शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
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About कविता रावत
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मैं शैल-शिला, नदिका, पुण्यस्थल, देवभूमि उत्तराखंड की संतति, प्रकृति की धरोहर ताल-तलैयों, शैल-शिखरों की सुरम्य नगरी भोपाल मध्यप्रदेश में निवासरत हूँ। मैंने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वर्तमान में स्कूल शिक्षा विभाग, भोपाल में कर्मरत हूँ। भोपाल गैस त्रासदी की मार झेलने वाले हजारों में से एक हूँ। ऐसी विषम परिस्थितियों में मेरे अंदर उमड़ी संवेदना से लेखन की शुरुआत हुई, शायद इसीलिए मैं आज आम आदमी के दुःख-दर्द, ख़ुशी-गम को अपने करीब ही पाती हूँ, जैसे वे मेरे अपने ही हैं। ब्लॉग मेरे लिए एक ऐसा सामाजिक मंच है जहाँ मैं अपने आपको एक विश्वव्यापी परिवार के सदस्य के रूप में देख पा रही हूँ, जिस पर अपने मन/दिल में उमड़ते-घुमड़ते खट्टे-मीठे, अनुभवों व विचारों को बांट पाने में समर्थ हो पा रही हूँ।
19 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर
होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
"आओ सद्भाव, एकता, प्रेम, समरसता के रंग घोलें
बना स्नेह कुण्ड भर पिचकारी बरस फुहार होली खेलें"
होली "मंगल-मिलन" की हार्दिक शुभकामनाएं
आपको व आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें
....होली की हार्दिक शुभकामनाएं !!!
होली कि ढेर सारी सुबह शुभकामनाएं
बहुत सुन्दर
होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ
HOLI KI BHADHAI.
होली की बहुत-बहुत शुभकामनायें.
होली के गीत गाओ री .... बहुत सुंदर रचना है होली के दिन .... रंगों की बहार छा रहो है .....
आपको और समस्त परिवार को होली की शुभ-कामनाएँ .....
कविता जी आपको व परिवार को होली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ। कविता बहुत अच्छी लगी धन्यवाद
है साथ रंगभरी सौगात ख़ुशी की लेकर होली आयी
देखो! गाँव-शहर मची धूम सबके मन रंग कितना भायी
होली की शुभकानाएं!
आपके और आपके परिवार के लिए होली मंगलमय हो!
रंगों का त्योहार मुबारक हो।
खुशियों की फुहार मुबारक हो।
Rajiv Ojha
आपको और आपके परिवार को होली पर्व की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
आपको भी रंगपर्व की शुभकामनायें ।
रंगारंग उत्सव पर आपको हार्दिक शुभकामनायें !
होली का हर रंग दे, खुशियाँ कीर्ति समृद्धि.
मनोकामना पूर्ण हों, सद्भावों की वृद्धि..
स्वजनों-परिजन को मिले, हम सब का शुभ-स्नेह.
ज्यों की त्यों चादर रखें, हम हो सकें विदेह..
प्रकृति का मिलकर करें, हम मानव श्रृंगार.
दस दिश नवल बहार हो, कहीं न हो अंगार..
स्नेह-सौख्य-सद्भाव के, खूब लगायें रंग.
'सलिल' नहीं नफरत करे, जीवन को बदरंग..
जला होलिका को करें, पूजें हम इस रात.
रंग-गुलाल से खेलते, खुश हो देख प्रभात..
भाषा बोलें स्नेह की, जोड़ें मन के तार.
यही विरासत सनातन, सबको बाटें प्यार..
शब्दों का क्या? भाव ही, होते 'सलिल' प्रधान.
जो होली पर प्यार दे, सचमुच बहुत महान.
happy holi
lets burn the bad customs of India with this holi
help me madam ji
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