तनिक सी आहट - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शुक्रवार, 9 अप्रैल 2010

तनिक सी आहट











तनिक सी आहट होती
चौंक उठता आतुर मन
जैसे आ गए वे
जिसका रहता है
दिल को अक्सर
इन्तजार
हर बार
बार-बार
बार-बार.

वे दिल के करीब रहकर भी
कभी-कभी जाने क्यों?
दूर दूर नज़र आते हैं
अपनों के बीच रहकर
कभी-कभी जाने क्यों?
अजनबी से दिखते हैं
यह देख उठती दिल में
गहरी टीस
अति धारदार
हर बार
बार-बार
बार-बार.

गुजरे करीब से जब भी वे
तन-मन में सिहरन सी उठती है
थोड़ी सी निगाह पड़ी जब भी
सीधे दिल पर वार करती है
पागल मन बुनता सप्तरंगी सपने
भागता पीछे-पीछे
और फिर बहती प्रेमनद
बन अति तीव्रधार
हर बार
बार-बार
बार-बार.

-कविता रावत