जब भी तुम्हारा ख्याल आता है
दिल में मीठा सा दर्द उठता है
और तुम उतरने लगते हो दिल में
गहरे, अति गहरे रंग के तरह जो जमकर उतरता नहीं
तुम वही रंग मुझे लगते हो
जो मुझमें समाये दिखते हो
जब भी दिल की धड़कन बढ़ती हैं
लगता है जैसे महसूस कर तुम्हें करीब
वे डूबकर प्यारभरी बातें करती हैं
तुम्हारा दिल भी तो धड़कता होगा
बन धड़कन प्यार की करीब आता होगा
फिर प्यारभरी बस्ती में दौड़-घूमकर
कोई खूबसूरत तराना सुनाता होगा
'यूँ ही प्यार में डूबा रहूँ' कहता होगा
तुमको सोच-सोच बुनती हूँ प्रेमरंग-तरंग
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ
.....कविता रावत
44 टिप्पणियां:
लाजवाब रचना .....प्रेम रस में डूबी ये ....सुन्दर रचना
Beautiful creation !
Badhai.
बहुत मार्मिक कविता।
सच भी है....प्यार की दास्ताँ तुम सुनो तो कहें
जब भी तुम्हारा ख्याल आता है
दिल में मीठा सा दर्द उठता है
और तुम उतरने लगते हो दिल में
गहरे, अति गहरे रंग के तरह
क्या खूब प्रेमाभिव्यक्ति है
तुमको सोच-सोच बुनती हूँ प्रेमरंग-तरंग
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ
wow !!!!!!!!!
bahut khub
shkhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
wow !!!!!!!!!
bahut khub
shkhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
लाजवाब रचना ....सुन्दर रचना........
bahut sunder.......
bahut sundar Kavita ji...
shringaar ka achcha sanyojan...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ
........लाजवाब ,मार्मिक रचना
bhavnao ka ye rang pyara laga...............
sada khush raho aur sabko rakho .
...अतिसुन्दर, प्रसंशनीय !!
बहुत सुंदर.
धनयवाद.आप बलाग पर आई.कहा थी आज तक....सुदर रचना..
प्रेम रस में रची रचना...
लाजवाब ....बहुत अच्छी लगी यह कविता....
जब भी तुम्हारा ख्याल आता है
दिल में मीठा सा दर्द उठता है
कविता जी यही तो दर्द है....जो कभी ज्यादा चोट दे जाती है .पर चुपके चुपके...
लाजवाब, मार्मिक और अमूल्य कवीता.
"नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ"
बहुत सुंदर शब्द रचना
भावनाओँ पर मीरा का प्रभाव । उत्कट समर्पण ।
Bahut achchi kavita......
Badhiya likha hai aap ne.
प्यारी कविता
वे डूबकर प्यारभरी बातें करती हैं
तुम्हारा दिल भी तो धड़कता होगा
दिल जब धडकता है तो चुप कहाँ रहता है
बेहतरीन रचना
प्रेम की भावनात्मक अभिव्यक्ति .... किसी की प्रेम-धुन बन जाना .... स्वयं किसी को महसूस करना ... बहुत ही लाजवाब रचना ...
बहुत अच्छा लगा पढ़कर
जब-जब मचता घमासान अंतर्मन में तब-तब साकार हो उठती है कविता -अबकी बात अंतर्मन में उनका ख्याल आया ,गहरा रंग समाया , फिर आया उनके दिल के धड़कने का ख्याल और प्रेम धुन की कविता हुई तैयार तत्काल
बहुत बेहतरीन रचना।
सुन्दर प्रेमगीत. पढ कर पता नहीं क्यों "पुष्प की अभिलाषा" याद आ गई जबकि इन दोनों एं कोई साम्य नहीं, सिवाय अभिलाषी होने के. बधाई.
जब भी तुम्हारा ख्याल आता है
दिल में मीठा सा दर्द उठता है
और तुम उतरने लगते हो दिल में
गहरे, अति गहरे रंग के तरह
achchhi rachna gahre prem ko vyakt karti hui .
Loving self is a step towards loving others.
तुम्हारा दिल भी तो धड़कता होगा
बन धड़कन प्यार की करीब आता होगा
फिर प्यारभरी बस्ती में दौड़-घूमकर
कोई खूबसूरत तराना सुनाता होगा
'यूँ ही प्यार में डूबा रहूँ' कहता होगा
तुमको सोच-सोच बुनती हूँ प्रेमरंग-तरंग
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ
प्रेम रस में डूबी अंतर्मन की गहराइयों से लिखी कविता ......!!
बहुत सुंदर.....!!
प्रेम की सुन्दर और भावनात्मक अभिव्यक्ति!! बधाई.
आपकी कविता मुझे भी पसंद आई.
______________
'पाखी की दुनिया' में इस बार माउन्ट हैरियट की सैर करना न भूलें !!
अच्छा प्रेम गीत है ..लेकिन अभी नया कहने के लिये भी बहुत कुछ है ।
तुमको सोच-सोच बुनती हूँ प्रेमरंग-तरंग
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ
Kitne nazakat bhare ehsaas hain!
bahut sundar rachna. jab bhi mauka mile hamare blog par bhi aaiyega http://1minuteplease.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर, शानदार और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
kavita ji aapke blog par pahli baar aana hua hai. rachna achchi lagi.....kya aap uttarakhand se hai.....
और तुम उतरने लगते हो दिल में
गहरे, अति गहरे रंग के तरह
क्या खूब प्रेमाभिव्यक्ति है
Maaf kijiyga kai dino busy hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
बहुत ही उत्तम रचना है
कल 17/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
हलचल के माध्यम से इस पुरानी रचना तक पहुँची............
बहुत सुंदर ...
अनु
तुमको सोच-सोच बुनती हूँ प्रेमरंग-तरंग
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ ....
बहुत सुन्दर कोमल भाव ...!
सुंदर भाव
एक टिप्पणी भेजें