाप्रद रचना..

Sudha Devrani ने कहा…

बहुत सुन्दर सार्थक , शिक्षाप्रद रचना...
वाह!!!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…

बहुत बढिया, शुभकामनाएं।
जानिए क्या है बस्तर का सल्फ़ी लंदा

'एकलव्य' ने कहा…

निमंत्रण

विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

Gyani Pandit ने कहा…

बहुत सुंदर रचना कविता जी, बहुत ही अच्छे अर्थ के साथ. और साथ ही विचार करने जैसी रचना.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत खूब ...
क्या करना क्या नहीं ... कब करना है कब नहीं ... इन्ही सब बातों का मूल्यांकन करती हुयी लाजवाब पोस्ट है ..
गहरी बातें है जिनको सोचना जरूरी है ...

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

क्या करें और क्या न करें, के निहितार्थ ज्ञान संकलन।