गया दिल अपना पास तेरे जिस दिन तूने मुझे अपना माना है
आया दिल तेरा पास अपने जिस दिन मैंने प्यार को जाना है।
दिल न वश में अब मन भी भागा जाये रे!
कविता तेरे प्यार में हाले दिल बेहाल रे।।
पहले सोचा न था कभी मुझे इतनी खुशी मिल सकेगी
होकर कल्पना साकार मेरी एक प्यारभरी कविता बनेगी
तेरे प्यार भरे खत से दिल होता निहाल रे।
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
जब दिन ढ़लता शाम होती तब मन होने लगता उदास
पागल दिल ढूंढ़ता-फिरता तू छुपी यहीं-कहीं पास
होता भान दूरी का दिल में उठता तूफान रे
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
तेरी प्यार भरी बातें मुझे सुखद अहसास कराती हैं
आंख मूंद लो तो लगे ऐसे जैसे तू पास बुलाती है
अब तो व्याकुल मन तेरी रटन लगाये रे
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
अब तो रात क्या दिन में भी तेरे प्यार के सपने बुनता हूं
और कुछ सूझता नहीं अब तो तेरे प्यार में डूबा रहता हूं।
है तमन्ना प्यार यूं ही सदा बढ़ता जाये रे
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
..................................................................................................................................
शादी के 18 वर्ष पहले ऐसे ही प्यार में जाने क्या-क्या लिखते-पढ़ते। तब उनकी चिट्ठी मिलती तो ख़ुशी से मैं उसे सहेज कर उसे कविता में बदल कर रख देती। तब न इंटरनेट था न टेलीफ़ोन। एसटीडी से कभी-कभार बात हो जाती। अब तो बच्चों और ऑफिस की भागदौड़ में हाले-दिल मत पूछो! ३० नवंबर के दिन की यादों की ताजगी आप लोगों के साथ बाँट रही हूँ। जानती हूँ ऐसे प्यार भरे पल सबके जीवन में कभी न कभी आते हैं, इस पर आपकी टीप चाहूंगी।
..कविता रावत
आया दिल तेरा पास अपने जिस दिन मैंने प्यार को जाना है।
दिल न वश में अब मन भी भागा जाये रे!
कविता तेरे प्यार में हाले दिल बेहाल रे।।
पहले सोचा न था कभी मुझे इतनी खुशी मिल सकेगी
होकर कल्पना साकार मेरी एक प्यारभरी कविता बनेगी
तेरे प्यार भरे खत से दिल होता निहाल रे।
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
जब दिन ढ़लता शाम होती तब मन होने लगता उदास
पागल दिल ढूंढ़ता-फिरता तू छुपी यहीं-कहीं पास
होता भान दूरी का दिल में उठता तूफान रे
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
तेरी प्यार भरी बातें मुझे सुखद अहसास कराती हैं
आंख मूंद लो तो लगे ऐसे जैसे तू पास बुलाती है
अब तो व्याकुल मन तेरी रटन लगाये रे
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
अब तो रात क्या दिन में भी तेरे प्यार के सपने बुनता हूं
और कुछ सूझता नहीं अब तो तेरे प्यार में डूबा रहता हूं।
है तमन्ना प्यार यूं ही सदा बढ़ता जाये रे
कविता तेरे प्यार में हाले-दिल बेहाल रे।।
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शादी के 18 वर्ष पहले ऐसे ही प्यार में जाने क्या-क्या लिखते-पढ़ते। तब उनकी चिट्ठी मिलती तो ख़ुशी से मैं उसे सहेज कर उसे कविता में बदल कर रख देती। तब न इंटरनेट था न टेलीफ़ोन। एसटीडी से कभी-कभार बात हो जाती। अब तो बच्चों और ऑफिस की भागदौड़ में हाले-दिल मत पूछो! ३० नवंबर के दिन की यादों की ताजगी आप लोगों के साथ बाँट रही हूँ। जानती हूँ ऐसे प्यार भरे पल सबके जीवन में कभी न कभी आते हैं, इस पर आपकी टीप चाहूंगी।
..कविता रावत