हर बात हमारी है निराली - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

हर बात हमारी है निराली

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हमारे देश में नारी के लिए "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता" यानि  जहाँ नारी की पूजा की जाती है, वहां देवता रमते हैं. लेकिन वास्तव में  कुछ ऐसा दिखता नज़र नहीं आता है. आज जिस तरह से नारी संबोधनकारी गलियों
-->की बौछार सरेआम होते दिखती है, जिसमें अनपढ़ हो या पढ़े-लिखे सभी गाहे-बजाये शामिल होते दिखते हैं, उससे साफ़ झलकता हैं कि हमारा आज का  सुसंस्कृत समाज इस दिशा में कितनी तरक्की कर रहा है.  क्या यह स्वस्थ समाज की दिशा में बाधक नहीं है? ......................
प्रस्तुत हैं
कुछ झांकियां..... .....

सड़क, बस या हो रेल का कोई सफ़र
हम रहते सदा चिंतामुक्त और बेखबर
हर जगह अपने ही लोग नज़र आये हमें
फिर काहे की चिंता! क्यों देखें इधर-उधर
माफ़ करना गर फिसले जुबाँ कभी
और झरे मोती बनकर  दो-चार गाली
आजाद देश के आजाद पंछी है हम
हर बात हमारी है निराली!

हम ड्राईवर सबको ढ़ोते फिरते
चाहे चपरासी हो या कोई अफसर
पर जब आते टेंशन में हम भैय्या
तब दिखता न घर न दफ्तर
पान-गुटखा-बीडी-सिगरेट साथ देते
और है जुबाँ की शान हमारी गाली
आजाद देश के आजाद पंछी है हम
हर बात हमारी है निराली!

बहुत सीधे-साधे किस्म के जीव है हम
चाय-गुटका-दारु से काम चला लेते हैं
रीढ़ की हड्डी हैं हम सरकार की भैय्या
हम सबके प्यारे बाबू कहलाते हैं
सबकुछ सीख लिया हमने भी भैय्या
किसको प्यार, किसको देनी है गाली
आजाद देश के आजाद पंछी है हम
हर बात हमारी है निराली!

जनता का सारा बोझ सर पर हमारे
हम मिलजुल, सोच-समझकर काम करते हैं
हम सीख गए बखूबी गोटियाँ जमाना भैय्या
तभी तो हम नेता-अफसर कहलाते हैं
पर अगर कोई बिगाड़ दे बना खेल अपना
तो हम पुचकार कर उसे देते दो-चार गाली
आजाद देश के आजाद पंछी है हम
हर बात हमारी है निराली!

सड़क, घर-दफ्तर, पार्क या कहीं सफ़र में
जमती चौकड़ी, होती चर्चा, बंटती मुफ्त गाली
कोई कुछ भी बके चुप खिसक लेना भैय्या
है अपनी जनता पर है बहुत भोली-भाली

-Kavita Rawat