एक दिन पार्वतीजी शिवजी से बोली-
"भगवन! भूलोक पर आज लोग इतना कमर्काण्ड करते है
फिर भी वे क्यों इसके लाभ से वंचिंत रह जाते है?
प्रश्न सुन गंभीर होकर शिवजी बोले-
"चलो हम भूलोक चलकर तुमको आँखों देखी दिखलाएं
क्यों निष्फल हो रहे हैं पूजा-पाठ रहस्य समझाएं"
शिवरात्रि का शुभ दिन भीड़ बहुत थी मंदिर में
भूखे-नंगे चीथड़ों में लिपटी बेजान जानें बैठ आस लगाये थे
कि कोई तो शिव के नाम देगा कुछ न कुछ पेट भर
यही सोच धसीं आँखों से सबपर अपनी गिद्ध-दृष्टि जमाये थे
पार्वती जी बन बैठी सुंदरी साध्वी पत्नी
शिवजी ने कोढ़ी रूप धर लिया
वहीँ शिव मंदिर की सीढ़ियों में
दोनों ने अपना आसन जमा दिया
सज-धज शिव दर्शन को आते -जाते लोग
बीच राह में देख कोढ़ी को नाक-भौं सिकोड़ते
पर देख साथ में सुंदरी साध्वी बैठी
रख बुरी नीयत, घूरकर सिक्के उछालते
देख यह पाखंड कुत्सित स्वरुप मंदिर में
पार्वती जी मन ही मन बहुत घबराई
"लौट चलिए अब अपने कैलाश पर"
पति अपमान वह सहन न कर पाई
निराश हो बैरंग लौटे शिव-पार्वती जी
तब महाशिवरात्रि को जब ध्यान लगाया
तो कुछ ही गिने चुने सच्चे भक्त दिखे
बाकी सब में धार्मिक आडम्बर ही पाया
'यह कैसी सर्वोत्कर्ष्ट, शक्तिशाली कृति हमारी'
बेवस हो आँखों देखी दोनों सोच में डूब गए
कब समझेगें इंसान, इंसान को इंसान जैसे
कैसे,किसको समझाएं वे भी हिम्मत हार बैठे
सभी ब्लोग्गर्स को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें.
-Kavita Rawat
14 टिप्पणियां:
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
SHUBHKAMNAYE
Kavita kavita bahut acchee lagee aur tumhara sawal bhee jayaj hai.......
Shivratree kee shubhkamnae........................
सच्चे भाव दर्शाती सुंदर रचना - महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
...शुभकामनाएं!!!
बढिया प्रस्तुति । महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।
एहि बिधि जग हरि आश्रित रहई।
जदपि असत्य देख दुख अहई॥
जौं सपने सिर काटै कोई।
बिनु जागै न दूरि दुख होई॥
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
शिव के इस पर्व पर बहुत सटीक लिखा है .... सच में आज सच्चे मन की श्रधा कम ही दिखाई देती है ........ .
आपको महा-शिवरात्रि पर्व की बहुत बहुत बधाई .......
महाशिवरात्रि की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें.
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।
तो कुछ ही गिने चुने सच्चे भक्त दिखे
बाकी सब में धार्मिक आडम्बर ही पाया
'यह कैसी सर्वोत्कर्ष्ट, शक्तिशाली कृति हमारी'
बेवस हो आँखों देखी दोनों सोच में डूब गए
कब समझेगें इंसान, इंसान को इंसान जैसे
कैसे,किसको समझाएं वे भी हिम्मत हार बैठे
सही बात है आज आडम्बर अधिक है और सच्ची भक्ति कम अच्ची रचना के लिये बधाई महा शिव्रात्रि की शुभकामनायें
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत बढ़िया लगा !
कविता जी, बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण कविता है। साथ लगे चित्रों ने पोस्ट को आकर्षक बना दिया है। पूनम
bilkul sahi kaha aapne
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