जो जागत है वो खोवत है
जो सोवत है वो पावत है
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में !
इधर-उधर बेमतलब जाना छोड़ो
सीधे घर नित अपने दौड़ो
छोड़ आपस की चिकचिक
चादर तान के घर में सोओ
भला क्या बनता है इस कदर
हरदिन यहां वहां भटकने में
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में !
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
जो मजा है नींद में बड़बड़ाने में!
@ Kavita Rawat
75 टिप्पणियां:
आदरणीय कविता रावत जी
नमस्कार !
आज बदले हुए मिजाज जीवन की हकीकत का .. सुन्दर चित्रण किया है आपने.. बहुत बढ़िया...
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
जो मजा है नींद में बड़बड़ाने में!
खासकर इन पंक्तियों ने रचना को एक अलग ही ऊँचाइयों पर पहुंचा दिया है शब्द नहीं हैं इनकी तारीफ के लिए मेरे पास...बहुत सुन्दर..
बहुत ही सुन्दर रचना उतना ही सुन्दर शव्द संयोजन किया है आपने - धन्यवाद ।
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
...bahut sunder ...abhi fir se so jane ka man kar raha hai....
ek soye huye samaj ko jagane ka ek naya andaaj,
ji bhar ke so lene ke baad hi yh samaj jagega isme koi sandeh nahi,
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
hmmmmm... ye maa ki jhunjhlahat hai yaa patni kee ? jo hai sahaj saral hai
बहुत ही सुन्दर रचना
धन्यवाद ।........
सोने वाले कब सुनते हैं किसी की व्यंग अच्छा लगा। शुभकामनायें।
bhut hi sundar .........maza aa gaya
kya kahne hain...........aapne to ek dum se jeene ka mayne hi badal diye...maja hame bhi aaya:)
aaj se hi sone ka samay badha deta hoon:P
बहुत सुन्दर, वैसे कविता जी , बुरा न माने तो एक बात कहूंगा कि सुरु में जो व्यंगात्मक शैली आपने अपनी रचना में रखी अंत में उसे सदेशात्मक न कर व्यंगात्मक ही रखती तो और प्रभावी रचना बनती !
Wah!wah!wah! Ha!Ha!Ha!Thoda bahut net pe aaneka kasht to bin soye uthana hee padega! Ya key board pe so jana chahiye?:):)
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
वाह ...बहुत ही खूबसूरत शब्द रचना ।
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में
यंहा पर तो आपने पूरी सरकारी कार्य शैली पर सुंदर व्यंग्य कसा है . शब्द संयोजन और धारा दोनों का प्रवाह निरंतर है
sabhyta kee seema me bandha sarkari karya shaily par bahut karara vyang .bahut prabhavit kar gaya.likhti rahen. badhai..
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में !
मेरे लिए यही कविता है......
सोने वालों के जगाने के लिए अच्छी कविता !
सुन्दर व्यंग्य !
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
जो मजा है नींद में बड़बड़ाने में!
एक नए भाव बोध और शिल्प के साथ रची गयी कविता ...व्यंग्यात्मक ढंग से सन्देश संप्रेषित करने में सक्षम है ...
बहुत सुंदर, वेसे आज कल यही सब हो भी रहा हे, व्यंग्यात्मक रचना के लिये आप का धन्यवाद
समाज का सत्य उद्घाटित करता व्यंग।
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में !
यही सब तो आजकल हो रहा है! आजादी के बाद से हम पूरी तरह जागे ही ही कहाँ हैं! जहाँ देखो वहीँ भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, चोरी-चकारी, चमचागिरी यही छाया है, अब तो लगता है जनक्रांति आ ही जानी चाहिए.. मुझे तो आपकी यह पोस्ट सोतों को जगाने का बहुत अच्छा तरीका लग रहा है.. सरकारी कामकाज के वही पुराने ढरे की बखिया अच्छी तरह उघाड़ी है आपने ..कविता जी आपका बहुत शुक्रिया!!
बस किसी तरह ये कमेन्ट डाल दूं काफी नीद आ रही है. कविता का आनंद सोते सोते ही लिया जायेगा
इधर-उधर बेमतलब जाना छोड़ो
सीधे घर नित अपने दौड़ो
छोड़ आपस की चिकचिक
चादर तान के घर में सोओ
भला क्या बनता है इस कदर
हरदिन यहां वहां भटकने में
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में !
क्या कहने कविता जी! आपका किसी भी बात को कहने का एक अलग ही अंदाज है | आपके ब्लॉग पर आकर कुछ न कुछ नया अनुभव होता है, कुछ न कुछ नयी बात प्रायोगिक तौर पर आपकी रचनाओं में देखने को मिलता है | समाज में फैली विसंगतियों को एक नए अंदाज में प्रस्तुत करने का आपका शगल बहुत प्रभावित करता है| बहुत अच्छी रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
सचमें,सोने में जो मज़ा है सोने वाले ही जाने.
