फिर वही बात हर किसी ने छेड़ी हैं - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 11 दिसंबर 2009

फिर वही बात हर किसी ने छेड़ी हैं



अक्सर एकाकीपन ही मुझे अच्छा लगता
अपनेपन से भरा साथ मिले किसी का
जैसे यह दिखता कोई सुन्दर सपना है
अपने पास तो आंसू ही शेष ऐसे दिखते
जो वक्त-बेवक्त साथ देते अपना है
न होंठों पर खिलकर हंसीं आ पाई कभी
न शायद मुस्कान कभी लौट सकती है
हँस-हँस कर ही जीना जिंदगी है
ये अक्सर मुझसे मेरी वेदना कहती है
ये जिंदगी नहीं उदास रहने की
तू हरदम क्यों उदास हो जाती है
दुःख में भी मुस्कराना सीख ले
ये दुखभरी घड़ियाँ अक्सर कहती है
पर खुशियाँ तू अबतक नसीब न हुई
सिर्फ देखती आयी हूँ सुनहरे सपने
होता गम अगर सीने में कुछ कम
तो छुपा लेती उसे सीने में अपने
दर्द छुपाना चाहा मैंने हरदम
पर पीड़ा कुछ कम होती नहीं
हँसना चाहती हूँ मैं भी जीभर कर
पर होंठों तक मुस्कान आती नहीं
ख़ुशी तो मिलती है जिंदगी में मगर
हर राह मिलती मुझे टेढ़ी है
बातें जो जख्मी कर जाते दिल को
फिर वही बात हर किसी ने छेड़ी हैं

copyright@Kavita Rawat

15 टिप्‍पणियां:

  1. अपने मनोभावों को बहुर सुन्दर शब्द दिए हैं बधाई।

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  2. ख़ुशी तो मिलती है जिंदगी में मगर
    हर राह मिलती मुझे टेढ़ी है
    रचना अच्छी लगी। बधाई।

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  3. दुनिया की यही रही रीत है, पुराने जख्मों को हवा देना।
    वैसे भाव बहुत सुंदर हैं, मन को छू गये।
    ------------------
    सलीम खान का हृदय परिवर्तन हो चुका है।
    नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।

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  4. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

    संजय कुमार
    हरियाणा
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  5. बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों में

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  6. jai ho !

    achhi rachna
    rochak post !

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  7. pratikool paristhitiyo se joojhata chitran . samvedana paida kar gai aapakee rachana .

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  8. मन को छूने वाले भावों को बहुत ही सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्त किया है आपने ।सुन्दर रचना।
    हेमन्त कुमार

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  9. बहुत सुंदर रचना

    pls visit...
    www.dweepanter.blogspot.com

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