चाँद चढ़े, सूरज चढ़े दीपक जले हजार।
जिस घर में बालक नहीं वह घर निपट अंधियार।।
कभी रामलीला में गुरु वशिष्ठ के सम्मुख बड़े ही दीन भाव से राजा दशरथ के मुख से जब भी ये पंक्तियां सुना करती थी तो मन भारी हो जाया करता था। सोचती कि जब एक प्रतापी राजा को नि:संतान होने का इतना दुःख है तो आम आदमी के दुःख की परिधि क्या होगी? समय के साथ ही ऐसी परिस्थिति में जीते लोगों के दुःख को मैंने उनके बहुत करीब जाकर गहराई से जाना ही नहीं अपितु इसका कटु ज्ञान मुझे 10 वर्ष की कठिन तपस्या उपरांत पुत्र प्राप्ति के बाद भी मिला। मैंने अनुभव किया कि संतान न होने की पीड़ा राजा हो या रंक हमेशा ही सबमें समान रूप में विद्यमान है। एक ओर जहाँ वे अपने मन की व्यथा से अन्दर ही अन्दर घुटते रहने के लिए विवश रहते हैं वही दूसरी ओर जब कभी घर- समाज द्वारा उन्हें प्रताड़ित होना पड़ता है तो उनकी बुद्धि कुंठित होकर उन कठोर कहे गये शब्दों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है, जिससे वे और भी चिन्तित होकर दुःख के निराकरण की युक्ति ढूंढते रहते हैं। ऐसा ही दुःख महाराज दशरथ को भी अपनी 60000 वर्ष की आयु बीत जाने पर हुआ, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में बालकाण्ड सर्ग-20 में किया गया है। रामकथा वाचकों से बहुत पहले सुना एक प्रसंग याद रहा है कि एक बार राजा दशरथ जंगल में शिकार की खोज में निकले। बहुत देर बाद उन्हें एक हिरणी दिखाई दी वह उसके करीब पहुंचते इससे पहले ही वह भागने लगी। महाराज दशरथ भी उसके पीछे-पीछे भागते चले गए। जब हिरणी थक गई और उसे अपना अंत निकट लगा तो वह निकट ही एक सरोवर में कूद गई। राजा ने अवसर देख जैसे ही उस पर अपना बाण साधा वह हिरणी मनुष्य वाणी में बोली-“हे राजन्! तुम मुझे मारना चाहते हो लेकिन मैं निर्वंश क्षत्रिय राजा के हाथों से न मरने की कामना से ही इस सरोवर तक पहुंची हूँ। यदि आपने मुझे मारने की कोशिश की तो मैं इसी सरोवर में डूब जाउंगी लेकिन आप जैसे निर्वंशियों के हाथ नहीं मरूंगी।" ऐसे कठोर वचन सुनते ही महाराज दशरथ के हाथों से धनुष-बाण छूटकर नीचे गिर गए। वे सोच में पड़ गये कि यदि एक पशु भी मुझे धिक्कारता है तो मेरी प्रजा मुझे किस दृष्टि से देखती होगी? मेरी रानियों पर क्या गुजरती होगी? यह सोचते ही वे सीधे महल पहुंचे और उन्होंने अपनी व्यथा जब गुरु वशिष्ठ को सुनायी तो गुरु वशिष्ट के कहने पर श्रंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ संपन्न कराया गया। इससे महाराज दशरथ को चार पुत्रों की प्राप्ति हुई। यह माना जाता है कि भगवान कभी किसी के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं, वे तो अपने जन्म के समय ऐसी लीला करते हैं कि संसार के लोग अज्ञानवश उन्हें मानव समझ बैठते हैं। ऐसे ही भगवान विष्णु भी मां कौशल्या के सम्मुख चतुर्भुज रूप में प्रकट हुए। ऐसा करके उन्होंने पूर्व काल में कश्यप ऋषि और देव माता अदिति को दिए वचन को निभाने के लिए किया। क्योंकि देव माता अदिति को जिस समय भगवान विष्णु से उनके समान पुत्र का वरदान मिला उस समय वे चतुर्भज रूप में उनके सम्मुख विराजमान थे।
मानस में राजा दशरथ और मां कौशल्या के पूर्वकाल में ऋषि कश्यप और देव माता अदिति होने और वरदान स्वरुप स्वयं जन्म लेने का उल्लेख इस प्रकार किया गया है -
कश्यप अदिति महातप कीन्हा। तिन्ह कहूँ मैं पूरब वर दीन्हा।।
ते दशरथ कौसल्या रूपा। कोसल पुरी प्रगट नर भूपा।।
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भए प्रकट कृपाला, दीन दयाला, कौशल्या हितकारी।
हरषित मतहारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप विचारी।।
श्रीराम जय राम जय जय राम!