आपकी रचना ने तो हमें जगा दिया है.
सलाम.
बहुत शानदार व्यंग्य है कविता जी!!
किस किस की फ़िक्र कीजिये, किस किस को रोईये,
आराम बड़ी चीज़ है, मुँह ढँक के सोईये!
किस-किस को याद करो, किस-किस को रोओ
आराम बडी चीज है, मुँह ढंककर सोओ.
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
..............
भला क्या बनता है इस कदर
हरदिन यहां वहां भटकने में
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में !
बहुत शानदार व्यंग्य है कविता जी!!
बहुत सुंदर, वेसे आज कल यही सब हो भी रहा है!
समाज में फैली विसंगतियों को एक नए अंदाज में प्रस्तुत करने का आपका शगल बहुत प्रभावित करता है| बहुत अच्छी रचना प्रस्तुति के लिए धन्यवाद
बहुत ही रोचक...आनंद आ गया पढ़कर
सपनों से बाहर आयें और जागें तो नारी को नमन एक रचना हमारी भी http://rajey.blogspot.com/
सटीक व्यंग्य सोने वालों पर और मधुर भाषा में कटाक्ष समय को यों ही खाने वालों पर ।
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
जो मजा है नींद में बड़बड़ाने में!
मैडम जी! हम तो एकदम टाईटल देखकर चौंक ही गए थे कि आज पढ़कर सोया जाय पर पढ़कर नींद उड़ गई. अच्छा निराला ढंग है आपके जागने का बिलकुल स्कूल टीचर की तरह! बहुत बढ़िया लगा ..आपको बहुत धन्यवाद
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
...........बहुत बढ़िया बात कही आपने. दुनिया को दिखावा करने के लिए रामनाम जपने वालों की कमी नहीं है, उनको जगाने का बहुत अच्छा तरीका ढूंढ़ लाई है आप! बड़ी ही सहजता से बहुत बड़ी बात कह जाना यही चीज आपके ब्लॉग तक खींच लाती है मुझे.... बहुत शुक्रिया आपका
आपको शुभकामना हेतु बहुत धन्यवाद-आपके आशीर्वाद का सतत आकांक्षी -
--मनोज मिश्र
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सीधे सादे शब्दों में सुंदर कविता पढवाने के लिय धन्यवाद , बधाई
बेहतरीन व्यंग्यात्मक भावाभिव्यक्ति. ऑफिस में तो यह नजारा आम होता है विशेषतः सरकारी ऑफिसों में. आभार.
आराम हराम है समर्थक नेहरूवादी सावधान!
इधर-उधर बेमतलब जाना छोड़ो
सीधे घर नित अपने दौड़ो
छोड़ आपस की चिकचिक
चादर तान के घर में सोओ
भला क्या बनता है इस कदर
हरदिन यहां वहां भटकने में
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में !
बहुत ही सुन्दर रचना उतना ही सुन्दर शव्द संयोजन किया है आपने ....बेहतरीन व्यंग्यात्मक भावाभिव्यक्ति. धन्यवाद ।
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
सटीक व्यंग्य दिखावा करने व सोने वालों पर और मधुर भाषा में कटाक्ष ...आभार
मीठा व्यंग्य।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
सोओ-सोओ सोते सोते ही
नित नए सपने बोओ
सो सोकर ही तुम नित
मन में रामनाम को लाओ
सो सोकर मजे उडाओ
भला क्या रखा है भजने में
वो मजा कहाँ जगने में
जो मजा है चैन से सोने में
bahut sundar ise dekhkar gopal ji kavita 'aaram karo 'yaad aa gayi jise bachpan me padhi rahi ,aapko apne blog par bahut dino baad dekhi ,behad prasnnata hui ,aabhari hoon dil se aapki .
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में !
मैडम जी!हमारे ऑफिस में तो बहतों को सोने में बड़ा मजा आता है.... क्या करें काम काज इतनता तो रहता नहीं . क्या करें . कुछ तो सट्टा-पट्टा में व्यस्त रहते हैं और कुछ थोडा बहुत काम बाकी सभी फरमाते हैं आराम .... आपने को कान खड़े कर दिए हमारे... कान पकड़कर सच कह रहा हूँ अब मैं नहीं सूऊंगा जी.... नहीं तो किसी दिन हमरी भी फोटो सारी दुनिया देख लेगी... मैंने तो ऑफिस में बहुत को पढ़ा भी ली है आपकी कविता, खूब मजा आया जी.. खूब लिखो जी हम जैसे लोग तब तक जागने का प्रयत्न करते हैं.... धन्यवाद जी.
