वक्त बदलेगा जरुर - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 19 दिसंबर 2009

वक्त बदलेगा जरुर


मेहनत करना बहुत अच्छी बात है और अपनी- अपनी जगह सभी मेहनत करते हैं लेकिन उसका फल किसको कितना मिले, यह सब भाग्य पर निर्भर करता है. कर्म के साथ यदि भाग्य जुड जाता है तो मन मुताबिक फल मिल ही जाता है लेकिन यदि भाग्य विमुख हो तो आशातीत सफलता नहीं मिलती. कई लोगों की किस्मत में खूब मेहनत करना ही लिखा रहता है और वे मेहनत करते रहते हैं इसी आशा में कि कभी न कभी तो उनका भी वक्त आएगा, उनकी भी अपनी सुबह होगी .........

सुबह घर से निकलती हूँ उम्मीदों के पर लगाकर
शाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है

copyright@Kavita Rawat

19 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…

humari shubhkamnaye aapke sath ahi

संजय भास्‍कर ने कहा…

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

Apanatva ने कहा…

sukh kee neend to mehnat karane walo ko hee naseeb hai jee .all the best.

मनोज कुमार ने कहा…

वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
और वक़्त सदा एक सा नहीं रहता, इसका पहिया घुमता रहता है..बदलता है, अपनत्व जी की बातों से एकमत हूं ।

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

ज्योति सिंह ने कहा…

सुबह घर से निकलती हूँ उम्मीदों के पर लगाकर
शाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है
bhagya aur karm par aapke vichar padhkar achchha laga

Ajit Pal Singh Daia ने कहा…

सुबह घर से निकलती हूँ उम्मीदों के पर लगाकर
शाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है

ITS LOVELY..BADHAI..
@AJIT

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

Wakai.....Waqt badlega jaroor...

Ashish (Ashu) ने कहा…

मन को छूती रचना.

बेनामी ने कहा…

"वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है"
सच के बेहद करीब, अति सुंदर.
- राकेश कौशिक

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

kitni umeed hai rachna me to waqt ko to badlna hoga..

Anupama Tripathi ने कहा…

शनिवार १७-९-११ को आपकी पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया पधार कर अपने सुविचार ज़रूर दें ...!!आभार.

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

आशान्वित करती सुन्दर प्रस्तुति

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

वक़्त बदलेगा जरुर...
अच्छी प्रस्तुति...
सादर...

pankaj ने कहा…

भावमय करते शब्‍दों के साथ बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

Manoj ने कहा…

aap jaisa dost pakar mai dhanya ho gaya.......

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

आशा से आकाश थमा है ,....... सकारात्मक सोच !
जन्नत में जल प्रलय !

Mankirat ने कहा…

good