हमारे तीसरे ब्लॉगर साथी श्री अजीत वडनेरकर हैं। जिनके ब्लॉग "शब्दों का सफर" से हम सभी चिर-परिचित हैं। इनके द्वारा अब तक अपने ब्लॉग में विभिन्न भाषाओं से आकर हिंदी में समाये और बोलचाल की भाषा को समृद्ध बनाने वाले लगभग दस हज़ार शब्दों के जन्मसूत्र की पड़ताल और विवेचना का महत्वपूर्ण कार्य किया जा चुका हैं। इनका ब्लॉग "शब्दों का सफर" हिंदी के सर्वाधिक लोकप्रिय ब्लॉग साइट्स में है। इनकी "शब्दों का सफर" पुस्तक से दूसरे खंड की पाण्डुलिपि का चयन प्रतिष्ठित विद्यानिवास मिश्र कृति-पांडुलिपि सम्मान के लिए हुआ। श्री वडनेर जी को राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान अलंकरण से सम्मानित किया गया। माधव राव सप्रे स्मृति संग्रहालय एवं शोध संस्थान के प्रतिष्ठित लाल बलदेवसिंह पुरस्कार सम्मान से सम्मानित श्री अजीत वडनेरकर दस खण्डों में विभक्त व्युत्पत्ति विवेचना कोश की रचना में संलग्न हैं।
इसके अलावा जिन दो अन्य हिंदी सेवियों को मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण प्रदान किया गया। उनमें एक डॉ. हाइंस वेर्नर वेस्लर, स्वीडन हैं, जिन्हें राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान अलंकरण से सम्मानित किया गया। साउथ एशियाई भाषाओँ और संस्कृतियों पर ध्यान देने के साथ-साथ इंडोलॉजी में कार्यरत डॉ. हाइंस प्रोफ़ेसर हैं। जो उप्साला में साउथ एशियाई भाषा-विज्ञान और भाषा-शास्त्र में शिक्षण और अनुसन्धान की पुराणी परम्परा को जीवित रखे हैं। इनकी पृष्ठभूमि शास्त्रीय इंडोलॉजी है, लेकिन कई वर्षों से इनका प्रयास हिंदी और उर्दू में लिखित भारत और पाकिस्तान की संस्कृति, इतिहास, धर्म और समाज के साहित्य पर केंद्रित है। फणीश्वर नाथ रेणु के मैला आँचल, चिकित्सा आधुनिकता और क्षेत्रवाद का निर्माण, अंग्रेजी के साथ उर्दू मुहावरों और कहावतों की शब्दावली तथा मॉरीशस और विश्व समाचार हिंदी जैसे शोध-लेखों के माध्यम से इन्होंने अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज की है। इसके पूर्व इन्हें हिंदी जगत के प्रतिष्ठित पुरस्कार विश्व हिंदी सम्मान एवं जॉर्ज गियर्सन पुरस्कार प्राप्त है।
हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण के तहत पाँचवे हिंदी सेवी श्री जयंत विष्णु नार्लीकर हैं, जिन्हें राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान" से सम्मानित किया गया। श्री नार्लीकर जी एक भारतीय खगोल भौतिकीविद हैं, जिन्हें ब्रह्माण्ड विज्ञान, गुरुत्वाकर्षण और सैद्धांतिक खगोल भौतिकी में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। इनका विज्ञान साहित्य में अमूल्य योगदान है। विज्ञान प्रसार द्वारा प्रकाशित इनके प्रकाशित संग्रह 'कृष्ण विवर और अन्य विज्ञान कथाएं में 14 विज्ञान कथाएं संग्रहित हैं। जिसमें कृष्ण विवर, नौलखा हार, धूमकेतु, अंतिम विकल्प, दाईं सूंड के गणेशजी, टाइम मशीन का करिश्मा, पुत्रवती भव, अहंकार, वायरस, ताराश्म, ट्राय का घोडा, छिपा हुआ तारा, विस्फोट एवं यक्षों की देन चर्चित कहानी हैं। श्री जयंत विष्णु नार्लीकर इस सम्मान से पूर्व 'स्मिथ पुरस्कार,एडम्स एडम्स पुरस्कार, भटनागर पुरस्कार, एम.पी. बिड़ला पुरस्कार तथा कलिंग पुरस्कार सहित भारत सरकार द्वारा पदम् भूषण तथा पदम् विभूषण से विभूषित हैं।
हिन्दी दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण से सम्मानित पाँचों हिंदी सेवियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
... कविता रावत