अँधियारा मिटाने आया दीपपर्व
आओ मिलकर पूजा थाल सजायें
फैले उजियारा हर घर आँगन ऐसा मिलकर कोई दीप जलायें!
गाँव-शहर में फैले खुशहाली
दु:खिया के घर भी मने दीवाली
मुरझाये चेहरों पर खुशियाँ लायें
ऐसा मिलकर कोई दीप जलायें!
ऊँच-नीच की खाई पाटकर
जात पात का बंधन मिटाकर
सदभाव, समभाव प्रकाश फैलायें
ऐसा मिलकर कोई दीप जलायें!
न हो कोई अपने घर में बेघर
बड़े-बुजुर्गों से न रहे कोई बेखबर
ऐसा मिलकर कोई दीप जलायें!
कर अहंकार, प्रपंच, स्वार्थ दमन
फिर रामराज सा करें नव-सृजन
सर्वहित संकल्प दीपोत्सव मनायें
ऐसा मिलकर कोई दीप जलायें!
सबको दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ
..कविता रावत