तनिक सी आहट होती
चौंक उठता आतुर मन
जैसे आ गए वे
जिसका रहता है
दिल को अक्सर
इन्तजार
हर बार
बार-बार
बार-बार.
वे दिल के करीब रहकर भी
कभी-कभी जाने क्यों?
दूर दूर नज़र आते हैं
अपनों के बीच रहकर
कभी-कभी जाने क्यों?
अजनबी से दिखते हैं
यह देख उठती दिल में
गहरी टीस
अति धारदार
हर बार
बार-बार
बार-बार.
गुजरे करीब से जब भी वे
तन-मन में सिहरन सी उठती है
थोड़ी सी निगाह पड़ी जब भी
सीधे दिल पर वार करती है
पागल मन बुनता सप्तरंगी सपने
भागता पीछे-पीछे
और फिर बहती प्रेमनद
बन अति तीव्रधार
हर बार
बार-बार
बार-बार.
-कविता रावत