वक्त बदलेगा जरुर - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शनिवार, 19 दिसंबर 2009

वक्त बदलेगा जरुर


मेहनत करना बहुत अच्छी बात है और अपनी- अपनी जगह सभी मेहनत करते हैं लेकिन उसका फल किसको कितना मिले, यह सब भाग्य पर निर्भर करता है. कर्म के साथ यदि भाग्य जुड जाता है तो मन मुताबिक फल मिल ही जाता है लेकिन यदि भाग्य विमुख हो तो आशातीत सफलता नहीं मिलती. कई लोगों की किस्मत में खूब मेहनत करना ही लिखा रहता है और वे मेहनत करते रहते हैं इसी आशा में कि कभी न कभी तो उनका भी वक्त आएगा, उनकी भी अपनी सुबह होगी .........

सुबह घर से निकलती हूँ उम्मीदों के पर लगाकर
शाम को गुम सी हो जाती हूँ दिनभर के अंधियारों में
रात को खो जाती हूँ जिंदगी के सुनहरे सपनों में
दिनभर भटकती फिरती हूँ धुंधभरी गलियारों में
न कहीं दिल को सुकूँ मिलता और न दिखता आराम
पता नहीं कब हो जाती सुबह कब ढल जाती शाम
वक्त बदलेगा जरुर हर शख्स मुझसे यही कहता है
पर वह वक्त आएगा कब यह सपना सा दिखता है

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