29 टिप्पणियां:
Nice post.
कविता जी आपका ब्लॉग सबसे अलग दिखता है .......बहुत ही सुंदर वर्णन किया है श्री राम प्रसंग का | रामनवमी की सपरिवार हार्दिक शुभकामना |
राम नवमी और नव वर्ष की शुभ कामनाएं कविता जी.....
जब एक प्रतापी राजा को नि:संतान होने का इतना दुःख है तो आम आदमी के दुःख की परिधि क्या होगी?...यह बात तो सही है
बहुत अच्छी पोस्ट!!
रामनवमी की शुभकामनाएँ!!
हार्दिक शुभकामनायें..... सब कुछ हमारे विश्वास और आस्था पर है , बहुत सुंदर पोस्ट
राम प्रसंग बहुत सुंदर कविता जी ...राम नवमी की शुभकामनाएँ .
बढ़िया लेख | शानदार प्रस्तुति | आभार |
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बहुत सुन्दर और सामयिक पोस्ट कविता जी......
आपको भी रामनवमी की शुभकामनाएं.
अनु
अच्छी पोस्ट ।
बहुत ही सुंदर वर्णन
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं,,,,
RECENT POST : प्यार में दर्द है,
संतानहीनता के कारण कोई पुरुष(सम्राट होकर भी) भी व्यथित हो सकता है, ऐसी पोस्ट मैंने पहली बार देखी है वरना तो इस मुद्दे पर पापुलर साहित्य\फ़िल्मों में हमेशा औरत का ही पक्ष उजागर होता रहा है। एकदम सही लिखा है आपने कि यह पीड़ा सबके लिये एक समान होती है।
राम नवमी की हार्दिक शुभकामनायें।
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं....
रामनवमी की ढेरों शुभकामनायें।
राम नवमी के अवसर को ध्यान में रख आपने अपने जीवन के भीतर के कुछ प्रसंगों का सही-सरल वर्णन किया है। आपका और बच्चों का जीवन सुखी और समाधानी रहें।
RAM NAVMI KI SHUBHKAMNAYIEN.
बहुत सुंदर
रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनाएं
अच्छा लगा प्रसंग .
रामनवमी की शुभकामनाएँ!!
धन्यवाद् - रामनवमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं
रामनवमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
latest post तुम अनन्त
JAY JAY SHRI RAM
.बहुत ही सुंदर वर्णन किया है श्री राम प्रसंग का ....हार्दिक शुभकामनायें कविता दीदी
@ संजय भास्कर
आपने बिलकुल सही कहा, सन्तानहीनता का दुःख भुक्तभोगी ही समझ सकता है।
एक महत्वपूर्ण सामयिक पोस्ट। सचमुच संतानहीनता अभिशाप ही है. आजकल गोद लेने की सुविधाएं उपलब्ध हैं
वाह ... आनंद आ गया इस प्रसंग को पढ़ने के बाद ...
राम-नवमी की हार्दिक बधाई ...
सुंदर प्रसंग. प्रासंगिक प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर प्रसंग....
अति सुन्दर ..
रामभक्त हनुमान जयंती की अनंत शुभकामनायें..........
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