हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शुक्रवार, 16 अप्रैल 2010

हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ

जब भी तुम्हारा ख्याल आता है
दिल में मीठा सा दर्द उठता है
और तुम उतरने लगते हो दिल में
गहरे, अति गहरे रंग के तरह
जो जमकर उतरता नहीं
तुम वही रंग मुझे लगते हो
जो मुझमें समाये दिखते हो
जब भी दिल की धड़कन बढ़ती हैं
लगता है जैसे महसूस कर तुम्हें करीब
वे डूबकर प्यारभरी बातें करती हैं
तुम्हारा दिल भी तो धड़कता होगा
बन धड़कन प्यार की करीब आता होगा
फिर प्यारभरी बस्ती में दौड़-घूमकर
कोई खूबसूरत तराना सुनाता होगा
'यूँ ही प्यार में डूबा रहूँ' कहता होगा
तुमको सोच-सोच बुनती हूँ प्रेमरंग-तरंग
नवगीत बन होठों पर सजती रहूँ
बस आरजू है रमकर प्रेमधुन में
हरपल तेरी चाहत बनी रहूँ

      .....कविता रावत