मेहनत करना बहुत अच्छी बात है और अपनी- अपनी जगह सभी मेहनत करते हैं लेकिन उसका फल किसको कितना मिले, यह सब भाग्य पर निर्भर करता है. कर्म के साथ यदि भाग्य जुड जाता है तो मन मुताबिक फल मिल ही जाता है लेकिन यदि भाग्य विमुख हो तो आशातीत सफलता नहीं मिलती. कई लोगों की किस्मत में खूब मेहनत करना ही लिखा रहता है और वे मेहनत करते रहते हैं इसी आशा में कि कभी न कभी तो उनका भी वक्त आएगा, उनकी भी अपनी सुबह होगी .........
शाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है
copyright@Kavita Rawat
humari shubhkamnaye aapke sath ahi
ReplyDeleteहर शब्द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeletesukh kee neend to mehnat karane walo ko hee naseeb hai jee .all the best.
ReplyDeleteवक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
ReplyDeleteऔर वक़्त सदा एक सा नहीं रहता, इसका पहिया घुमता रहता है..बदलता है, अपनत्व जी की बातों से एकमत हूं ।
nice
ReplyDeleteसुबह घर से निकलती हूँ उम्मीदों के पर लगाकर
ReplyDeleteशाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है
bhagya aur karm par aapke vichar padhkar achchha laga
सुबह घर से निकलती हूँ उम्मीदों के पर लगाकर
ReplyDeleteशाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है
ITS LOVELY..BADHAI..
@AJIT
Wakai.....Waqt badlega jaroor...
ReplyDeleteमन को छूती रचना.
ReplyDelete"वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है"
ReplyDeleteसच के बेहद करीब, अति सुंदर.
- राकेश कौशिक
kitni umeed hai rachna me to waqt ko to badlna hoga..
ReplyDeleteशनिवार १७-९-११ को आपकी पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया पधार कर अपने सुविचार ज़रूर दें ...!!आभार.
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआशान्वित करती सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteवक़्त बदलेगा जरुर...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति...
सादर...
भावमय करते शब्दों के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteaap jaisa dost pakar mai dhanya ho gaya.......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (08-09-2014) को "उसके बग़ैर कितने ज़माने गुज़र गए" (चर्चा मंच 1730) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आशा से आकाश थमा है ,....... सकारात्मक सोच !
ReplyDeleteजन्नत में जल प्रलय !