तुमको सोचने के बाद - Kavita Rawat Blog, Kahani, Kavita, Lekh, Yatra vritant, Sansmaran, Bacchon ka Kona
ब्लॉग के माध्यम से मेरा प्रयास है कि मैं अपने विचारों, भावनाओं को अपने पारिवारिक दायित्व निर्वहन के साथ-साथ कुछ सामाजिक दायित्व को समझते हुए सरलतम अभिव्यक्ति के माध्यम से लिपिबद्ध करते हुए अधिकाधिक जनमानस के निकट पहुँच सकूँ। इसके लिए आपके सुझाव, आलोचना, समालोचना आदि का स्वागत है। आप जो भी कहना चाहें बेहिचक लिखें, ताकि मैं अपने प्रयास में बेहत्तर कर सकने की दिशा में निरंतर अग्रसर बनी रह सकूँ|

शनिवार, 13 नवंबर 2010

तुमको सोचने के बाद

तुमको
सोचने के बाद
जाने क्यों
तुमसे बात करने की प्रबल इच्छा
जाग उठती है
तुमको
सोचने के बाद

डरती हूँ
कहीं जुबाँ पर
आ न जाएं वे बातें
जो पसंद न हों तुमको
बेचैन कर दें
मन को
भाव की भाषा चेहरे पर
दिखने न लगें
कहीं सबको
फूलों से लदी खुशगवार डाली देख


सोचती हूँ डाली के बारे में
तब क्या गुजरेगी डाली पर
जब फूलों से वीरान
आकर्षित न कर पाएगी
मुहं फेर बढ़ लेगा कोई अपना
जो आता था कभी करीब
अपना समझ प्यार भरे कदमों से
और चुन ले जाता कुछ फूल
मान,सम्मान, पूजा की खातिर
बेधड़क, बेरोकटोक

मन दो कदम पीछे हटता है
दिल दो कदम आगे बढ़ता है
पर अंतर्मन रोकता है बमुश्किल
फिर चेहरा तुम्हारा
झूम आता है आँखों में
तुम उतरते हो
दिल की अतल गहराईयों में
जिसके छोर को पकड़ पाना
नामुमकिन सा लगता है

बस एक द्वंद्ध चलता है
बस मन यूं ही तपता है
कभी हँसता, रुलाता
कभी अनजान बन
दुनिया की भीड़ में खो जाता है
फिर कभी अचानक ही
बदली बन गरज-चमक कर
प्रेम बगिया पर आ
बरसने लगता है
तुमको
सोचने के बाद
जाने क्यों!

   ...कविता रावत