संघर्ष की सुखद अनुभूति - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

सोमवार, 4 अक्तूबर 2010

संघर्ष की सुखद अनुभूति

आशा और निराशा के बीच
झूलते-डूबते-उतराते
घोर निराशा के क्षण में भी
अविरल भाव से लक्ष्य प्राप्ति हेतु
आशावान बने रहना
बहुत मुश्किल पर नामुमकिन नही
होता है इसका अहसास
सफलता की सीढ़ी-दर-सीढ़ी
चढ़ने के उपरांत
चिर प्रतीक्षा चिर संघर्ष के बाद
मिलने वाली हर ख़ुशी
बेजोड़ व अनमोल है
क्योंकि इसकी सुखद अनुभूति
वही महसूस कर सकता है
जिसने हर हाल में रहकर
अपना सघर्ष जारी रखकर
कोशिश की सबको साथ लेकर
निरंतर बने रहने की
कभी भाग्य के भरोसे नहीं बैठे
लगे रहे कर्म अपना मानकर
और सफलता के मुकाम पर पहुचे
सगर्व, सम्मान
तभी तो कहा जाता है
आदमी अपने भाग्य से नहीं
अपने कर्म से महान होता है
छोटी-छोटी लड़ाईयां जीतने के बाद ही
कोई बड़ी जंग जीतता है

               .....कविता रावत