मूदहूँ आँख कतऊँ कछु नाहीं -बढियां है !
रोचक शैली में सटीक व्यंग !
suder sabdo ka sanyog
dhanywaad
aapka aabhar
हा हा हा
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में !
सोने वाले कब सुनते हैं
रोचक शैली में सटीक व्यंग ! शुभकामनायें।
लाजवाब है आपका ब्लॉग..... आना पड़ेगा ज्ञानार्जन के लिए... धन्यवाद
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
bahut hee badhiya aaj kee hakeekat....
जो जागत है वो खोवत है
जो सोवत है वो पावत है ...
Apne to maayne badal diya ... vaise aaj ke maayne, is kalyug ke maayne yahi hain ...
सोने में आराम तो मिलता है.कविता बढ़िया है
इधर-उधर बेमतलब जाना छोड़ो
सीधे घर नित अपने दौड़ो
छोड़ आपस की चिकचिक
चादर तान के घर में सोओ
भला क्या बनता है इस कदर
हरदिन यहां वहां भटकने में
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में !
Very nice creation. Thanks
बढ़िया व्यंग्य कसा आपने...
निट्ठल्लों को खबरदार किया...पर मोटी चमड़ी जाग जाएँ,तो फिर समस्या ही क्या बचे...
करारा प्रहार। देखें कबतक लोग सोते है।
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
जो मजा है नींद में बड़बड़ाने में!
बहुत ही करारा लिखा है आपने! अब तो इंडिया को भी जागना होगा!! जागो! जागो!!! हम आपके साथ हैं !! धन्यवाद
Shayan sada hi sukhdayi,
jagrat awastha dukhdayi,
aankhein band to saapne hazar,
khuli aankh to sarvatra hahakaar.
Bahut acche vichar hain...sona waise bhi hitkar hai.ahladit hua padh kar.dhanyavaad.
इधर-उधर बेमतलब जाना छोड़ो
सीधे घर नित अपने दौड़ो
छोड़ आपस की चिकचिक
चादर तान के घर में सोओ
भला क्या बनता है इस कदर
हरदिन यहां वहां भटकने में
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में
bahut achhi kavita.. aapne samjhya hamne samjha.. aur bhi samjh jaai to phir kiya kahana.... bahut achha laga aapka blog..dhanyavad
यह बढ़िया लगा निकम्मा पुराण ! :-)
शुभकामनायें आपको !
बहुत ही सुन्दर रचना,
वाह जी वाह, बहुत बढिया।
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
जो मजा है नींद में बड़बड़ाने में!
निट्ठल्लों को खबरदार ..... करारा प्रहार ......मोटी चमड़ी जाग जाएँ,तो फिर क्या समस्या!
बहुत बढ़िया व्यंग्य कसा आपने...शुभकामनायें !
करारा प्रहार। देखें कबतक लोग सोते है।
बहुत बढ़िया व्यंग्य|
सबसे सदा मिलजुल रहा करो
ज्यादा ऊंची मत दिया करो
गप्पें मारो जब न आये निंदिया
आते ही निदिंया तुरंत सो जाओ
अब भला क्या होता गप्पियाने से
वो मजा कहाँ गप्पियाने में
बहुत ही बढिया। रचना उतना ही सुन्दर शव्द संयोजन........... धन्यवाद ।
very nice creation mam!!
waah , waah , kya khoob likha hai ji , main soch raha hoon ki mere alaas ke liye ek ek sahi kavita hai .. maza aa gaya aur thoda sa man halka bhi hua..
abdhayi
-----------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
Sunrar shabdon se saji..sundar kavita..badhai
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
Please let me know how write in hindi.gkandari3@gmail.com
एक कवि के शब्दों में :
" मेरी गीता के सच्चे योगी तो वो होते हैं ,
जो कम से कम बारह घंटे तो बे फ़िक्री से सोते हैं "
कहने का मन हो रहा है !
सुंदर कविता , कविता जी , अकर्मण्यता पर प्रहार करती हुई !
कल 31/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
haha mazaa aa gayaa padhke!! :)
वाह! :)))
करो रतजगा जाओ दफ़्तर
जाकर कुछ फाईल टटोलो
जब नींद का आए झौंका
बैठ बैठ झपकी ले लो
अब भला कौन सगा है
इन फाईलों के पन्ने में
वो मजा कहाँ इन्हें पलटने में
जो मजा है झपकने में !
......विचाराधीन सुझाव !!!!
बहुत रोचक और सटीक व्यंग...
waah ye bhi accha trika hai jgane ka....
वो मजा कहाँ चप्पल चटकाने में
जो मजा है नित खर्राने में !
वहुत खूब ......मजा आ गया
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