देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी - Kavita Rawat Blog, Kahani, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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बुधवार, 16 दिसंबर 2009

देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी



देश में एक ओर जहाँ शांतिप्रिय श्रीरामजी ने राज किया
वहीँ दूसरी ओर अत्याचारी घमंडी रावण ने भी राज किया
दोनों ओर ही थे धुरंधर यौद्धा और थे निपुण धनुषधारी
देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी

देश में राज्य पहले भी थे जिनके राजा आपस में लड़ते-रहते थे
स्व राज्य विस्तार के महालोभ में ये आपस में मार-काट करते थे
चाटुकारी स्वामिभक्तों के बीच छुटपुट हुआ करते थे परोपकारी
देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी

अंग्रेज आये थे व्यापार करने पर शोषण कर नाक में कर गए दम
तब देश में देशप्रेमी मौजूद थे जो दरिंदों को भागने में हुए सक्षम
वे दुष्ट गए तो गए टुकड़े कर देश में रोष व्याप्त कर गए भारी
देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी

आज भी देश में जगह-जगह अशांति के बादल छाते जा रहे हैं
कोई रावण तो कोई द्रुयोधन बनकर देश को अशांत कर रहे हैं
शांतिदूत मूक बन बैठते जब अशांति का तांडव मचता है भारी
देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी

राजनेता देशप्रेम का मुखौटा ओढ़कर अपने लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं
कोई पहन रहा घोटालों का ताज तो कोई भ्रष्टाचार की चादर ओढ़ रहे हैं
जात-पात, ऊँच-नीच, अमीर- गरीब का भेदभाव अब तक है जारी
देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी

copyright@Kavita Rawat

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।
    ढेर सारी शुभकामनायें.

    संजय कुमार
    हरियाणा
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  2. bilkul sach manav pravarte me koi chage nahee aaya.aur jab tak swarth kee rah nahee chodate aane wala bhee nahee.sunder rachana
    badhai1

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  3. आज भी देश में जगह-जगह अशांति के बादल छाते जा रहे हैं
    कोई रावण तो कोई द्रुयोधन बनकर देश को अशांत कर रहे हैं
    शांतिदूत मूक बन बैठते जब अशांति का तांडव मचता है भारी
    देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी
    कविता बहुत सही कहा है लाजवाब कविता है और
    जात-पात, ऊँच-नीच, अमीर- गरीब का भेदभाव अब तक है जारी
    देश की जो रीति पहले थी वह समझो अब तक है जारी
    बिलकुल सही बात है जब तक भेद भाव जारी रहेंगे तब तक देश मे शान्ति नहीं हो सकती मगर दुख की बात यही है कि ये घटने की बजाये बढ रहा है। धन्यवाद और शुभकामनायें

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  4. कल 12/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  5. बहुत अच्छी और सार्थक पोस्ट...
    सादर.

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  6. सुन्दर सामयिक प्रस्तुति...
    सादर

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  7. सटीक अभिव्यक्ति.

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