
दिन-रात की किचकिच, पिटपिट से तंग भागी बीबी
वह अपना दुखड़ा सबको सुनाता फिरता है
'चिंता मत कर आ जायेगी एक दिन घर'
पास बैठ कोई अपना समझाने लगता है
ऊँच-नीच की चलती दो चार बातें
फिर होता गला तर, गम धुएं में उड़ता है
है अच्छा दस्तूर गम गफलत का
यह सब चलता रहता है!
जब संत-स्वामी खूब रंग जमाकर
खबरी चैनलों पर आकर छा जातें हैं
तब जनता, सरकार हमारी बड़ी श्रद्धालु
समझ चमत्कार बड़े जतन से देखते हैं
'कब समझेगें चमत्कार चक्कर इनका'
देख करतूत जब कोई कुछ कहना चाहता है
तो पास बैठा उसी को आंख दिखाता?'
यह सब चलता रहता है!
जब दबंगों ने बेक़सूर दलित बुजुर्ग को
पीट-पीट कर सरेआम सारे गाँव घुमाया
तब किसी ने अमानवीय कृत्य कह पला झाड़ा
तो किसी ने महज राजनीतिक हाथकंडा बताया
बात न बिगड़े उठ खड़ा कोई समझदार
घुड़क कर सबको सब समझा देता है
'किसी ने न कुछ देखा न सुना'
यह सब चलता रहता है!
छोटी सी जिंदगी में खूब मौज-मस्ती कर ली
कच्ची-पक्की जैसे मिली सब हजम कर ली
पर जब फेफड़ों ने फडकना बंद किया
तो कमबख्त शरीर ने भी साथ छोड़ दिया
देख हश्र हर दिन खाने-पीने वाला साथी
इसे 'ऊपर वाले की मर्जी' घोषित करता है
'ख़ुशी- गम की अचूक दवा बनी सोमरस'?
यह सब चलता रहता है!
किसी को रुखी-सूखी कौर भी हजम नहीं यहाँ
पर कोई चट लाखों-करोड़ों हजम कर जाता है
'नहीं नसीब में जिसके तो कहाँ से मिलेगा भैया'?
यह सब चलता रहता है!
पढने-लिखने घर से निकला बन-ठन लाड़ला
जाकर पार्क, इन्टरनेट में डेटिंग-चेटिंग करता है!
देख फुर्सत किसको क्या पड़ी समझा दे भैया'?
यह सब चलता रहता है!
घरेलू हिंसा, दहेज़, ज्यादती, अपमान, भुखमरी, गुंडागर्दी
कमी कहाँ? जिनके मन हरदम यह सब रमता है
'चलो छोड़ो दुनियाभर की बेमतलब चिकचिक'!
यह सब तो चलता रहता है!
- कविता रावत
सब चलता है .... हम शायद संवेदनहीन हो गये हैं ... मोटी चॅम्डी वाले ... चुप चाप कन्नी काट लेने वाले ....
ReplyDeleteaaj kee soch ko aaina dikhatee rachana..........
ReplyDeletesabhee apanee raag alapne me mast hai jamane kee fikr karane ke liye doosare bahut hai ye hee soch sabkee hai.
bahut sunder abhivykti .
मनुष्य की गुम होती हुई संवेदना पर यह करारा व्यंग्य है ।
ReplyDeletewaah.....khoti samvednaaon ko gahre shabd diye hain
ReplyDelete....रचना बेहद प्रभावशाली है,बधाई !!!!
ReplyDeleteaaj ke sachchai ko ujagar karti ek prabhavshali rachana -----------------sir digam nasava ji ke shabdon mein -ham sachmuch samvedanhin ho gaye hain ,akchharshah satya hai.
ReplyDeletepoonam
sahi kahan sab chalta hain
ReplyDeleteउमदा रचना । शुभकामनायें
ReplyDeleteसच्चाई का सुंदर वर्णन किया है आपने ! महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें !!
ReplyDeleteaaj ke sachchai ko ujagar karti ek prabhavshali rachana
ReplyDeleteबाप रे बाप क्या सटीक चोट की है और किस अंदाज़ में दिल भर आया और अपने आप सोचने पर मजबूर हो गया की क्या इस सबका कोई अंत नहीं? दिल से बधाई स्वीकारें
ReplyDeletekavita ji padh kar mann udaas ho gaya....jab bahut gussa aata hai to aankhein aansuon se bhar jaati hain...
ReplyDeleteसब चलता रहता है...
ReplyDeleteयह तो आज के लोगों का कहने दस्तूर है .बहुत अच्छी लगी यह रचना.
सच्चाई को आपने बहुत ही सुन्दर रुप में शब्दों के माध्यम से उकेरा है. धन्यवाद..
ReplyDeleteचलो छोड़ो दुनियाभर की बेमतलब चिकचिक'!
ReplyDeleteयह सब तो चलता रहता है!
bahut khoob......!!
वाह वाह बहुत खूब! सच्चाई को आपने बखूबी शब्दों में पिरोया है! उम्दा रचना!
ReplyDeletewaah jhalkiya bahut hi prabhavshaali rahi ,zabardast vyang ,mahila divas ki badhai
ReplyDeleteसचमुच सब चलता है हमारे देश में...सुन्दर रचना.
ReplyDeleteVery nice creation !
ReplyDeleteचलो छोड़ो दुनियाभर की बेमतलब चिकचिक यह सब तो चलता रहता है!.... bahut sahi baat kahi aapne, insaani swabhaaw yahi hai n...
ReplyDeleteजब दबंगों ने बेक़सूर दलित बुजुर्ग को
ReplyDeleteपीट-पीट कर सरेआम सारे गाँव घुमाया
तब किसी ने अमानवीय कृत्य कह पला झाड़ा
तो किसी ने महज राजनीतिक हाथकंडा बताया
बात न बिगड़े उठ खड़ा कोई समझदार
घुड़क कर सबको सब समझा देता है
'किसी ने न कुछ देखा न सुना'
यह सब चलता रहता है!
यह तकिया कलाम ‘ सब चलता है ’ चलताउ विश्व का चालू जुमला है । अच्छी नक्कासी है।